भारत और कई एशियाई देश अपने विशेष मसालों के लिए जाने जाते हैं लेकिन हाल ही में जरनल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित हुए एक अध्ययन से पता चला है कि ताजा और सूखी मिर्च का डिमेंशिया से संबंध होता है। दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया और कतर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तथा शिक्षाविदों ने चीन में 15 साल तक 4000 लोगों की खानपान की आदतों पर यह अध्ययन किया था। 1991 से 2006 के बीच अध्ययन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों की उम्र 55 साल से ज्यादा थी।

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अध्ययन के दौरान, सभी प्रतिभागियों की आदतों पर नज़र रखी गई और कुछ जरूरी टेस्ट करवाए गए। प्रतिभागियों को 10 शब्दों की एक सूची दी गई, जिसे उन्हें याद करना था, 20 तक उल्टी गिनती करनी थी और कुछ सामान्य घटा (सब्सट्रैक्शन) के सवाल सुलझाने थे। अध्ययन के अनुसार, मिर्च न खाने वालों की तुलना में रोजाना दिन में दो बार 50 ग्राम से ज्यादा मिर्च खाने वाले प्रतिभागियों की याद्दाश्त कमजोर पाई गई। यह भी पाया गया कि उन लोगों में इसका जोखिम ज्यादा था जो लोग पतले थे जबकि मोटे लोगों को मिर्च के सेवन के प्रति कम संवेदनशील पाया गया। इस अध्ययन में काली मिर्च और शिमला मिर्च का उपयोग नहीं किया गया था। इसकी बजाय ताजा और सूखी मिर्च का ही इस्तेमाल किया गया था। 

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50 ग्राम मिर्च खाने वाले प्रतिभागी निम्न आय वर्ग से ताल्लुक रखते थे और ये दूसरे समूह के प्रतिभागियों की तुलना में शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि बौद्धिक क्षमता पर असर पड़ने में शिक्षा का स्तर भी मायने रखता है। अतः इस संबंध में अभी और रिसर्च करने की जरूरत है।

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वैज्ञानिकों ने पहले मिर्च में पाए जाने वाले घटक कैप्साइसिन को फायदेमंद पाया था, लेकिन फिलहाल वे इसको लेकर अनिश्चित हैं। पहले माना जाता था कि कैप्साइसिन मेटाबाॅलिज्म बढ़ाता है और वैस्कुलर (रक्त वाहिकाओं से जुड़ी) संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करता है। अल्जाइमर पर शोध करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि दिन-ब-दिन डिमेंशिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

ऐसी स्थिति में जरूरी है कि इसके कारकों का पता लगाया जाए। शोधकर्ता आगे बताते हुए कहते हैं कि अध्ययन से मसालेदार खाने और डिमेंशिया के बीच का संबंध पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है क्योंकि अध्ययन में प्रतिभागियों पर सिर्फ गणित विषय से टेस्ट लिए गए और उनकी याद्दाश्त को परखा गया था।

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इस संबंध में अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है कि मसालेदार खाना ज्यादा खाने से याद्दाश्त और बौद्धिक क्षमता किस तरह प्रभावित होती है।

भारत में कुल आबादी में  से 40 लाख लोग किसी न किसी तरह डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। विश्व की बात करें तो 4.4 करोड़ लोग किसी न किसी रूप से डिमेंशिया से प्रभावित हैं। डिमेंशिया के मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से इसके पीछे के कारकों के बारे में जानना बहुत जरूरी हो गया है। अतः इस संबंध में नए शोध और अध्ययन भी किए जाने चाहिए।

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