पिछले सप्ताह भी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ था, लेकिन इस हफ्ते यह एक बार भी गंभीर स्तर तक पहुंच गया। दिल्ली में मौजूद संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) के अधिकारियों ने कुछ ही दिन पहले टिप्पणी की थी कि राजधानी का वायु प्रदूषण एक “विज़िबल किलर” है। ऐसा इसलिए कहा गया, क्योंकि जहां तक नजर जाती है पूरे वातावरण में सिर्फ धुंध ही धुंध दिखायी देती है।
भारत में मौजूद यूएन एनवायरमेंट प्रोग्राम के वरिष्ठ प्रोग्राम प्रबंध अधिकारी वेलेनटिन फॉलटेस्क्यू ने यूएन न्यूज को बताया कि उत्तर भारत में और खासतौर पर गंगा नदी के मैदानी इलाकों में जो स्थिति दिख रही है वह साफ तौर पर एक विजिबल किलर की तरह है।

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राजधानी है चिंता का विषय
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) द्वारा बताई गई सुरक्षित वायु प्रदूषण सीमा के मुकाबले दिल्ली की हवा 14.3 गुना अधिक प्रदूषित है। दिल्ली की अन्य एशियाई देशों की राजधानी से तुलना की जाए तो कुछ ऐसा पता चलता है-

बीजिंग :
जहां सरकार ने बड़े पैमाने पर 2008 के ओलंपिक से पहले वायु प्रदूषण पर नकेल कसी, वहां वायु प्रदूषण सुरक्षित सीमा से 7.3 गुना अधिक है।

इस्लामाबाद :
पड़ोसी देश पाकिस्तान की राजधानी का वायु प्रदूषण सामान्य तय सीमा से 6.6 गुना अधिक दर्ज किया जा रहा है।

ढाका :
एक और पड़ोसी देश बांग्लादेश की राजधानी ढाका का वायु प्रदूषण डब्लूएचओ द्वारा बताई गई सुरक्षित सीमा से 5.7 गुना अधिक है।

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काठमांडू :
नेपाल जैसे पहाड़ी देश की राजधानी भी इस लिस्ट में शामिल है, यहां का वायु प्रदूषण सुरक्षित सीमा से 4.9 गुना अधिक है।

कोलंबो :
समुद्र के पास स्थित श्रीलंका के इस राजधानी शहर की वायु प्रदूषण सुरक्षित सीमा से 3.6 ऊपर मापी गई।

यह बात तो तय है कि दुनियाभर के हरियाली भरे इलाकों में तेजी से वायु प्रदूषण की स्थिति और भी खराब होती जा रही है। दुनिया के 80 फीसदी शहरों की वायु, डब्लूएचओ द्वारा बताई गई सुरक्षित सीमा से अधिक प्रदूषित है। 

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इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए प्रभावशाली तरीकों की खोज में लगी हुई हैं। 2016 में यूएन इनवायरमेंट, द क्लाइमेट एंड क्लीन एयर कोएलिशन और द वर्ल्ड बैंक ने मिलकर ब्रेथलाइफ कैंपेन की शुरुआत की, इस कैंपेन का लक्ष्य 2030 तक हर व्यक्ति, हर शहर और सरकारों को वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
अभी तक भारत के केवल दो ही शहरों बेंगलुरु और चिलमथुर मंडल जो कि आंध्र प्रदेश में स्थित है, उन्होंने ही ब्रेथलाइफ कैंपेन को अपनाया है।

स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव
आंखों से पानी आना, गले में दर्द होना, छींक आना और सांस लेने में दिक्क्त होना, स्मॉग से होने वाले अस्थायी साइड इफेक्ट्स हैं। बेशक, धुंध के कारण एलर्जी और सांस से सम्बन्धी समस्याएं जैसे अस्थमा और सांस फूलना हो सकते हैं, लेकिन बीमारियों की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। दरअसल, वायु प्रदूषण कैंसर के मामलों में भी इजाफा कर सकता है। बच्चे और बाहर काम करने वाले व्यक्ति इसके सबसे अधिक शिकार होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 44 लाख बच्चे लंग डैमेज की ऐसी स्थिति से ग्रस्त हैं, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। डब्लूएचओ के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण हर साल 70 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।

कैसे करें बचाव
दिल्ली अभी एक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति से जूझ रही है। दिल्ली में जारी ऑड-ईवन योजना (ऑड नंबर वाली गाड़ियां ऑड तारीख पर चलाई जा सकती हैं और ईवन नंबर वाली गाड़ियां ईवन तारीखों पर चलाई जा सकती हैं, कुछ अपवाद के साथ) वायु प्रदूषण को कम करने में “समुद्र में एक बूंद जैसा काम कर रही है”। हालांकि, इस योजना से ट्रैफिक पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ा है।
नवंबर 2019 की शुरुआत में, भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने लोगों को सलाह दी कि वह घरों से बाहर न निकलें और अति-उत्साहित गतिविधियों से परहेज करें, खासतौर से सुबह के समय। निम्न कुछ ऐसे “क्या करें” और “क्या न करें” बातें हैं जिनकी मदद से आप खुद को और अपने प्रियजनों को इस स्थिति में सुरक्षित रख सकते हैं - 

  • ऐसे हाइवे पर न जाएं, जहां आमतौर पर यातायात होना संभावित होता है। जितना हो सके उतना छोटी सड़कों को अपनाएं।
  • सुबह के समय सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही बाहर निकलें।
  • अधिक गंभीर दिनों में बाहर के कार्य न करें।
  • स्वस्थ खाना खाएं : अपने आहार में विटामिन सी और मैग्नीशियम को जरूर शामिल करें।
  • हमेशा मास्क लगाकर रखें।
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