हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह मूलतः समूचे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने वाला कार्यक्रम है। इसे करीब 100 देश मनाते हैं। इस साल चीन इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। 

समूचे विश्व में पर्यावरण दिवस के लिए मौजूदा साल में ‘एयर पल्यूशन’ की थीम को चुना गया है। जबकि भारत में इसे ‘hawa aane de’ की थीम के साथ मनाया जा रहा है। पर्यावरण दिवस के लिए भारतीय सरकार ने ‘सेल्फी विद सैप्लिंग’ अभियान शुरू करने की घोषणा की है, जिसके तहत आम लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि वे पर्यावरण को संरक्षित कर सकें। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वायु प्रदूषण को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने इस साल एक बड़ा ही अजूबा तरीका ढूंढ़ा है, जिसके तहत मंत्रालय ने एक वीडियो भी बनाया है ‘हवा आने दे’ जिसमें कई सारे बॉलिवुड सितारे नजर आ रहे हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस की बात करें तो सन 1972 से इस कार्यक्रम को चलाया जा रहा है। इस साल एयर पल्यूशन (वायु प्रदूषण) पर मुख्यतः जोर दिया जा रहा है। शायद आप इस तथ्य को जानते हों कि समूचे विश्व में 92 फीसदी लोगों को साफ-स्वच्छ हवा नहीं मिलती। प्रति वर्ष वायु प्रदूषण पर 5 ट्रिलियन डॉलर (350 खरब रुपए) का खर्च आता है। वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए इसे अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है, इसमें से बाहरी वातावरण के वायु प्रदूषण से तो आप परिचित ही होंगे, यहां हम आपको इंडोर एयर पल्यूशन के बारे में बता रहे हैं, जो कि आम जनजीवन की जान के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।

(और पढ़ें - गुड़ का सेवन वायु प्रदुषण से रखता है सुरक्षित)

इंडोर एयर पल्यूशन क्या है:
अमूमन गाड़ी और फैक्ट्री से निकला धुआं ही वायु प्रदूषण समझा जाता है। लेकिन वायु प्रदूषण के कई प्रकार हैं। घर में चूल्हे पर खाना पकाने से निकला धुआं, लकड़ी जलाने के दौरान निकला धुआं, कोल जलाने पर निकला धुआं भी वायु प्रदूषण होता है। इसे इंडोर एयर पल्यूशन कहा जाता है। घर में फैले धुएं की वजह से न सिर्फ आपको सांस लेने में तकलीफ देता है बल्कि दीवारों, आपके आहार और कपड़ों में भी चिपकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकर है।

(और पढ़ें - जाने प्रदूषण कैसे बढ़ाता है डायबिटीज का खतरा)

इंडोर एयर पल्यूशन का इंसान पर प्रभाव:

  • वायु प्रदूषण के संपर्क में आने की वजह से इंसान का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इसके प्रभाव तत्कालिक और दीर्घकालिक, दोनों ही होते हैं। तत्कालिक प्रभाव की बात करें, तो यह अस्थाई होते हैं जिसमें आपको निमोनियाब्रोंकाइटिससिरदर्दमतलीथकान हो सकती है। इसके अतिरिक्त फैक्ट्रियों द्वारा बुरी गंध, कूड़ा और सीवर छोड़ा जाता है जो पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
  • दीर्घकालिक प्रभाव की बात करें तो वायु प्रदूषण का असर जब लंबे समय तक चलता है या आजीवन चलता है तो यह दीर्घकालिक प्रभाव कहलाता है। इससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। दीर्घकालिक अन्य प्रभाव हैं- हृदय रोगलंग कैंसर, श्वसन संबंधी समस्या जैसे एम्फसीमा हो सकता है। इसके अलावा अन्य बीमारियां जैसे मस्तिष्क के नर्व को क्षति, किडनी, लिवर और अन्य अंगों का खराब हो जाना हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण की वजह से जन्मजात विकार भी हो सकता है। लगभग 2.5 मिलियन  (2.50 लाख) लोगों की प्रतिवर्ष इंडोर एयर पल्यूशन की वजह से मृत्यु हो जाती है।
  • हालांकि प्रत्येक व्यक्ति का शरीर वायु प्रदूषण पर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। बच्चों और वयस्क, जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है, उन्हें प्रदूषण से होने वाली बीमारियां आसानी से हो जाती हैं। वायु प्रदूषण की वजह से ऐसे लोगों को अस्थमा, हृदय रोग, लंग संबंधी रोग हो सकता है 

पर्यावरण पर वायु प्रदूषण का असर:

  • इंसान की ही तरह जानवर और पौधे भी इससे प्रभावित होते हैं।
  • यही नहीं वायु प्रदूषण इनके रंग और आकार पर असर डालता है।
  • वायु प्रदूषण पानी और मिट्टी को दूषित करता है।
  • इससे फल खराब होते हैं और पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है।

इस संबंध में आप क्या करें:

  • एसी (एरकंडिशनर) का इस्तेमाल कम करें। आपको ज्ञात होगा कि जिस एसी में आप रात को ठंडी हवा में चैन की नींद ले रहे होते हैं, वह पर्यावरण को प्रदूषित करता है। 
  • घरों में पार्टी-फंक्शन में आप धड़ल्ले से डिज्पोजेबल प्लेट का इस्तेमाल करते हैं। इसका भी इस्तेमाल न करें। इससे भी पर्यावरण दूषित होता है। इसके बजाय चीनी मिट्टी की थाली का उपयोग करें। प्लास्टिक के डिस्पोजेबल आइटम पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। दरअसल प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल है यानी यह नष्ट नहीं होता है। इसे जलाने से खास किस्म की गैस निकलती है जो पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • इसी तरह जिस मोबाइल फोन या कंप्यूटर का आप इतने बेधड़क इस्तेमााल कर रहे हैं, वह भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कंप्यूटर और लैपटाॅप से आपका दूर रहना संभव नहीं है। लेकिन अपनी कुछ आदतों में सुधार करके आप प्रदूषण को कम कर सकते हैं। मसलन कंप्यूटर, लैपटाॅप के इस्तेमाल के बाद इन्हें बंद अवश्य करें।

यहां बताए गए उपायों को आज़मा कर आप प्रदूषण को नियंत्रण में ला सकते हैं। जिससे दुनिया जीने के लायक बनेगी और हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ियों को जीने लायक जहां दे पाएंगे।

ऐप पर पढ़ें