इसमें कोई शक नहीं कि दिवाली का त्योहार भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन रंग-बिरंगी रोशनी, दीये, रंगोली और मिठाइयों के इस त्योहार के बाद वातावरण की हवा इस कदर प्रदूषित हो जाती है कि बड़ी संख्या में लोग बीमार हो जाते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है पटाखे। सरकार की तरफ से पटाखे न जलाने की अपील करने के बावजूद बहुत से लोगों को लगता है कि पटाखों के शोर और धुएं के बिना उनकी दिवाली पूरी ही नहीं होगी और इसलिए बहुत से लोग पटाखे जलाते हैं और फिर उसका असर अगले दिन से ही हवा में नजर आने लगता है।

(और पढ़ें - सुरक्षित और स्वस्थ दिवाली मनाने के टिप्स)

इस साल तो दिवाली के 15 दिन पहले से ही दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहरों की हवा बेहद प्रदूषित हो रखी है। ऐसे में दिवाली के दिन पटाखे जलने के बाद हवा की स्थिति कितनी गंभीर हो जाएगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, पराली जलाने से निकलने वाला धुंआ, पटाखों से निकलने वाला धुंआ और सर्दी का मौसम, ये सारी चीजें मिलकर हवा को बेहद प्रदूषित और जहरीला बना देते हैं जिसका सीधा असर हमारी सेहत खासकर फेफड़ों पर देखने को मिलता है। इसकी वजह से सर्दी-जुकाम, खांसी, आंखों में जलन जैसी अस्थायी समस्याओं से लेकर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का भी जोखिम बना रहता है।

ऐसे में दिवाली का प्रदूषण आपके फेफड़ों पर किस तरह का असर डालता है और इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं। 

(और पढ़ें - दिवाली के प्रदूषण से कैसे करें बचाव)

  1. दिवाली के प्रदूषण का फेफड़ों पर असर - Diwali pollution ka lungs pe asar
  2. दिवाली प्रदूषण के कारण इन बीमारियों का खतरा - Diwali pollution se hone wali bimariyan
  3. दिवाली के प्रदूषण से कैसे बचें? - Diwali pollution se kaise bache?

पटाखे जलाने से बेहद कम समय में ही बहुत अधिक और विस्तृत वायु प्रदूषण हो जाता है और इसका कारण ये है कि पटाखों में बड़ी मात्रा में हानिकारक केमिकल्स के साथ मेटल पार्टिकल्स, खतरनाक विषैले पदार्थ और चारकोल होता है जिसे जलाने पर ये धुंआ बनकर हवा में पहुंच जाते हैं और उसे प्रदूषित और जहरीला बना देते हैं। पटाखों से निकलने वाले ये जहरीले केमिकल्स उच्च मात्रा में निकलते हैं जिनके संपर्क में आना बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। प्रदूषित हवा में मौजूद प्रदूषक मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं :

  • पार्टिक्यूलेट मैटर (पीएम) - बेहद बारीक कण जो वायुमार्ग को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड - एक गैस तो वायुमार्ग में इरिटेशन उत्पन्न कर अस्थमा और सीओपीडी के अटैक का कारण बन सकती है
  • ओजोन - एक ऐसी गैस जो फेफड़ों की क्षमता को कम कर वायुमार्ग में उत्तेजना उत्पन्न करती है (और पढ़ें- उच्च ओजोन लेवल के संपर्क में आने से कार्डियक अरेस्ट का खतरा)
  • सल्फर डाईऑक्साइड - एक ऐसी गैस जो वायुमार्ग की परत (लाइनिंग) को इरिटेट कर सकती है जिससे अस्थमा की समस्या होती है

जब कोई व्यक्ति इस प्रदूषित हवा को सांस के जरिए शरीर के अंदर लेता है तो यह हवा हमारे वायुमार्ग में उत्तेजना पैदा करती है जिससे वहां पर सूजन और जलन की समस्या होने लगती है, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, खांसी, घरघराहट, अस्थमा अटैक और सीने में दर्द जैसी दिक्कतें भी देखने को मिल सकती हैं। लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने की वजह से फेफड़ों का कैंसर, हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, स्ट्रोक और समय से पहले मौत का खतरा भी बढ़ जाता है।

वायु प्रदूषण खासतौर पर निम्नलिखित लोगों की फेफड़ों की सेहत पर ज्यादा गंभीर असर डालता है :

  • नवजात शिशु और छोटे बच्चे जिनकी सामान्य श्वसन दर बड़े बच्चों और वयस्कों की तुलना में तेज होती है
  • बुजुर्ग जिनकी सांस लेने की दर सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होती है
  • वैसे लोग जो ज्यादातर आउटडोर में रहकर ही काम करते हैं या निर्माण स्थल आदि पर काम करने वाले लोग
  • वैसे लोग जिन्हें पहले से ही फेफड़ों की बीमारी या हृदय रोग हो

(और पढ़ें - फेफड़ों पर ही नहीं आपकी कोख पर भी असर कर रहा है प्रदूषण)

रिसर्च में पता चला है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी जैसे- सीओपीडी और कैंसर के खतरे के बीच लिंक है। साल 2013 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर एक रिसर्च की थी जिसके बाद इसे इंसानों के लिए कार्सिनोजेनिक यानी कैंसरकारी बताया गया था।

