अडूसा को संस्कृत में वासा या वसाका और इंग्लिश में मालाबार नट कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम अधाटोडा वासिका (Adhatoda Vasica) है। यह भारत के अधिकांश भागों में एक जंगली झाड़ी के रूप में पाया जाता है और इसे बाड़ बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। अडूसा के पत्ते, फूल, जड़ों और छाल का आयुर्वेद में हजारों साल से प्रयोग होता आया है। इसमें जीवाणुरोधी, सूजन को कम करने वाले और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। मालाबार नट श्वसन रोगों के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य औषधीयों में से एक है। इसके उपयोग से ब्रोंकाइटिस, कफ, ठंड, दमा आदि रोगों में बहुत लाभ होता है। अडूसा सदाबहार झाड़ी होती है जिसकी ऊंचाई 2.2 - 3.5 मीटर तक होती है। इसके फुल सफ़ेद रंग के होते हैं। यह पहाड़ी क्षेत्र छोड़ कर पूरे भारत में पाया जाता है।

  1. अडूसा के फायदे - Vasaka Benefits in Hindi
  2. अडूसा के नुकसान - Vasaka Side Effects in Hindi

अडूसा वासा करे दूर ब्रोंकाइटिस की परेशानी - Vasa Herb Uses for Bronchitis in Hindi

ब्रोन्कियल ट्यूबों के लिए वसाका के एंटीसेप्टिक प्रभाव होते हैं। यह ब्रोन्कियल ट्यूबों की सूजन को कम कर देता है और इसके कफोत्सारक प्रभावों के कारण जमे हुए बलगम को कम कर देता है। यह ब्रोन्कियल ट्यूब्स को साफ करता है और खांसी, थकान, श्वास और ब्रोंकाइटिस से जुड़ी सीने की परेशानी को कम कर देता है।

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वसाका के अन्य फायदे - Other Benefits of Adusa in Hindi

बिच्छू के जहर को निकालने के लिए काले अडूसे की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर काटे हुए स्थान पर इसका लेप करें।

मुँह में छाले हो जाने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उसके रस को चूसने से फ़ायदा होता है। पत्तों को चूसने के बाद थूक दें।

वसाका की लकड़ी से नियमित रूप से ब्रश करने से दांत और मुंह के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।

वासा के पके हुए पत्तों को गर्म करके सिंकाई करने से जोड़ों का दर्द, लकवा और दर्दयुक्त चुभन में आराम मिलता है।

हरड़, बहेड़ा, आंवला, वासा, गिलोय, कटुकी, पिपली की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े में 20 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है। (और पढ़ें – बुखार का घरेलू इलाज)

अडुळसा काढा है ब्लीडिंग में उपयोगी - Vasaka Leaves Benefits for Bleeding disorders in Hindi

5 ग्राम हरतकी, 5 ग्राम विटिस विनीफेरा और 5 ग्राम अडूसा के पत्तो को 400ml पानी में उबाले काढ़ा बनाने के लिए और जब पानी 100ml रह जाए तो पानी को ठंडा कर लें। और काढ़े में 1 चम्मच शहद मिलाएँ और दिन में दो बार पिएं। इसके अलावा अडूसा की जड़ की छाल और पत्तों का काढ़ा बराबर की मात्रा में मिलाकर 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से नाक और आंतरिक रक्तस्राव की तकलीफ दूर होती है।

अडूसा का पौधा यूरैमिया के लिए - Adusa ka Paudha for Uraemia in Hindi

यूरैमिया रक्त में ऊंचे यूरिया स्तर और नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थ की एक कंडीशन होती है यह आमतौर पर तीव्र गुर्दे की चोट और क्रोनिक गुर्दे की विफलता में होता है। ऐसे मामले में, गुर्दे इन विषैले अपशिष्टों को खत्म करने में असमर्थ हो जाते हैं।

वासा फूल की पंखुड़ी है आँखों के लिए उपयोगी - Adulsa Flower for Eyes in Hindi

इसके फूलों की पंखुड़ी को घी में भून लें। ठंडा होने पर 20 मिनट के लिए आँखों पर रखें।

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अडुळसा औषधी लिवर की समस्या के लिए - Malabar Nut Benefits for Liver in Hindi

भोजन के बाद शहद के साथ इसके पत्तो का रस पीने से रस (1-2 चम्मच) लिवर की समस्या में आराम मिलता है। 

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वसाका के फायदे हैं गले की खराश के लिए - Adusa Juice for Hoarse Voice in Hindi

1 चम्मच वासा रस को दो चम्मच शहद के साथ भोजन के बाद दिन में दो बार लेने से गले की खराश में आराम मिलता है।

अडूसा के औषधीय गुण करें एसिडिटी को दूर - Vasaka Medicinal Uses for Acidity in Hindi

वासा अपच, गैस्ट्रिटिस या एसिडिटी में अच्छे परिणाम देता है। यह पेट में एसिड के गठन को कम कर देता है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह गैर-अल्सर अपच, अतिसुरक्षा और जठरांत्र वाले मरीजों में हेयरी सेल ल्यूकेमिया को कम कर देता है। वसाका पाउडर, मुलेठी पाउडर, आवला पाउडर को बराबर मात्रा में लेकर मिक्स कर लें और दैनिक रूप से सेवन करें। 

