कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्थमा (दमा) इनहेलर हवा को प्रदूषित करने वाले मुख्य कारकों में से एक है। जबकि प्रदूषित हवा अस्थमा और फेफड़ों के रोग वाले मरीजों को सबसे अधिक प्रभावित करती है।

यह शोध जर्नल बीएमजे ओपन में छपा है, इसमें डॉ जेम्स स्मिथ, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सलाहकार का कहना है कि ज्यादातर मीटर्ड-डोज इनहेलर्स में हाइड्रोफ्लुओरोएल्केन (एचएफए) नाम का यौगिक मौजूद होता है।

एचएफए एक प्रबल ग्रीन हाउस गैस है जो आपके हर बार मीटर्ड-डोज इनहेलर के इस्तेमाल से हवा में जाती है। इसके कारण हवा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) फैलती है, जिसका वायु प्रदूषण को बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान होता है। तो क्या हमें इनहेलर्स का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए? इस सवाल का जवाब थोड़ा पेचीदा है।

सबसे पहले अपने इनहेलर्स के बारे में जानें
इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ केयर एक्सीलेंस के अनुसार मार्केट में तीन प्रकार के इनहेलर्स उपलब्ध हैं - 

मीटर्ड-डोज इनहेलर
इसे इस्तेमाल करने के लिए ऊपर से दबाया जाता है या सांस अंदर की ओर खींचकर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

मिस्ट स्प्रे या नेबुलाइजर
यह छोटी बैटरी से चलने वाले डिवाइस होते हैं जो दवा को मिस्ट (धुंध) में बदल देते हैं, बिना किसी केमिकल प्रक्रिया को इस्तेमाल किए।

ड्राई पाउडर इनहेलर
यह इनहेलर कैप्सूल की तरह होते हैं, जिनके इस्तेमाल के लिए व्यक्ति को इनहेलर के जरिए गहरी सांस लेने की आवश्यकता होती है।

इन सभी में से केवल मीटर्ड-डोज इनहेलर्स में एचएफए मौजूद होता है। यह इनहेलर कोई वास्तविक दवा नहीं हैं, लेकिन यह दवा को धुंध में बदलकर आपकी सांसों में छोड़ता है।

एक बेहतर और साफ विकल्प
हालांकि, यह एक नया शोध है लेकिन मीटर्ड-डोज इनहेलर्स के बारे में बताए गए तर्क सही व पुराने हैं। साल 2019 की शुरुआत में ही इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ केयर एक्सीलेंस ने अस्थमा से ग्रस्त लोगों को चेतावनी दी थी कि उन्हें मीटर्ड-डोज इनहेलर्स का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए, साथ ही यह भी बताया कि वे नेशनल हेल्थ केयर के कार्बन फुटप्रिंट में प्रमुख योगदान करते हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस या एनएचएस, यू.के, देश की एक सार्वजानिक स्वास्थ्य सर्विस प्रदाता है।

अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से ग्रस्त मरीजों से भी बेहतर और सुरक्षित विकल्पों को अपनाने का आग्रह किया गया, जैसे कि मिस्ट इनहेलर और ड्राई पाउडर इनहेलर। 

कैंब्रिज के शोधकर्ताओं ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि ड्राई पाउडर इनहेलर्स के मुकाबले मीटर्ड-डोज इनहेलर्स हवा में 10 से 37 गुना ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने से केवल इंग्लैंड में ही 58 कि.मी तक CO2 का कुल भार कम हो जाएगा। यह लगभग दिल्ली और प्रयागराज (पूर्व इलाहाबाद) के बीच 1 लाख 80 हजार राउंड ट्रिप में एक वाहन द्वारा उत्पादित उत्सर्जन के बराबर है, जिसकी प्रत्येक तरफ लगभग 700 कि.मी है।

पूर्व और उत्तर हर्टफोर्डशायर में एनएचएस ट्रस्ट के रेस्पिरेट्री मेडिसिन में सलाहकार डॉ. अलेक्जेंडर विल्किंसन ने पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाना के बारे में बताते हुए लिखा “यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि रोगियों को अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए अपने सामान्य उपचारों का उपयोग बंद नहीं करना चाहिए। इसकी बजाय हम मरीजों को साल में कम से कम एक बार चेकअप करवाने और इलाज के असर का पता लगाने के लिए अपने डॉक्‍टर से परामर्श लेने की सलाह देते हैं। इससे पता चल पाएगा कि क्‍या उनके लिए पर्यावरण अनुकूल इनहेलर ठीक रहेंगें या नहीं।”

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