जब भी भांग या कैनविस सैटिवा के बारे में सुनते हैं तो सबसे पहले आप क्या सोचते हैं या आपके दिमाग में क्या आता है? क्या आपका दिमाग तुरंत गांजा या मारिजुआना की तरफ जाता है। मारिजुआना एक साइकोऐक्टिव एजेंट है जो दिमाग में बदलाव पैदा करके मतिभ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है। अगर आपको लगता है कि इन दोनों के बीच कोई ताल्लुक है तो आप बिल्कुल सही हैं, कैनबिस सैटिवा पौधा हमें कई अन्य स्वास्थ्यप्रद उत्पाद भी देता है। यहां हम जिसकी बात कर रहे हैं वह है: भांग के बीज।

भांग के बीज में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल या टीएचसी की बेहद कम मात्रा पायी जाती है और यह मारिजुआना के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को भी साझा नहीं करता है, जो इसी कैनबिस सैटिवा पौधे के सूखे फूलों से प्राप्त होता है। 

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वास्तव में, अगर भारत और चीन जैसे देशों में भांग के बीज के लंबे इतिहास और उपयोग पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि भांग के बीज में इतने सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं कि इसे बड़ी आसानी से स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जा सकता है- लेकिन सिर्फ सीमित मात्रा में। इसलिए, भले ही भांग के बीज अब भी कुछ देशों में अवैध माने जाते हों, बावजूद इसके भांग के बीज और भांग के बीज का तेल अपने स्वास्थ्य लाभ के कारण बहुत लोकप्रिय हो गया है।

भांग के बीज कैनाबिस सैटिवा या भांग के पौधे से आते हैं। वे आकार में गोलाकार और रंग में हल्के भूरे होते हैं। इन बीजों का स्वाद बिलकुल अखरोट की तरह समृद्ध और स्वादिष्ट होता है। इसके अलावा, इनका पोषण संबंधी गुण भी काफी अधिक होता है जिसमें बेहतर गुणवत्ता वाले प्रोटीन, गुड फैट और काफी सारा डाइट्री फाइबर भी पाया जाता है।

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भांग के बीजों से निकलने वाला तेल आमतौर पर गहरे रंग का या हल्के हरे रंग का होता है। वैसे तो चीन, भांग और इससे बनने वाले सभी उत्पादों का प्रमुख उत्पादक है, लेकिन फ्रांस, कनाडा, स्पेन, चिली और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी भांग का बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है। भारत में भी भांग से बनने वाले आइटम्स का उत्पादन होता है और उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश ये 2 राज्य सरकारी-पर्यवेक्षण में होने वाले भांग के आइटम्स के उत्पादन में अग्रणी माने जाते हैं।

  1. भांग के बीज के फायदे - Bhang ke beej ke fayde
  2. भांग के बीज में पाए जाने वाले पोषक तत्व - bhang ke beej me poshak tatv
  3. भांग के बीज के नुकसान - Bhang ke beej ke nuksan
  4. भांग के बीज की खुराक और कैसे खाएं? - Bhang ke beej ki dose aur kaise khaye?
भांग के बीज के फायदे और नुकसान के डॉक्टर

अध्ययनों से पता चलता है कि भांग के बीज में उच्च पोषण वाले तत्व पाए जाते हैं। भांग के बीज में हेल्दी फैट, प्रोटीन, विटामिन ई और मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही वे पौधे आधारित (प्लांट-बेस्ड) प्रोटीन का भी एक बड़ा स्रोत हैं। भांग के बीज के विज्ञान समर्थित लाभ निम्नलिखित हैं:

भांग के बीज के फायदे हृदय को स्वस्थ रखने के लिए - Bhang ke beej ke fayde heart health ke liye

भांग के बीज अमिनो एसिड से भरे होते हैं, विशेष रूप से आर्जिनिन जो कि एक शक्तिशाली न्यूरोट्रांसमिटर है। आर्जिनिन शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने में मदद करता है। शरीर में इसकी अधिक मात्रा रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने और हृदय की सेहत को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती है।