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वसाका पाउडर है अल्सर में उपयोगी - Vasaka Powder for Ulcer in Hindi

वैज्ञानिक अध्ययन और विश्लेषण के अनुसार, वसाका में एंटीअल्सर गुण होते हैं। एस्पिरिन सहित NSAIDs के कारण इसकी पत्तियां अल्सर को कम कर सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, यह रक्तस्राव विकारों और अल्सरेशन में फायदेमंद होता है। यह पेप्टिक और डुओडानल अल्सर में मदद कर सकता है। इसके लिए 1 ग्राम वसाका पाउडर, 1 ग्राम मुलेठी और 250 मिलीग्राम शतावरी पाउडर के मिश्रण का सेवन करें। 

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मालाबार नट है दस्त के उपचार के लिए - Malabar Nut Leaves for Diarrhea in Hindi

दस्त और पेचिश के उपचार के लिए में इसकी पत्तियों का रस 2 से 4 ग्राम की मात्रा देना चाहिए। इसके अलावा पाइल्स में अडूसा के काढ़े को पीने से आराम होता है।

अडूसा के गुण दिलाएँ गठिया दर्द से राहत - Adusa ke Fayde for Arthritis in Hindi

इसके पत्तों में जीवाणुरोधी और सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। पत्तियों से लेप तैयार करें और प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएँ। यह जीवाणुरोधी होने के कारण घाव को ठीक करने में भी मदद करता है। लेप लगाने से गठिया के लक्षणों से राहत मिलती है। वसाका भी जोड़ो के दर्द को कम कर देती है। यह अन्य जड़ी-बूटियों के साथ, यूरिक एसिड को कम करने में मदद करती है और गाउट के साथ जुड़ी दर्द और कोमलता में मदद करती है। इसका उपयोग गिलोय और एमाल्टस (कैसिया फास्ट्यूला) के साथ गाउट संधिशोथ में किया जाता है।

अडूसा का उपयोग है मासिक धर्म में फायदेमंद - Adusa ka Upyog for Menstruation in Hindi

मासिक धर्म में अधिक रक्त स्राव से बचने के लिए दिन में दो बार 15ml अडूसा की पत्तियों का रस 15 ग्राम गुड़ के साथ लेना चाहिए।

(और पढ़े - मासिक धर्म के समय पेट दर्द से पाएं निजात इन आसान तरीकों से)

अडुळसा उपयोग करे तपेदिक में - Vasa Leaves for Tuberculosis in Hindi

अडूसा टी.बी. या तपेदिक में बहुत लाभ करता है इसका किसी भी रूप में नियमित सेवन करने वाले को खांसी से छुटकारा मिलता है। तपेदिक में वासा के पत्तों के रस को शहद और अदरक के रस के साथ दिन में तीन बार लें। इसके अलावा 10 ग्राम अडूसा के फूलों का चूर्ण और इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 गिलास दूध के साथ सुबह शाम 6 महीने तक नियमित रूप से खाएँ।

अडूसा के फायदे करें अस्थमा में मदद - Adulsa for Asthma in Hindi

अडूसा में सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। यह अस्थमा में मदद करता है और वायुमार्ग और फेफड़ों की सूजन को कम करता है। इसके अलावा, अडूसा में पाया गया वासीसीन कम्पाउन्ड ब्रोन्कोोडिलेटर है, जो साँस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और अस्थमा के कारण हो रही घरघराहट को कम करता है। इसके लिए 5ml अडूसा की पत्तों का रस, 2.5ml अदरक का रस और 5ml हनी को मिक्स करके लें।

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अडूसा के पत्ते हैं सर्दी खाँसी के लिए लाभकारी - Adulsa Leaves for Cough in Hindi

अडूसा के पत्तों को एक स्पून ताज़ा रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से खांसी और रक्त स्राव में राहत मिलती है। इसके अलावा इस पौधे के 7-8 पत्तों को पानी में उबाल लें। उसके बाद पानी को छान कर शहद के साथ लें।

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अडूसा में जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। इसलिए यह श्वसन प्रणाली के विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया संक्रमणों में सहायक होता है। अडूसा के एंटीवायरल औषधीय गुण इसको वायरल रोगों में प्रभावी बनाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग सामान्य सर्दी में करते हैं।

जिनको साइनस की परेशानी और एलर्जी है, वे वासा की ताजी पत्तियों का रस निकालकर 3 - 4 बूँद रस को नाक में डालें। इससे साइनस में लाभ होगा।

अधिक सेवन से जलन और उल्टी हो सकती है।

इस जड़ी बूटी को अन्य दवाओं या खुराक के साथ ले जाने पर सावधानी रखनी चाहिए।

मधुमेह वाले रोगियों को इस दवा का उपयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है।

1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में इसका उपयोग करना सुरक्षित है।

स्तनपान और गर्भावस्था में सुरक्षा को लेकर वसाका के कच्चे रूप के लिए कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं है। आयुर्वेद में, अदरक के साथ वसाका का उपयोग मतली, उल्टी, एसिडिटी के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। इसलिए कम समय के लिए उपयोग गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सुरक्षित हो सकता है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें अडूसा है

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