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वातावरण की हवा जो कारखानों से निकलने वाले धुएं, पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं आदि के कारण पहले से ही प्रदूषित हो रखी है जब उसमें पटाखों से निकलने वाला धुंआ और केमिकल्स भी मिल जाते हैं तो हवा और ज्यादा जहरीली हो जाती है जिसकी वजह से निम्नलिखित बीमारियां हो सकती हैं :

  • ऊपरी श्वसन पथ का संक्रमण : दिवाली के तुरंत बाद बड़ी संख्या में लोग डॉक्टर के पास आंखों में जलन और चिड़चिड़ाहट, गले में दर्द और जलन, सूखी खांसी और बुखार की समस्या लेकर पहुंचते हैं और इसका कारण है ऊपर श्वसन पथ का संक्रमण (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन)। जो लोग पहले से ही बीमार हैं उनमें तो इस तरह की दिक्कतें बढ़ती ही हैं लेकिन जो लोग स्वस्थ हैं उन्हें भी आंखों में जलन, सीने में भारीपन और घुटन जैसी दिक्कतें महसूस होने लगती है।
  • ब्रॉन्काइटिस : पटाखों में मौजूद हानिकारक केमिकल्स धुंआ और गैस बनकर हवा में पहुंचते हैं और जब हम इन केमिकल युक्त हवा को सांस के जरिए शरीर के अंदर लेते हैं तो ब्रॉन्कियल ट्यूब्स में इन्फ्लेमेशन होने लगता है जिसे ब्रॉन्काइटिस कहते हैं।
  • अस्थमा : जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा है उनकी समस्या तो दिवाली के बाद और ज्यादा बढ़ जाती है, उन्हें अस्थमा अटैक का सामना करना पड़ता है। लेकिन सामान्य लोगों में भी प्रदूषित हवा को सांस के जरिए अंदर लेने की वजह से अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें- अस्थमा में रात के समय क्यों होती है खांसी जानें)
  • सीओपीडी : दिवाली और इसके बाद जब हवा में प्रदूषण के कण और पार्टिक्यूलेट मैटर की तादाद बढ़ जाती है तो इस कारण लोगों को खांसी होने लगती है जो दवा करने के बाद भी ठीक नहीं होती, लंबे समय तक बनी रहती है और अतिरिक्त बलगम भी आता रहता है। इस स्थिति को क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) कहते हैं।

1. घर के बाहर कम से कम निकलें
जब आपको पता है कि घर के बाहर इतना प्रदूषण है और हवा की गुणवत्ता बेहद खराब और गंभीर स्थिति में है तो जहां तक संभव हो घर के बाहर की गतिविधियों को कम से कम करने की कोशिश करें। अपने शेड्यूल में बदलाव करें और प्रदूषण के लेवल की जांच करने के बाद ही घर के बाहर निकलें। इसके अलावा जो लोग आउटडोर में एक्सर्साइज या वर्कआउट करते हैं उन्हें भी ऐसा करने से बचना चाहिए।

2. मास्क पहनकर रखें
वैसे तो कोविड-19 महामारी की वजह से ज्यादातर लोग मास्क पहन रहे हैं लेकिन मास्क सिर्फ कोविड-19 संक्रमण से ही नहीं बल्कि प्रदूषण से भी बचने के लिए जरूरी है। दिवाली के बाद बढ़े वायु प्रदूषण की वजह से बड़ी संख्या में लोगों को खांसी, सांस लेने में दिक्कत, आदि समस्याएं होने लगती हैं लिहाजा घर से बाहर निकलते वक्त मास्क पहनना बेहद जरूरी है। हो सकते तो माइक्रॉन फिल्टर्स वाले एन-95 फेस मास्क का इस्तेमाल करें जो धूल और प्रदूषण के 95 प्रतिशत कणों को फेफड़ो तक पहुंचने से रोक सकता है।

3. इम्यूनिटी मजबूत करने वाली चीजें खाएं
अगर आपका इम्यून सिस्टम मजबूत है तो आप प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों से बचे रह सकते हैं। लिहाजा अपनी डाइट में विटामिन सी, मैग्नीशियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को शामिल करें जैसे- नींबू, संतरा, मौसंबी, किवी, लहसुन, दही, पालक, हल्दी, बादाम, अखरोट और अदरक आदि जो आपकी इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।

4. प्रदूषण से बचाने में मददगार है गुड़ और शहद
भले ही आपको यकीन न हो लेकिन ये सच है कि गुड़, शरीर पर होने वाले वायु प्रदूषण के हानिकारक असर को कम कर सकता है। आप चाहें तो अपनी रोजाना की डाइट में चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। गुड़, शरीर में जमा होने वाले विषैले पदार्थों को भी बाहर निकालने में मदद करता है और गुड़ में आयरन की मात्रा अधिक होती है जो खून के जरिए ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाने में मदद करता है। गुड़, प्रदूषण के हानिकारक असर से भी आपके फेफड़ों को बचाने में मदद करता है। आप चाहें तो रोजाना खाने के बाद गुड़ का छोटा टुकड़ा खा सकते हैं। लेकिन 2-3 ग्राम से ज्यादा का सेवन न करें।

5. घरेलू नुस्खे अपनाएं
जब बात प्रदूषण से बचने की आती है तो ऐहतियात बरतने के साथ ही कुछ घरेलू उपायों को भी आजमाकर आप प्रदूषण के हानिकारक असर से बच सकते हैं। इसके लिए रोजाना हल्दी वाले दूध का सेवन करें, तुलसी के पत्तों का काढ़ा पिएं, खाली पेट नीम का सेवन करें।

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