चेन्नई में टीसीएस के टेक डिपार्टमेंट में काम करने वाले मोसेस रंजन राज का दिल का दौरा पड़ने की वजह से ऑफिस में ही मौत हो गई। खबरों की मानें तो उन्हें अपने डेस्क के पास ही दौरा पड़ा था जिसके बाद वो जमीन पर गिर गए थे। हालांकि, 41 वर्षीय मोसेस को तुंरत चेत्तीनाद अस्पताल ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई।

इस घटना के बाद फोरम फाॅर एंप्लाइज (एफआईटीई) ने तमिलनाडु में आई.टी क्षेत्र के लिए एक ट्रेड यूनियन का गठन किया जिसका आरोप है कि जिस कंपनी में मोसेस काम करते थे वो अपने कर्मचारियों को पूर्ण चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने में विफल रही है।

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मोसेस के साथ जो हुआ उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि ज्यादातर काॅरपोरेट कंपनियों में तनाव का स्तर बढ़ गया है। इसका मतलब है कि तनाव की वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग बीमार पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हर ऑफिस में आवश्यकता अनुसार तत्काल चिकित्सकीय सेवा मुहैया करवाई जाए।

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गुड़गांव में स्थित मेदांता हॉस्पिटल के डाॅक्टर का मानना है कि मौजूदा समय में वर्क कल्चर में बहुत कुछ बदल गया है। मेदांता के इंटरनल डिपार्टमेंट से जुड़ी डाॅ. सुशीला कटारिया कहती हैं, "आई.टी और बीपीओ जैसे क्षेत्रों में युवा ज्यादा काम करते हैं। यहां पर काम करने के समय को लेकर कोई समय सीमा नहीं है और खाने एवं सोने का समय भी अनियमित है जबकि यहां पर तनाव का स्तर बहुत ज्यादा है। यही वजह है कि युवा वर्ग को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ज्यादा हो रही हैं।’

ऑफिस में मेडिकल सुविधाएं मुहैया करवाना कई तरह से फायदेमंद है। इससे गंभीर स्थिति में जैसे अस्थमा अटैक, हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने पर मरीज को अस्पताल ले जाने से पहले ही सम्भव इलाज दिया जा सकता है।

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इसकी मदद से बुखार, खांसी और संक्रमण जैसी सामान्य बीमारियों का सही समय पर उपचार किया जा सकेगा, जिससे की कर्मचारियों को इनकी वजह से छुट्टी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

अगर ऑफिस में ही हेल्थ सर्विस मिल जाए तो कर्मचारी आसानी से अपना इलाज करवा सकते हैं और इससे कम्पनी की प्रॉडक्टिविटी पर भी असर नहीं पड़ेगा। कर्मचारी पूरे दिन की छुट्टी लेने की बजाय चेकअप के बाद काम पर जा सकते हैं। 

डाॅक्टर भी यह महसूस करते हैं कि कार्यालयों में मेडिकल सुविधा आसानी से मिलने की वजह से कर्मचारियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उन्हें लगता है कि कंपनी अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य की फिक्र करती है। नतीजतन, उनके काम की गुणवत्ता बेहतर होती है।

डाॅ. कटारिया का कहना है कि "दफ्तरों में बीमार होने की वजह से कर्मचारी कम छुट्टी लेंगे। साथ ही वर्कर्स भी सुनुश्चित रहेंगें कि सेहत खराब होने पर उन्हें कहीं बाहर जाना नहीं पड़ेगा और ऑफिस में ही उनका इलाज हो जाएगा। इस सुविधा से मोसेस की तरह मरने वाले कर्मचारियों की संख्या भी कम हो सकती है।

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