दीपावली का त्योहार जहां एक ओर खुशियां और उत्साह लेकर आता है वहीं पटाखों के कारण होने वाला प्रदूषण कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां भी पैदा कर देता है। पटाखों से होने वाला प्रदूषण सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। प्रदूषण गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण के स्वास्थ्य पर भी बुरे प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में हम पटाखों से होने वाले प्रदूषण का गर्भवती और उसके बच्चे पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानेंगे।

गर्भ में पल रहे शिशु को सारा पोषण मां से मिलता है। मां जैसा खाना खाती है, जैसे वातावरण में सांस लेती है इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। इसी तरह से दीपावली पर होने वाला प्रदूषण और पटाखों से निकलने वाली गैस मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

प्रदूषण का मां और बच्चे पर पड़ने वाला प्रभाव

भ्रूण पर असर

गर्भ में पल रहे शिशु को मां से ही ऑक्सीजन प्राप्त होता है। ऐसे में यदि मां प्रदूषित वातावरण में सांस लेती है तो इसका सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। विशेषज्ञों के मुताबिक गर्भाधान से पहले या गर्भावस्था के दौरान प्रदूषित वायु के संपर्क में आने से कई ऐसी समस्याएं हो सकती हैं जिनके चलते प्रीम्चोर बर्थ यानी कि समय से पहले बच्चे का जन्म कराने की नौबत आ जाती है। इसके अलावा बच्चे को कई तरह की बीमारियां होने के खतरे के साथ जन्म के समय वजन कम रहने की भी आशंका होती है। जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे कुपोषित हो सकते हैं। बच्चों को दीर्घकालिक रूप से मधुमेह, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर होने का भी खतरा बना रहता है।

गर्भवती पर असर

कई सारे अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि पटाखोंं के कारण होने वाला प्रदूषण गर्भवती के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। दीपावली के कारण होने वाला वायु प्रदूषण वैसे तो कुछ दिनों में खत्म हो जाता है, लेकिन इसका प्रभाव जितने भी समय का हो, यह स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियां पैदा कर सकता है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से गर्भपात होने का भी खतरा रहता है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के कारण पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन दर भी कम हो सकती है। अध्ययनों के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से निम्न प्रकार की समस्याएं जन्म ले सकती हैं।

  • इंट्रा यूट्रेन ग्रोथ रिडक्शन
  • जन्म के वक़्त शिशु के वजन में कमी होना
  • समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है
  • गर्भनाल का सही से विकास न हो पाना और उसका सामान्य रूप से काम प्रभावित होना
  • बच्चे में हृदय से जुड़ी समस्या

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019 के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में अस्थमा, वजन की कमी, समय से पहले डिलीवरी की आशंका के अलावा न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा भी रहता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सामान्य बच्चों की तुलना में वायु प्रदूषण से प्रभावित बच्चे की उम्र भी कम हो सकती है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि वायु प्रदूषण जीवन की अवधि कम करने वाले कारकोंं में से एक है।

पटाखों से निकलने वाले कणयुक्त प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ता है?

पटाखों को जलाने से कई प्रकार की हानिकारक गैस के साथ वातावरण में कणयुक्त प्रदूषण भी फैल जाता है। पटाखों को जलाने से निकलने वाले कण जहरीले ठोस और तरल पदार्थों का संयोजन होते हैं। इन कणोंं का हवा में फैलना कई प्रकार की गंभीर बीमारियों को आमंत्रण दे सकता है। वैसे तो यह हर किसी के लिए खतरनाक है, लेकिन गर्भवती महिला और उसके शिशु को इस प्रकार के प्रदूषण से खतरा सबसे ज्यादा होता है। यह विषाक्त कण फेफड़े, आंखों और गले में जलन पैदा करते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। खांसने और छींकने के माध्यम से बड़े कण तो शरीर से बाहर निकल आते हैं लेकिन छोटे कण फेफड़ों में फंस जाते हैं, यही एक समय बाद रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि भ्रूण को मां से ही पोषण और ऑक्सीजन प्राप्त होती है ऐसे में छोटे कणों का मां के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाना शिशु के लिए कई प्रकार से घातक हो सकता है।

दीपावली के दौरान गर्भवती के लिए टिप्स

दीवाली के दौरान प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचने के लिए आप निम्नलिखित प्रयास कर सकती हैं।

पटाखे न जलाएं

आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण से बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि आप दीये से दीपावली मनाएं। आतिशबाजी के दौरान घर से बाहर न जाएं और प्रदूषण युक्त हवा में सांस लेने से बचें।

दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें

आतिशबाजी के दौरान दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें। इससे प्रदूषित धुएं और हवा में फैले कणयुक्त प्रदूषण के संपर्क में आने से बचा जा सकता है। रीति- रिवाज के अनुसार यदि घर के दरवाजों को खोलकर रखने का नियम है तो थोड़े वक्त के लिए ही ऐसा करें। बाहर हो रही आतिशबाजी के दौरान दरवाजे बंद ही रखें।

बाहर निकलते वक्त मास्क पहनें

दीपावली के समय में यदि घर से बाहर निकलना जरूरी हो तो मास्क पहनकर ही निकलें। इससे पटाखों के धुएं से बचने के साथ कोविड-19 के असर को भी कम किया जा सकता है। प्रदूषकों के सीधे संपर्क में आने से फेस शील्ड या मास्क आपको सुरक्षा दे सकते हैं।

दीपावली के दौरान या बाद में यदि आपको निम्न प्रकार की समस्याए हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से पहले से ही संपर्क में रहना बेहतर होता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए आतिशबाजी के कारण होने वाले प्रदूषण से स्वयं और गर्भ में पल रहे बच्चे को सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उपरोक्त टिप्स अपनाकर आप दीपावली को स्वस्थ और आनंदपूर्ण बना सकती हैं। दीपावली के दौरान यदि किसी प्रकार की असुविधा महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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