नाइट्रिक ऑक्साइड विभिन्न क्रियाओं को करने में शरीर की मदद करता है जैसे- हीमोस्टेसिस (जेल के रूप में खून का जमना जो घाव के भरने का पहला चरण है) और फाइब्रिनोलाइसिस (खून के थक्के को बढ़ने से रोकना)। यह धमनी की दीवारों में प्लेटलेट और ल्यूकोसाइट इंटरैक्शन में भी सुधार करता है, वैस्क्युलर टोन और मांसपेशियों को नियंत्रित करता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। सामान्य वैस्क्युलर टोन रक्त वाहिकाओं के सही व्यास की ओर इशारा करता है ताकि खून का सर्कुलेशन उचित ढंग से हो सके।

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ऐसे में यह कहना सुरक्षित है कि भांग के बीज हृदय और इसके रखरखाव के लिए बहुत अच्छे हैं, खासकर तब अगर आपको हृदय रोग होने का खतरा है।

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भांग के बीज के फायदे उच्च कोलेस्ट्रॉल, रुमेटाइयड आर्थराइटिस और डायबिटीज वाले लोगों के लिए - Bhang ke beej ke fayde high cholesterol, arthritis aur diabetes me

आप सोच रहे होंगे कि 30 प्रतिशत फैट कॉन्टेंट तब तो भांग के बीज हाई कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों के लिए ठीक नहीं है। लेकिन तथ्य यह है कि, भांग के बीज 2 आवश्यक फैटी एसिड से भरपूर होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम रखने में फायदेमंद हैं: लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6) और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ओमेगा-3)। ये पॉलिअनसैचुरेटेड फैटी एसिड या पीयूएफए लो-डेंसिटी लीपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं, खराब कोलेस्ट्रॉल जो धमनियों में रुकावट पैदा करके हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है।

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भांग के बीज में गामा-लिनोलेनिक एसिड (एक प्रकार का ओमेगा-6 फैटी एसिड) भी होता है जो इन्फ्लेमेशन (सूजन और जलन) को कम करने में मदद करता है। रुमेटायड आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के लिए भांग के बीज का तेल भी फायदेमंद साबित हो सकता है। अनुसंधान से पता चलता है कि इन्फ्लेमेशन कम होने से डायबिटीज के मरीजों के स्वास्थ्य के परिणामों में भी सुधार हो सकता है: डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर को मैनेज करने के लिए भांग के बीज का उपयोग किया जा सकता है।

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यदि आपको इनमें से कोई भी पुरानी (जीवन भर) बीमारी है तो भांग के बीज का सेवन करने या किसी भी तरह की थेरेपी शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात जरूर कर लें।

भांग के बीज के फायदे त्वचा की सेहत के लिए - Bhang ke beej ke fayde skin health ke liye

भांग के बीज में ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड की उच्च सघनता का एक अतिरिक्त लाभ भी है: ये फैटी एसिड गामा-लिनोलेनिक एसिड के साथ मिलकर एक एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट के रूप में काम करते हैं जो स्किन से जुड़ी बीमारियों जैसे- एक्जिमा और एक्ने वल्गरिस को दूर करने में मदद कर सकते हैं। यह बात हेम्पसीड ऑइल यानी भांग के बीज के तेल के मामले में विशेष रूप से सच है, जो त्वचा का सूखापन, खुजली से छुटकारा दिलाने के साथ ही औषधीय मलहम की आवश्यकता को भी कम कर सकता है।

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महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भांग के बीज के फायदे - Bhang ke beej ke fayde mahila prajnan sehat ke liye

