हर साल 22 अक्टूबर को “विश्व हकलाहट जागरूकता दिवस” मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में हकलाहट के बारे में जागरूकता पैदा करना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर की 1.5% आबादी हकलाहट से ग्रस्त हैं। भारत में हकलाहट को लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं और इसका इलाज संभव होने के बावजूद भी उम्र भर इस विकार से पीड़ित रहते हैं।

हकलाने की समस्या से पीड़ित लोगों के अनुसार उन्हें बचपन से ही हकलाने के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। भारत में बड़ी संख्या में लोग हकलाने के कारण रोजाना शर्मिंदगी का शिकार होते हैं और अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते। अगर आप या आपके परिवार में कोई हकला कर बोलता है, तो इसके लिए शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं है। कुछ खास बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रख कर हकलाने व उससे होने वाली शर्मिंदगी को दूर कर सकते हैं।

  • नकारात्मक भावना से बचें:
    हकलाते समय शर्मिंदगी महसूस न करें बल्कि इसका पूर्ण आत्मविश्वास से सामना करें। कुछ लोगों को बोलते समय आत्मविश्वास न होने के कारण उनके मन में नकारात्मक भावनाएं आने लगती हैं, कारण भी हकलाहट जैसी स्थितियां और गंभीर हो जाती है। जिन लोगों को हकलाने की समस्या है, उनके मन में ऐसी नकारात्मक भावनाएं आना काफी आम बात होती है। लेकिन एक दृढ़ आत्मविश्वास के साथ अभ्यास करने से आप इन नकारात्मक भावनाओं पर काबू पा सकतें हैं।
     
  • धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करें:
    यदि आपको हकलाने की समस्या है तो तेजी से बोलने की कोशिश ना करें, क्योंकि ऐसा करने से हकलाने की समस्या और गंभीर हो सकती है। धीरे-धीरे और सोच विचार करके बोलने से सिर्फ हकलाहट ही नहीं आपका मानसिक तनाव भी काफी प्रभावी रूप से कम होगा। जब भी आप कोई बात बोलना चाहें, तो उससे पहले इस बारे में एक बार मन में सोच लें।
     
  • मुश्किल शब्दों को न बोलें:
    वैसे तो हकलाहट से ग्रस्त व्यक्ति के लिए कोई भी शब्द बोलना आसान नहीं होता है, लेकिन अगर आप कुछ मुश्किल शब्दों से बचने की कोशिश करते हैं, तो स्थिति में काफी हद तक सुधार किया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आपको कोई विशेष शब्द बोलने में कठिनाई होती है या फिर आप उसे हकला कर बोलते हैं, तो उसकी जगह किसी वैकल्पिक शब्द का इस्तेमाल करें। इसके साथ-साथ आप एकांत में उस शब्द को बोलने का अभ्यास कर सकते हैं। आप ऐसे शब्दों की एक लिस्ट भी बना सकते हैं, ताकि आप उन शब्दों को बोलने का अभ्यास कर सकें और जब तक आप उन्हें बोलना ना सीख जाएं उनका उपयोग न करें।

अगर आपके परिवार में कोई व्यक्ति हकलाने की स्थिति से ग्रस्त है तो आप उनकी मदद करने की कोशिश करें। कई लोगों में हकलाने का मुख्य कारण चिंता होती है, चिंता के स्रोत का निवारण करके भी हकलाने की स्थिति को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। ऐसे में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • हकलाहट से पीड़ित व्यक्ति को डांटे नहीं
  • हकलाते हुऐ व्यक्ति को ध्यान से सुने इससे उनमें आत्मविश्वास जागरुक होता है
  • जब वह आपसे बात कर रहे हों तो धैर्य रखें
  • जब कोई व्यक्ति हकला कर अपनी बात बोल रहा हो तो उसके शब्द पूरा करने की कोशिश न करें। उन्हें स्वयं बात पूरी करने दें।

क्या हकलाने का इलाज किया जा सकता है?
स्पीच थेरेपी और कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी के जरिए हकलाहट का इलाज किया जा सकता है। जिसमें हकलाहट को कम करने के लिए निम्न तरीके अपनाए जाते हैं:

  • स्पीच थेरेपी:
    इसमें थेरेपिस्ट (थेरेपी करने वाले डॉक्टर) आपकी बोलने की गति को कम करने की सलाह देंगे, इसके साथ ही वे इस बात का ध्यान रखेंगे कि आप विशेष रूप से किस शब्द पर हकलाते हैं। जहां पर आपकी स्थिति और भी अधिक बिगड़ती है उसे कम करने में मदद करते हैं।
     
  • कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी):
    यह एक साइकोथेरेपी है, जिनकी मदद से व्यक्ति के सोचने की शक्ति और व्यवहार करने की प्रक्रिया में सुधार किया जाता है।
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