स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है। ऐसी पूंजी जिसके खो जाने पर किसी भी तरह की पूंजी काम नहीं आती। अपने इसी सेहत के खजाने को सहेजने के लिए लोग प्रोटीन डाइट से लेकर समय-समय पर उपवास तक करते हैं। लोग अक्सर कोई भी डाइट प्लान तब अपनाते हैं, जब उनका वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है। अपने वजन को कंट्रोल करने के लिए ये भी जरूरी है कि आप अपने खाने में पोषक तत्वों को बिल्कुल कम न करें। दूध को सेहत के लिए बहुत जरूरी माना गया है, ऐसे में सही मात्रा में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों से बचाता है।

क्या है स्किम्ड मिल्क
स्किम्ड दूध में 0.3 प्रतिशत से 0.1 प्रतिशत फैट वाले पदार्थ हैं। हालांकि, स्किम्ड दूध में होल मिल्क में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्व शामिल होते हैं जैसे विटामिन और खनिज, यह आपको सिर्फ फुल क्रीम मिल्क की आधी कैलोरी देता है (एक गिलास दूध में लगभग 80 कैलोरी)। इसमें होल मिल्क की तुलना में थोड़ा अधिक कैल्शियम होता है पर वसा-घुलनशील विटामिन, खासतौर से विटामिन ए की मात्रा, कम होती है क्योंकि जब फैट निकाला जाता है, तब यह विटामिन खो जाते हैं।

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सबसे पहले किन पर किया गया स्किम्ड मिल्क का इस्तेमाल
इतिहास की बात करें तो सबसे पहले सूअरों को इस तरह का दूध दिया जाता था। इससे उनके शरीर में वसा कम और दूसरे जरूरी तत्व बढ़ जाते थे। इससे वो पर्याप्त खाना खाते थे। उन पर इसके बेहतरीन प्रभावों को देखने के बाद इसे लोगों तक पहुंचाया गया।

क्यों होता है स्किम्ड मिल्क का इस्तेमाल
स्किम्ड दूध में वसा का निम्न स्तर आपके शरीर में कैलोरी को कम कर देता है। इसी कारण से यह 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उन्हें विकास के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह उन व्यस्कों के लिए आदर्श है जो अपने फैट या कैलोरी सेवन को सीमित करना चाहते हैं।

हालांकि, जब दूध से फैट को हटाया जा रहा होता है, तब वसा के साथ घुलनशील विटामिन भी निकल जाते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में इन विटामिन को दूध में फिर से मिला दिया जाता है।

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हाल ही में स्किम्ड मिल्क पर की गई रिसर्च
जो भी माता-पिता अपने बच्चों को स्किम्ड दूध पिला रहे हैं वो कृपया ध्यान दें। जिन बच्चों ने स्किम्ड दूध की जगह होल मिल्क पीया उनमें ज्यादा वजन और मोटापे के 40 प्रतिशत केस कम देखने को मिले। जबकि, ऐसा स्किम्ड मिल्क के केस में होना चाहिए था।

स्टडी के दौरान सामने आए कुछ तथ्य
इससे जुड़ी स्टडी द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल नयुट्रीशन में छापी गई। इस मामले को और गहराई से समझने के लिए सात देशों में 28 तरह की स्टडीज की गईं। इन सभी स्टडीज़ में 1 से लेकर 18 साल के 21,000 बच्चों को लिया गया था। इस रिसर्च से पता चला कि जिन बच्चों ने फैट रिड्यूस्ड मिल्क पीया, उनमें मोटापे और ज्यादा वजन के कम केस देखे गए। 28 में से 18 स्टडी कहती हैं कि जिन बच्चों को होल मिल्क पिलाया गया, उनमें स्किम्ड मिल्क से ज्यादा फायदा पहुंचा। इन बच्चों में भी मोटापे के कम केस देखे गए।

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इस स्टडी ने कनाडा और इंटरनेशनल लेवल पर दी गई गाइडलाइन्स, जिनके अनुसार बच्चों को दो की उम्र से ही कम वसा वाला गाय का दूध देना चाहिए को गलत साबित कर दिया है।

डॉक्टर की राय
myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर शहनाज के अनुसार भारत जैसे देश जहां पहले ही लोगों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी है, वहां स्किम्ड मिल्क जैसी चीजों का इस्तेमाल लोगों को कम करना चाहिए। स्किम्ड मिल्क से सारी वसा हटा दी जाती है, जिसकी भारतीय लोगों को बहुत जरूरत है। ऐसे में जो भी लोग इसे अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं वो पूरे चेकअप और डॉक्टरी सलाह पर ही इसे लें। कुछ स्वास्थ्य मामलों में जैसे अत्यधिक मोटापा और वजन में लोगों को इस तरह की किसी डाइट पर निर्भर होना चाहिए।

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