गर्भ संस्कार का अभ्यास वैदिक काल से चल रहा है। यह दर्शाता है कि किस तरह एक स्वस्थ, सुखी और बुद्धिमान बच्चे को पाया जा सकता है। गर्भ संस्कार में माता और बच्चे दोनों के लिए बहुत से लाभ हैं। गर्भ संस्कार में शामिल प्रथा इस तथ्य पर निर्भर करती है कि बच्चा गर्भ से बाहर के माहौल से प्रभावित होता है और एक सुखी बच्चा एक सुखद माहौल का परिणाम है।

नीचे वर्णित प्रथाएं मां की मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक भलाई सुनिश्चित करती हैं, जो सीधे बच्चे को प्रभावित करती हैं। यह प्रथाएं बच्चे के समग्र विकास के लिए जरूरी हैं, विशेष रूप से बच्चे की बुद्धि के लिए।

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  1. प्रेग्नेन्सी में संगीत करता है बच्चे में मस्तिष्क का विकास - Music for unborn baby brain development in hindi
  2. स्वस्थ बच्चे के लिए खाएँ गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन - Eating pure diet during pregnancy for an intelligent baby in hindi
  3. गर्भावस्था में सकारात्मक रहने से पड़ता है शिशु पर सकारात्मक प्रभाव - Be positive in pregnancy for healthy baby in hindi
  4. गर्भावस्था के दौरान रचनात्मक होने से मिलेगा आपको बुद्धिमान बच्चा - Be creative during pregnancy for intelligent baby in hindi
  5. गर्भावस्था में व्यायाम से बच्चा रहता है खुश - Exercise during pregnancy for happy baby in hindi
  6. मेडिटेशन करने से मिलेगा आपको सुखी बच्चा - Meditation during pregnancy for relaxed baby in hindi
  7. बच्चे के साथ बात करने से गर्भ में बच्चे के गुण होते हैं विकसित - Talk to baby in womb for baby's development in hindi
गर्भ संस्कार की इन प्रथाओं से पाएं एक स्वस्थ, सुखी और बुद्धिमान बच्चा के डॉक्टर

संगीत गर्भावस्था के दौरान तनाव दूर करने का एक बहुत बढ़िया ज़रिया है। यह आपको अपनी इंद्रियों को शांत करने और आराम देने में मदद करता है। आपका बच्चा तीसरी तिमाही की शुरुआत से बाहर के वातावरण की आवाज़ सुन सकता है और उसका जवाब दे सकता है।

अनुसंधान के अनुसार संगीत बच्चे में मस्तिष्क के विकास और सुनने की भावना को उत्तेजित करता है। इसलिए सुखदायक संगीत, विशेष रूप से इंस्ट्रूमेंटल संगीत का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ राग और गर्भधारण श्लोक और मंत्र भी खुशी देते हैं।

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किसी भी अन्य अभ्यास की तुलना में सही खाना आपके बच्चे पर सबसे सीधा प्रभाव डालता है। गर्भ संस्कार गर्भावस्था के दौरान सात्त्विक भोजन खाने का सुझाव देता हैं यानि हर बार शुद्ध और ताज़ा बना भोजन खाना। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन, और खनिजों के सही अनुपात से बना संतुलित आहार खाया जाना चाहिए। सात्त्विक भोजन का महत्व यह है कि इसमें सभी प्रकार के स्वाद हैं जैसे मीठा, खट्टा, कड़वा, तीखा और नमकीन।

प्रिजरवेटिव्स, रंग और जायके वाला खाना और मसालेदार, डिब्बाबंद, संसाधित या किण्वित खाद्य पदार्थों से बचने पर जोर दिया जाता है।

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गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के विभिन्न स्तरों के कारण आपका मूड बदलता है। यह आप और आपके जीवनसाथी दोनों के लिए मुश्किल हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान आपको जो शौक पसंद है, उसका अभ्यास करना आपको सकारात्मक बनाता है।

एक अच्छी किताब पढ़ने, एक अच्छी फिल्म या कॉमेडी शो देखने या अपने आप को प्रकृति की सुंदरता में शामिल करने से बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन यह भी दिखाते हैं कि जानकारीपूर्ण पुस्तकों को पढ़ने से आपके बच्चे को ज्ञान प्राप्त हो सकता है।

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गर्भावस्था के दौरान रचनात्मक होने से आपका दिमाग सक्रिय हो जाता है और आपका बच्चे आपसे यह रचनात्मकता हासिल करता है। लिखना, पेंटिंग करना, बुनाई करना, गार्डनिंग करना और मिट्टी के बर्तनों को बनाना - ऐसे शौक आपके मस्तिष्क को आराम देते हैं, तनाव को दूर करते हैं। आधुनिक शौक जैसे कि पहेली को सुलझाना, गणित की समस्याएं हल करना और जानकारीपूर्ण चीज़ें देखना आपके बच्चे में उच्च बुद्धि को बढ़ावा देते हैं।

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गर्भावस्था के दौरान फिट होने के महत्व को सिर्फ शारीरिक फिटनेस तक सीमित नहीं किया जा सकता है। फिटनेस आपकी मांसपेशियों को आराम देने, पीठ या पैरों से संबंधित दर्द को कम करने के लिए ज़रूरी है। इससे आपकी दर्द सहने की क्षमता बढ़ाती है जो लेबर के दौरान आवश्यक है। इससे आपके शरीर में एंडोर्फिन रिलीज होता है, जिससे आपको अच्छा महसूस होता है और आप खुश रहते  हैं। और अगर आप खुश हैं तो आपका बच्चा भी खुश होगा।

मेडिटेशन आपके तनाव से निपटने की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ध्यान एकाग्रता और गहरी साँस लेने के माध्यम से आपको शांतिपूर्ण विचारों में लीन होने में मदद करता है। यदि गर्भावस्था के दौरान दैनिक रूप से ध्यान और योग का अभ्यास किया जाता है तो आपका बच्चा भी इसी तरह की क्षमताएं प्राप्त करता है।

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माता और बच्चे का संबंध बच्चे के जन्म के बाद नहीं, गर्भ से ही विकसित होता है। अपने बच्चे के साथ बात करना, उसके साथ सुविचार बांटना, अपने पेट पर प्यार से हाथ फेरना इस संबंध को और अधिक मजबूत करने में मदद करता है। यह भी बच्चे में अच्छे वार्तालाप के गुण विकसित करने में सहायक हैं।

हाल के दिनों में गर्भ संस्कार बहुत महत्व हासिल कर रहा है और इसके परिणाम प्रभावी हैं। नियमित रूप से इन बातों का पालन करने से आपकी गर्भावस्था खुशमय, तनाव रहित होती हैं और आपका बच्चा स्वस्थ, सुखी और बुद्धिमान बनता है।

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