प्रजनन की उम्र वाली अधिकांश महिलाओं को प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम या पीएमएस के लक्षणों के साथ-साथ आगे चलकर बड़ी उम्र में रजोनिवृत्ति से संबंधित इन्फ्लेमेशन से भी निपटना पड़ता है। भांग के बीज जो गामा-लिनोलेनिक एसिड से भरपूर होते हैं, पीएमएस और रजोनिवृत्ति दोनों से जुड़े लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। पीएमएस और रजोनिवृत्ति के लक्षण प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन की संवेदनशीलता से संबंधित है। गामा-लिनोलेनिक एसिड, प्रोस्टाग्लैंडीन ई 1 के उत्पादन में मदद करते हैं, जो बदले में प्रोलैक्टिन के प्रभाव को कम करता है। इसलिए, कई देशों और संस्कृतियों में इन लक्षणों का इलाज करने के लिए भांग के बीज का उपयोग किया जाता है।

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कुछ जगहों और संस्कृतियों में तो गर्भवती महिलाओं को भी भांग के बीज दिए जाते हैं, क्योंकि वे विटामिन ई और आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान भांग के बीज का उपयोग करना चाहिए या नहीं इसे लेकर पर्याप्त शोध मौजूद नहीं है।

भांग के बीज के फायदे बेहतर पाचन के लिए - Bhang ke beej ke fayde behtar digestion ke liye

भांग के बीज, विशेष रूप से वे बीज जिनका खोल या शेल हटाया नहीं गया है उनमें बड़ी मात्रा में डाइट्री फाइबर होता है। इस फाइबर कॉन्टेंट में से 20 प्रतिशत घुलनशील होता है और 80 प्रतिशत अघुलनशील, लेकिन दोनों ही तरह के फाइबर आंत में स्वस्थ बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हैं। इसलिए भांग के बीज प्रीबायोटिक की तरह काम करते हैं, और जब उन्हें उनके एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव के साथ जोड़ दिया जाता है तो वे पाचन को ठीक करने और पाचन से संबंधित दर्द को कम करने में भी मदद करते हैं। इसमें पाया जाने वाला उच्च फाइबर कॉन्टेंट कब्ज से बचने और राहत दिलाने में भी फायदेमंद है।

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कैंसर से लड़ने में फायदेमंद हैं भांग के बीज - Cancer se ladne me gunkari hai bhang ke beej

कैंसर से लड़ने के वैकल्पिक तरीकों की खोज करने को लेकर कई नए शोध किए जा रहे हैं। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि क्या विज्ञान विभिन्न प्रकार के कैंसर को रोकने के लिए भांग के बीज के उपयोग को मंजूरी देगा, लेकिन इस सिद्धांत के लिए पहले से ही कुछ समर्थन मौजूद है कि नियमित रूप से भांग के बीज का सेवन करने से कोलोरेक्टल कैंसर और फेफड़ों के कैंसर से बचने में मदद मिल सकती है।

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ब्रेन को स्वस्थ रखने के लिए भांग के बीज के फायदे - Brain ko healthy rakhne ke liye bhang ke beej ke fayde

स्वस्थ ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है भांग के बीज। ये फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं की वृद्धि के लिए भी जरूरी हैं इसलिए उन्हें भांग के बीज के माध्यम से एक बार में ही प्राप्त कर लेना आपकी संपूर्ण सेहत के लिए अच्छा हो सकता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि भांग के बीज अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग के लक्षणों को कम करके इन न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के उपचार में मदद कम कर सकता है।

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साल 2011 के एक अध्ययन में पाया गया कि भांग के बीजों में पीयूएफए (पॉलिअनसैचुरेटेड फैटी एसिड) पाया जाता है जिसका बहुत ज्यादा एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव होता है और यह पार्किंसंस के रोगियों के साथ-साथ अल्जाइमर्स के इलाज में भी मदद कर सकता है। 2018 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि भांग के बीज से निकाले गए फेनिलप्रोपिओनैमिड्स (टीपीए) का परीक्षण में इस्तेमाल होने वाले सब्जेक्ट्स पर एंटी-न्यूरोइंफ्लेमेटरी प्रभाव (यह तंत्रिका तंत्र में इन्फ्लेमेशन को कम करता है) था जो अल्जाइमर जैसी बीमारियों को समझने और इनके इलाज के लिए महत्वपूर्ण है।

