बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और दिल्ली-एनसीआर, यूपी, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान समेत कुछ प्रदेशों में जहां हल्की-फुल्की बारिश से मौसम सुहावना बना हुआ है वहीं, देश के कई राज्य ऐसे भी हैं जहां बाढ़ ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में तो लगातार भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। वहीं, गुजरात, असम और बिहार के कई जिलों में भी भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। 

बारिश के समय संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा अधिक
जब बहुत अधिक बारिश की वजह से बाढ़ आती है तो चारों तरफ पानी जमा हो जाता है और इस कारण कई संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी कई गुना अधिक हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की मानें तो बाढ़ की वजह से संचारी या कम्युनिकेबल बीमारियों के फैलने का संभावित खतरा काफी बढ़ जाता है। इन बीमारियों को 2 कैटिगरी में बांटा जा सकता है:

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पानी से होने वाली बीमारियां
इसके अलावा बाढ़ का दूषित पानी और जलजमाव होने की वजह से गंदे पानी के संपर्क में आने से कई और बीमारियों और इंफेक्शन के फैलने का खतरा भी अधिक रहता है जैसे- चोट या घाव में होने वाला संक्रमण, डर्मेटाइटिस, कंजंक्टिवाइटिस या आंख आना, कान, नाक और गले में होने वाला इंफेक्शन आदि। हालांकि, ये सभी बीमारियां एपिडेमिक-प्रोन या संक्रामक बीमारियां नहीं हैं। 

इनमें से सिर्फ एक महामारी प्रवृत्त या एपिडेमिक-प्रोन इंफेक्शन है जो सीधे दूषित पानी के संपर्क में आने से हो सकता है और वह है- लेप्टोस्पायरोसिस जो जूनोटिक यानी पशुजन्य बैक्टीरियल संक्रमण वाली बीमारी है। इसके अलावा बाढ़ का पानी अगर लंबे समय तक एक ही जगह जमा हो जाए तो जलजमाव की समस्या हो जाती है और इस दूषित जल के संपर्क में आने से भी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जैसे- घाव से जुड़ा संक्रमण, स्किन से जुड़े इंफेक्शन जैसे- चकत्ते या पित्ती की समस्या, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल या जठरांत्र से जुड़ी बीमारी, टेटनस आदि। 

मच्छरों और कीड़े-मकौड़ों से होने वाली बीमारी
बाढ़ और जलजमाव की वजह से अप्रत्यक्ष रूप से भी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, क्योंकि गंदा पानी जमा होने की वजह से कई मच्छर और कीड़े-मकौड़ों को पनपने का मौका मिलता है। भारी बारिश या नदियों के उफान की वजह से शहरी या ग्रामीण इलाके में जमा पानी मच्छरों का प्रजनन स्थल बन जाता है, जिस कारण मच्छरों और कीड़े-मकौड़ों से होने वाली बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है जैसे- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, मलेरिया, वेस्ट नाइल फीवर।  

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बाढ़ और जलजमाव के कारण ये खतरे भी हो सकते हैं

  • बाढ़ के पानी में डूबने, किसी तरह की इंजूरी या ट्रॉमा का खतरा। 
  • वैसे तो बाढ़ में हुई इंजूरी के बाद टेटनस का टीका लगना बेहद कॉमन नहीं है लेकिन घायल लोगों का इलाज करते वक्त उन्हें टेटनस का टीका दिया जा सकता है।
  • हाइपोथर्मिया भी खासकर बच्चों में एक बड़ी समस्या हो सकती है, अगर वे लंबे समय तक बाढ़ के पानी में फंसे रहें। इसके अलावा रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के भी बढ़ने का खतरा अधिक हो सकता है।
  • बाढ़ और जलजमाव की वजह से कई बार बिजली कटौती की समस्या हो जाती है जिस कारण पानी के ट्रीटमेंट प्लांट काम करना बंद कर देते हैं और दूषित पानी पीने की वजह से पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

बीमार होने से बचना है तो क्या करें-क्या नहीं
बाढ़ के दौरान और इसके बाद होने वाले जलजमाव की वजह से बीमारियां बढ़ने के खतरे के मद्देनजर बेहद जरूरी है कि लोगों को जागरुक किया जाए, ताकि वे बीमारियों से बचने के लिए कुछ जरूरी ऐहतियाती कदम उठाएं। 

  • खाना बनाते और खाते वक्त साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें, हाथों को अच्छी तरह से साबुन-पानी से धोने के बाद ही खाने-पीने की चीजों को हाथ लगाएं (और पढ़ें : हाथ धोने का सही तरीका, फायदे और नुकसान)
  • बाढ़ और जलजमाव के दौरान दूषित पानी पीने से बीमारियों का खतरा अधिक होता है, लिहाजा पानी में क्लोरीन टैबलेट डालकर पानी को साफ कर लें, उसके बाद ही पानी पिएं या फिर आप चाहें तो पानी को अच्छे से उबालकर छान लें और उसके बाद ठंडा करके पिएं। बारिश के मौसम में सभी लोगों को पानी उबालकर ही पीने की सलाह दी जाती है।
  • नियमित रूप से हर थोड़ी-थोड़ी देर में गुनगुना पानी पीते रहें।
  • इसके अलावा बच्चों के साथ ही बड़ों को भी नियमित रूप से ओआरएस के घोल का सेवन करना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी की समस्या नहीं होगी।
  • बाहर से घर वापस लौटने के बाद, टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद और खाना बनाने और खाना खाने से पहले अच्छी तरह से अपने हाथों को साबुन पानी से धोएं।
  • मच्छरों के काटने से बचने के लिए मच्छरदानी के अंदर सोएं या फिर आप चाहें तो मॉस्क्यूटो रेप्लेंट, क्रीम आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • खाने-पीने की चीजों को हमेशा ढक कर रखें, खुली रखी चीजों को बिल्कुल न खाएं।
  • अपने घर के आसपास के हिस्से में जहां तक संभव को गंदे पानी को जमा न होने दें।
  • जहां तक संभव हो बाढ़ के पानी में बाहर निकलने से बचें, क्योंकि यह गंदा पानी शरीर के अंदर प्रवेश कर आपको बीमार बना सकता है। अगर आपका बाढ़ के पानी में निकलना जरूरी हो तो रबड़ बूट्स या गम बूट्स, रबर ग्लव्स और गॉगल्स का इस्तेमाल करें।
  • बारिश के मौसम में बिजली का झटका लगने का खतरा भी अधिक होता है, लिहाजा पानी में अगर कोई तार गिरी हो तो उसे न छूएं।  

अगर तेज बुखार, सिर में दर्द, जी मिचलाना, आंखें लाल होना, डायरिया, भूख न लगना जैसे लक्षण अगर आपको खुद में या परिवार के किसी सदस्य में नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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