सर्दियों के अब गिने-चुने दिन रह गए हैं। साल 2020 की शुरुआत कड़ाके की ठंड के साथ हुई थी, लेकिन अब मैदानी इलाकों में सर्दी का प्रकोप मंद पड़ चुका है। यह साल का वो वक्त है, जब तमाम पहाड़ी इलाकों में जमकर बर्फबारी हो रही है और बर्फ देखने व इसमें अठखेलियां करने के शौकीन लोग बर्फीले पहाड़ों का रुख करते हैं।

अभी साल की शुरुआत ही हुई है और यह शुरुआत किसी तूफानी एडवेंचर के साथ हो तो पूरे साल के लिए यादगार बन जाएगी। रजाई को झटक कर सुस्ती भगाइए और प्लान बनाइए एक बर्फीले सफर का। आंखें मूंदते ही आपको नैनीताल, मसूरी, कुल्लू, मनाली, शिमला और कश्मीर की वादियां भी नजर आने लग गई होंगी। सफेद चादर में लिपटी वादियां, पहाड़ों के बीच से गुजरती ट्रेन और ट्रेन के अंदर आप अपने दोस्तों के साथ अदरक, इलायची वाली चाय सुड़कते हुए। सिर पर टोपी, हाथ में दस्ताने और पांव में जूते पहने आप गाते गुनगुनाते बर्फ से ढकी वादियों की गहराई में उतरते जा रहे हैं।

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कभी गर्म चाट तो कभी गर्म पकौड़ी और पगडंडियों पर आते-जाते लोग। रात की चांदनी और सूरज की किरणों में चमकती बर्फ मानो जमीं पर चांदी की वर्क चढ़ गई हो। ऐसे में आराम कहां? वो दो-तीन दिन समय का होश किसे? कोई स्नोमैन बना रहा है तो कोई बर्फ पर अपना नाम लिखकर मिटा रहा है। वहीं थोड़ी दूर रस्सी का सहारा लेकर दोस्तों के साथ बर्फ के पहाड़ की चढ़ाई हो रही है। गिरते-पड़ते, खिलखिलाते मानो सब टाइम मशीन में सवार होकर बचपन में लौट आए हों। ऐसे में वापस घर लौटने की किसे याद रहेगी? इन यादों को वीडियो और फोटो में समेटे अपनी बुआ, मौसी, इसका दोस्त, उसके दोस्त, सबको दिखाते फिरेंगे। सोशल मीडिया पर हर तरह के लेटे, टेढ़े, खुश, धक्का-मुक्की वाले सारे फोटो वायरल हो जाएंगे।

कैसी लगी बर्फ, सर्द थी न। मजा तो बहुत आया होगा, लेकिन कई बार प्लान आपके हिसाब से नहीं चलते। प्लान और बजट तो आपके हाथ में है, लेकिन मौसम और पहाड़ों की प्रतिकूल परिस्थितियां उन पर किसी का बस नहीं। आप होटल पहुंचते हैं, दो दिन तक मौसम और प्लान सब एकदम सही रहता है। तभी तीसरे दिन जब आप होटल से घूमने के लिए निकलते हैं तो बर्फीला तूफान आ जाता है। आपको वापस होटल की तरफ मुड़ना पड़ता है। तापमान कम होने की वजह से सड़क पर एक पतली बर्फ की पारदर्शी परत जम जाती है।

आप ड्राइवर को गाड़ी जल्द से जल्द होटल घुमाने के लिए कहते हैं। एक लेन सड़क जिसके एक तरफ खाई है और दूसरी तरफ का 70 प्रतिशत हिस्सा बर्फ के ढेर में गायब। गाड़ी के टायर सड़क पर अनियंत्रित हैं और शीशे के अंदर धुंध जम गई है। बार-बार शीशे को साफ किया जा रहा है। घुमावदार मोड़ पर सामने से आती गाड़ी को देखकर आपकी सांसें रुकना शुरू हो जाती हैं। ऐसे में एक हाई अलर्ट जारी कर दिया जाता है। पहाड़ों से बर्फ के बड़े टुकड़े गिर सकते हैं यानि एवलांच।

रास्ता जाम हो जाता है। आप और आपकी तरह मैदानी इलाकों से आए लोग ट्रैफिक में फंसे हैं, बर्फबारी रुक नहीं रही। हाथ पांव सुन्न हो जाते हैं घूमने की सारी एक्साइटमेंट भी फुर्र हो जाती है। चार घंटे से भूख ने पेट में कोहराम मचा रखा है। बैग में रखे बिस्किट, नमकीन और चिप्स तीन-चार लोगों की भूख को कब तक दबाकर रखते। एक-दूसरे के हाथों को जकड़ आप अपने हाथों की गर्माहट से एक-दूसरे का हौंसला बढ़ा रहे हैं।

आगे रास्ता बंद है, गाड़ी आगे नहीं जा पाएगी। एक-दूसरे की परेशानी में खामोशी के बीच सांसें और दिल की धड़कनें साफ सुनाई देने लगी हैं। गाड़ी की बैट्री बचाने के लिए गाड़ी बंद कर दी गई है। अब आपका एकमात्र लक्ष्य है खुद को जिंदा रखना। बाहर निकल नहीं सकते। न कोई फ्लाइट, बस और घर संपर्क करने का साधन। मोबाइल सिग्नल नहीं मिल रहा है, फोन भी सिर्फ बोझ के अलावा कुछ नहीं। लघुशंका के लिए तो बाहर जा सकते हैं पर शौच के समय क्या करें। पानी जम गया है बर्फ पिघलाएं तो कैसे घर वापस जाएं तो कैसे?

