कंधे की अकड़न (Frozen shoulder/ फ्रोजन शोल्डर) या कंधे के जोड़ में दर्द की समस्या को एडहेसिव कैप्सूलाइटिस (Adheshive Capsulitis) भी कहा जाता है। यह परेशानी धीरे-धीरे शुरू होती है और आगे चलकर गंभीर रूप धारण कर लेती है। कई लोग कंधे की अकड़न को गठिया समझ लेते हैं, लेकिन इन दोनों ही स्थितियों का आपस में कोई संबंध नहीं होता है। कंधे की अकड़न में मात्र कंधे पर ही दर्द होता है, जबकि गठिया में शरीर के अन्य जोड़ों में भी दर्द होता है। आमतौर पर यह समस्या 40 से 60 वर्ष के बीच के लोगों को प्रभावित करती है, और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसके होने की संभावनाएं अधिक होती है। इस समस्या में कंधे के जोड़ के आसपास के ऊतकों में सूजन हो जाती है और वो अकड़ जाते हैं, जिससे कंधे को हिलाने में परेशानी और दर्द होता है। कंधे की अकड़न की समस्या आपके एक या दोनों कंधों को प्रभावित कर सकती है। इसके इलाज के लिए कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। आगे जानते हैं कंधे की अकड़न के लक्षण, कारण और इलाज क्या हैं।  

(और पढ़ें - कंधे में दर्द)

  1. कंधे की अकड़न के लक्षण - Kandhe ki akdan ke lakshan
  2. कंधे की अकड़न का कारण - Kandhe ki akdan ka karan
  3. कंधे की अकड़न का परीक्षण कैसे होता है - Kandhe ki akdan ka parikshan kaise hota hai
  4. कंधे की अकड़न का इलाज - Kandhe ki akdan ka ilaj
  5. कंधे की अकड़न का घरेलू इलाज - Kandhe ki akdan ka gharelu ilaj
  6. कंधे की अकड़न से बचाव - Kandhe ki akdan se bachav

कंधे की अकड़न आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होने वाली समसया है। इसके तीन चरण होते हैं। प्रत्येक चरण कई महीनों तक रह सकते हैं। इसके चरण निम्न तरह से होते हैं।  

अकड़न धीरे होना – इसमें आपके कंधे को किसी भी तरह से हिलाने में दर्द होता है। जिससे आपके कंधे का कार्य सीमित हो जाता है।

अकड़न का बढ़ना – इस स्थिति में कंधे की अकड़न का दर्द बढ़ने लगता है और आपका कंधा मुश्किल से हिल पाता है। इतना ही नहीं आपको कंधे से कोई भी कार्य करना मुश्किल हो जाता है।   

अकड़न ठीक होना - इस चरण के दौरान आपके कंधे की अकड़न कम होती है और इसमें सुधार शुरू हो जाता है।

कुछ लोगों को रात में यह समस्या बेहद ही पीड़ा देती है। साथ ही इसके चलते लोगों की नींद में खलल भी होता है। दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई होना जैसे तैयार होना, ड्राइविंग करना, अपने दांतों को साफ करना, बालों में कंघी करना आदि।

(और पढ़ें - नींद न आने के कारण व उपाय)

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कॉलरबोन (Collarbone/ गर्दन के नीचे से कंधे की ओर जाती हड्डी), ऊपरी बांह की हड्डी और शोल्डर ब्लेड (Shoulder blade) इन तीन हड्डियों से कंधा बनता है। यह तीनों हड्डियां कंधे में एक गेंद के आकार के शॉकेट (Shocket) से जुड़ी होती हैं। इस जोड़ मे आसपास हड्डियों को जोड़ने वाले ऊतक मौजूद होते हैं। इसके अलावा साइनोवियल फ्लूड (Synovial fluid/ कंधे के जोड़ में मौजूद द्रव) जोड़ों को बिना घर्षण के हिलने में मदद करता है।    

जब कंधे के ऊतकों में क्षति होती है, तब कंधे की अकड़न शुरू हो जाती है। साथ ही साथ दर्द भी होता है। वैसे कंधे की अकड़न के सही कारण को पूरी तरह से समझ पाना मुश्किल होता है और इसके कारण को हमेशा पहचाना भी नहीं जा सकता है। हाल ही में कंधे पर चोट या फ्रैक्चर के चलते अधिकतर लोगों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। डायबिटीज के कारण भी कई लोगों के कंधे में अकड़न हो जाती है। डायबिटीज के 10 से 20 प्रतिशत लोगों को कंधे की अकड़न के लक्षण महसूस होते हैं।

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कंधे की अकड़न के जोखिम कारक

कंधे की अकड़न के सामान्य जोखिम कारक निम्न प्रकार से बताए जा रहें हैं।

कंधे की अकड़न की समस्या को जांचने के लिए आपके डॉक्टर आपको कई तरह से कंधा हिलाने के लिए कहते हैं। इससे वह आपके दर्द और कंधे के धुमने की सही स्थिति के बारे में समझ पाते हैं। कंधे को आराम देने और हिलाने दोनों ही स्थिति में आपको दर्द महसूस हो सकता है। लक्षण और संकेतों के आधार पर इस समस्या का पता लगाया जा सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए आपके डॉक्टर एक्स रे और एमआरआई करने का सुझाव दे सकते हैं।  

