केरल आयुर्वेद के क्षेत्र में एक विख्यात नाम है। जिन बीमारियों का इलाज महंगी से महंगी दवाइयां नहीं कर पातीं, वो यहां के प्राकृतिक तत्व और आयुर्वेद निरंतर अभ्यास के जरिए ठीक कर देते हैं। ऐसे में कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज वो भी हल्दी के जरिए एक बेहतरीन खोज है। ये तकनीक कीमोथेरेपी के बुरे परिणामों से मरीजों को निजात दिलाने में मदद मिलेगी।

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तिरुवनंतपुरम, केरल के एक मेडिकल संस्थान को हल्दी के जरिए कैंसर थेरेपी देने के लिए यूएस से पेटेंट मिल गया है। श्री चित्रा तिरुनल मेडिकल साइंस और तकनीकी संस्थान ने हल्दी में पाए जाने वाले एक्टिव तत्व करक्यूमिन के उपयोग से कैंसर को कम करने का नुस्खा ढूंढ निकाला है। इस तकनीक की मदद से जानलेवा कैंसर टिशू की सूजन कम कर सर्जरी के बाद होने वाली ब्लीडिंग को कम किया जाता है।

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हल्दी के फायदे
हल्दी बहुत ही गुणकारी है। इसमें पाए जाने वाले करक्यूमिन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सिडेंट खूबियां होती हैं। जो लोगों को कई तरह की बीमारियों से बचाती हैं। एशियाई देशों में हल्दी का उपयोग खाने से लेकर कई तरह के रोगों के उपचार के लिए होता है।

आखिर हल्दी ही क्यों कैंसर के मरीजों को इतना फायदा पहुंचाती है
छोटी उम्र के हड्डी कैंसर के मरीजों को सर्जरी से पहले और बाद में कीमोथैरेपी के हाई डोज दिए जाते हैं। ये हाई डोज उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए शोधकर्ता ऐसे तरीके ढूंढ रहे थे जो सर्जरी के बाद मरीजों को कैंसर से रिकवरी में मदद करें और शरीर के लिए ज्यादा घातक न हों। जो हड्डियों को बनने में मदद करें और ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकें। करक्यूमिन में हड्डी बनाने और सूजन कम करने जैसे कई गुण होते हैं, इसलिए इसे इतना प्रभावकारी माना गया है।

कैंसर दूर करने में हल्दी का सहयोग
हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन में एंटी कैंसर गुण होते हैं। वेफर में परिवर्तित कर इसे कैंसर साइट तक पहुंचाया जाता है। ये वेफर खून की क्लॉटिंग को भी रोकते हैं। ये वेफर लंबे समय तक करक्यूमिन को रिलीज करते रहते हैं। वेफर कितना करक्यूमिन रिलीज करेगा ये उसकी डोज पर निर्भर करता है।

वेफर क्या है और इसकी संरचना

  • वेफर एक करक्यूमिन के कॉम्बिनेशन के अलावा एल्बुमिन नाम की प्रोटीन को भी अपने अंदर रखता है। एल्बुमिन कैंसर सेल्स के साथ जुड़कर करक्यूमिन की एंट्री को सुनिश्चित करता है। शरीर के अंदर आते ही फिर फाइब्रिन वेफर अन्य तत्वों में टूट जाता है।
  • इस वेफर का इस्तेमाल कैंसर ट्यूमर को सर्जरी से हटाने के बाद किया जाता है। इसके इस्तेमाल से ट्यूमर की बढ़त को रोक दूसरे हिस्सों में फैलने से रोका जाता है।
  • कीमोथेरेपी के दौरान जरूरी सेल्स मरना शुरू हो जाते हैं, जबकि इस तकनीक में सिर्फ कैंसर सेल्स ही खत्म किए जाएंगे।

इस तकनीक में विकास का श्रेय इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को जाता है। इस तकनीक को क्लिनिकल ट्राएल और कमर्शियलाइजेशन के लिए इंडस्ट्री में भेज दिया गया है।

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