भांग के बीज में 30% वसा और 25% प्रोटीन होता है। ये न केवल वे पौधों पर आधारित प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हैं, बल्कि इनकी प्रोटीन की गुणवत्ता भी डेयरी, रेड मीट और सोयाबीन के बराबर होती है। इसके अलावा भांग के बीज में लाइसिन, मेथिओनिन और सिस्टेनिन भी होता है- सभी अमीनो एसिड जो प्रोटीन के निर्माण खंड हैं। ये सभी कारक शाकाहारी और वीगन आहार को फॉलो करने वाले लोगों के लिए भांग के बीज को उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत बनाता है।

बीजों में उच्च डाइट्री फाइबर भी होता है, जो पाचन संबंधी विकारों को दूर रखने में मदद करता है। भांग के बीज आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिजों का एक समृद्ध स्रोत हैं जो आपको बेहतर नींद दिलाने में मदद कर सकते हैं।

इन अद्भुत और बेहतरीन फायदों के बावजूद, भांग के बीज का सीमित मात्रा में या कम मात्रा में ही सेवन किया जाना चाहिए। इसका कारण बेहद सिंपल है: किसी अच्छी चीज की अति या अधिकता भी बुरी हो सकती है। बहुत अधिक भांग के बीज खाने के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं, यहां जानें:

  • भांग के बीज में फैट की मात्रा अधिक होती है। और भले ही ये गुड फैट ही क्यों न हों, बहुत अधिक फैट का सेवन करने से हल्का डायरिया हो सकता है।
  • इसमें कोई शक नहीं कि भांग के बीज में टीएचसी (मारिजुआना स्मोक करने पर जो आपको हाई महसूस करवाता है) की मात्रा बेहद कम होती है, लेकिन अगर अधिक मात्रा में भांग के बीज का सेवन किया जाए तो इसका भी मतिभ्रम वाला असर हो सकता है। इस कारण जी मिचलाना, उल्टी आना, हृदय गति धीमी हो जाना और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • भांग के बीज के वैसे तो सेहत के लिए कई फायदे हैं लेकिन इसे डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्राइब की गई दवाइयों के साथ नहीं लिया जाना चाहिए, विशेष रूप से वे दवाइयां जिनका साइकोट्रोपिक या मनोदैहिक असर हो सकता है।

बेहतर यही होगा कि आप भांग के बीज का सेवन सिर्फ तभी करें जब डॉक्टर ऐसा करने के लिए आपसे कहें या फिर भांग के बीज को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले अपने फिजिशियन को इस बता दें।

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चूंकि भांग के बीज का स्वाद अच्छा होता है इसलिए आप चाहें तो इन्हें कच्चा खा सकते हैं, तलकर, भूनकर या पकाकर भी खा सकते हैं। आप इन बीजों को स्मूदी से लेकर सलाद और बेक किए हुए खाद्य पदार्थों से लेकर करी वाली सब्जी तक हर चीज में डाल सकते हैं। आप चाहें तो खाना पकाने के माध्यम के रूप में भांग के बीज के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं, या फिर इस तेल को अपनी त्वचा पर भी लगा सकते हैं।

जैसा कि किसी भी हर्बल या प्राकृतिक सप्लिमेंट के साथ होता है, भांग के बीज की खुराक आपकी उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करती है। बेहतर होगा कि इनका सेवन करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से पूछ लें कि भांग के बीज कि कितनी मात्रा आपके लिए ठीक रहेगी। धीरे-धीरे इसका सेवन करें। एक चम्मच से शुरुआत करें और फिर अपने सेवन को अनुशंसित स्तर तक बढ़ाएं। अनुशंसित स्तर से अधिक भांग के बीज का सेवन बिलकुल न करें। वैसे तो इस तरह की घटना का होना दुर्लभ ही है लेकिन भांग के बीज से ओवरडोज की समस्या भी हो सकती है।

Dr. Harshvardhan Deshpande

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Dr. Supriya Shirish

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Dr. Bajirao  Malode

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संदर्भ

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