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कंधे की अकड़न के इलाज में मुख्यतः कंधे के दर्द को दूर करने पर विचार किया जाता है। इसका इलाज कई तरह से किया जा सकता है। जो निम्न तरह से व्यक्त है।

दवाएं

कंधे की अकड़न के समय होने वाले दर्द और सूजन को कम करने वाली दवाओं के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। डॉक्टर आपको इसके लिए कुछ दवाओं को लेने की सलाह दे सकते हैं।

थेरेपी

शारीरिक थेरेपी के द्वारा भी आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। थेरेपिस्ट आपको कई तरह की एक्सरसाइज बताते हैं, जिनकी मदद से आप कंधे के संचालन को दोबारा से सामान्य कर सकते हैं। नियमित थेरेपी लेने से आपको जल्द ही राहत मिलना शुरु हो जाती है। (और पढ़ें - कंधों के लिए योगासन)

सर्जिकल और अन्य प्रक्रिया

कंधे की अकड़न के अधिकतर मामले 12 से 18 महीनों में अपने आप सही हो जाते हैं। इस समस्या के लक्षण ठीक न हो पाने के स्थिति में आपके डॉक्टर आपको निम्न तरह के सुझाव देते हैं।

  • स्टेरॉयड (Steroid) का इंजेक्शन
    इस प्रक्रिया में आपके कंधे के दर्द को दूर करने के लिए कंधे में कोर्टिकोस्टेरोइड (corticosteroids/ दर्द और सूजन कम करने वाला हार्मोन) का इंजेक्शन लगाया जाता है।
     
  • बेहोश करके कंधे को हिलाकर ठीक करना
    इस प्रक्रिया में एनेस्थीसिया की मदद से आपको बेहोश किया जाता है। जिसके बाद डॉक्टर आपके कंधे के जोड़ को हिलाकर ठीक करते हैं। सही स्थिति में आने पर आपके कंधे के ऊतकों पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है।
     
  • सर्जरी (अर्थरोस्कोपी)– कंधे के अकड़न में सर्जरी बेहद ही कम मामलों में होती है। जब आपके पास सर्जरी के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता तब डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह देते हैं। इसमें पेंसिल के आकार के उपकरण को कंधे के अंदर डालकर अकड़न करने वाले भाग को काटकर अलग कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद इससे पीड़ित अधिकतर लोग ठीक हो जाते हैं। सर्जरी के बाद इसको ठीक होने में 6 सप्ताह से तीन महीनों तक का समय लग सकता है। (और पढ़ें - कंधे की सर्जरी)

एक्युपेंचर

एक्यूपेंचर प्रक्रिया से भी आप कंधे की अकड़न से राहत पा सकते हैं। इस प्रक्रिया में बेहद ही पतली सुइयों के माध्यम से आपके दर्द को दूर किया जाता है। इसमें 15 से 40 मिनट तक सुईयों को दर्द वाले स्थान पर लगाया जाता है।

ट्रांसकाइटेन विद्युत तंत्रिका उत्तेजना (टीएनएस)

ट्रांसकाइटेन विद्युत तंत्रिका उत्तेजना (Transcutaneous electrical nerve stimulation/ TENS/ टीएनएस) प्रक्रिया से कंधे की अकड़न को कम किया जाता है। इसमें रीढ़ की हड्डी में मिलने वाली नसों में उत्तेजना कर दर्द को कम किया जाता है। टीएनएस मशीन के छोटे-छोटे विद्युतीय पैड को प्रभावित कंधे पर लगा दिया जाता हैं। जिसके बाद यह पैड विद्युतीय तंरगों से दर्द को ठीक करते हैं।

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एक गर्म सेक या हीटिंग पैड 15 मिनट के लिए दिन में कई बार अपने कंधे पर रखें, या 15 मिनट के लिए दिन में कई बार कंधे पर एक बर्फ का पैक लगाएं। जो आपके दर्द से राहत के लिए सबसे अच्छा काम करे, उसका प्रयोग करें। कंधे को सहारा देने के लिए एक गोफन (shoulder sling) का उपयोग करें। इससे आपकी परेशानी कम हो सकती है।

अगर दर्द लगातार बना रहे या कंधे की जकड़न ख़त्म ना हो, तो चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें, वरना कंधे में स्थाई रूप से विकलांगता होने का ख़तरा रहता है।

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एक नियमित व्यायाम जो कुल मिलाकर कंधे की शक्ति और लचीलेपन को बनाए रखे, स्ट्रैचिंग, और अपने कंधे का ज़्यादा उपयोग करने से कंधे का जमना, सर्जरी या चोट के बाद रोका जा सकता है। विशेषज्ञों को कुछ मामलों में कंधे की अकड़न का कारण ज्ञात नहीं है और ऐसे में इसे रोकना शायद संभव ना हो। लेकिन संयम रखें और अपने चिकित्सक की सलाह का पालन करें। कंधे की अकड़न लगभग हमेशा समय के साथ बेहतर हो जाती है।

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