ऐसे समय में न घबराएं, ऐसे दुर्गम स्थानों पर जाने से पहले तैयारी कर लें-

  • कहीं भी जाने से पहले वहां के एक हफ्ते का मौसम का हाल जान लें।
  • अपने साथ पानी और खाने का पर्याप्त सामान रखें।
  • कपड़ों की दो से तीन तह पहनेंं।
  • कहीं भी फंसने पर पांव को सूखा रखें, बर्फ में पांव गीले न होने दें।
  • ज्यादा कसे हुए कपड़े न पहनें।
  • शीतदंश (फ्रॉस्टबाइट) होने की स्थिति में अपने शरीर के नाजुक अंगों को रगड़ें और गर्माहट दें।
  • गाड़ी में एक कंबल जरूर रखें।
  • हल्का जलावन का सामान रखें, ताकि कहीं फंसने पर आग जलाई जा सके।
  • अगर आप हृदय रोगी या किसी तरह की बीमारी से ग्रसित हैं तो सर्दी में पहाड़ों की सैर जानलेवा हो सकती है।
  • अपने पास फर्स्ट एड का डिब्बा जरूर रखें, जिसमें जरूरी दवाएं हों।
  • अकेले न रहें, लोगों के साथ संपर्क बनाकर मिलजुल कर रहें।

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भयंकर सर्दी में बीमारियां बढ़ा सकती हैं मुश्किलें -

  • फ्रॉस्टबाइट -
    ज्यादा ठंड आपके शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। आपके नाक, कान, गाल, उंगलियां और पांव के अंगूठे जम सकते हैं। ये जमी हुई चमड़ी सफेद और ग्रे रंग की दिख सकती है। ज्यादा बुरी परिस्थिति में अंग काले भी पड़ सकते हैं। (और पढ़ें - हाइपोथर्मिया के लक्षण, कारण, इलाज )
     
  • हाइपोथर्मिया -
    जब किसी इंसान के शरीर का तापमान 35 डिग्री से कम हो जाता है तो इंसान का शरीर गर्मी पैदा करने की जगह खोने लगता है। उसे कंपकंपी, थकान, ज्यादा पेशाब आना, चीजों में उलझन और दिमाग में कन्फ्यूजन होने लगती है। ज्यादा परेशानी बढ़ने पर मौत भी हो सकती है। इससे हृदय रोग भी हो सकता है। अगर पहले आपको दिल से जुड़ी कोई समस्या रह चुकी हो तो फावड़े से बर्फ हटाते समय आपके कमजोर दिल को हार्ट अटैक आ सकता है।
     
  • व्हाइटआउट होना -
    सर्दी के प्रभाव से किसी भी चीज की परछाई नहीं बन पाती और आपको दिशाभ्रम हो जाता है। आंखों के सामने सब एक बराबर सा लगता है।
     
  • चमड़ी का सूखापन और द्रव बनना -
    बहुत ज्यादा सर्दी से शरीर में नमी कम हो जाती है ऐसे में आपके शरीर का सारा पानी सूखने लगता है। घर में हैं तो अच्छे ह्युमिडिफायर का इस्तेमाल करें।
     
  • किसी भी चोट से खुद को बचाएं -
    बर्फ में चलते वक्त खुद को गिरने न दें। ऐसे में हड्डियां चटकने का खतरा रहता है।

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बर्फ में गाड़ी फंस जाए तो क्या करें -

  • गाड़ी के बाहरी एग्झॉस्ट से बर्फ हटा दें नहीं तो कार्बन मोनोऑक्साइड बन सकती है।
  • अगर आप किसी बर्फीले तूफान में फंस चुके हैं तो किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचने तक गाड़ी में ही रहें। गाड़ी को बंद कर दें, ठंडी होने पर दोबारा चलाएं। इस तरह आप इंधन बचा पाएंगे।
  • जितनी बार हीटर को ऑन करें उतनी बार साइलेंसर यानि गाड़ी के टेलपाइप को जरूर चेक करें।
  • गाड़ी में खुद को गर्म रखने के लिए थोड़ा व्यायाम करें।
  • पानी पीकर शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
  • अपनी गाड़ी की लाइट ऑन रखें ताकि लोग और सुरक्षा कर्मियों की टीम आपको ढूंढ पाए।
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