16 अक्टूबर 1945 के दिन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन FAO) की स्थापना हुई थी और इसी के सम्मान में हर साल 16 अक्टूबर को दुनियाभर में वर्ल्ड फूड डे यानी खाद्य दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड फूड डे की स्थापना FAO के सदस्य राष्ट्रों ने 1979 में की थी ताकि भोजन, पोषण और कृषि से संबंधित वे समस्याएं जो दुनिया में विपत्ति का कारण बन रही हैं उन्हें पूरे विश्व के सामने उजागर किया जा सके। हर साल भोजन और पोषण से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ल्ड फूड डे की एक अलग थीम तैयार की जाती है।

2020 की फूड डे की थीम को कोविड को ध्यान में रखकर बनाया गया 
FAO के 75 साल पूरे होने के मौके पर वर्ल्ड फूड डे 2020 की थीम है, "ग्रो, नरिश, सस्टेन टूगेदर यानी बढ़ो, पोषण प्राप्त करो, साथ में बढ़ना जारी रखो।" इस थीम को कोविड-19 महामारी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है क्योंकि FAO का मानना ​​है कि इस महामारी ने मानव जाति को इस बात को प्रतिबिंबित करने का समय दिया है और उस चीज का मूल्य समझने का मौका दिया है जिसका बहुत से लोग महत्व नहीं समझते तो वहीं बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें दुर्भाग्य से वह चीज मिल भी नहीं पाती और वह है- भोजन। जो लोग इस भोजन या खाद्य पदार्थ को दुनियाभर के लोगों तक पहुंचाने के लिए उसे उगाते हैं, उसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं, उन्हें सेलिब्रेट करते हुए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक सभी लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना ही मौजूदा समय की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। उचित भोजन और पोषण से भरपूर चीजों का सेवन करना, संक्रमण और बीमारियों को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकता है जिसमें कुपोषण भी शामिल है।

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महामारी के दौरान घर पर भोजन उगाने का महत्व
अपने भोजन और खाद्य पदार्थों को खुद ही उगाना, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में किचन गार्डेन के माध्यम से, प्रकृति के साथ अपने संबंध को बनाए रखना और ऊपर बताए गए स्वास्थ्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। यहां तक की कोविड-19 महामारी के दौरान भी। अपने घर की बालकनी में, खिड़की की देहली पर और घर के अन्य हिस्सों में छोटा सा किचन गार्डेन बनाए रखने की प्रवृत्ति ने हाल ही में भारत भर में लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दिया है, खासकर कोविड-19 महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन पीरियड के दौरान जब परिवार के ज्यादातर सदस्य घर पर ही रहते थे और घर से ही काम करते थे।

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इटली में किचन गार्डन ने कैसे की लोगों की मदद
अप्रैल 2020 में ह्यूमन इकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि कैसे इटली के विभिन्न शहरों में अपार्टमेंट बिल्डिंग में सामुदायिक और व्यक्तिगत स्तर पर बने किचन गार्डेन ने वहां रहने वाले लोगों को कई तरह के लाभ प्रदान किए जिसमें समुदाय और सुरक्षा की भावना भी शामिल है और वह भी ऐसे समय में जब पूरे देश में महामारी फैली हुई थी। इस लेख में यह भी बताया गया है कि अपनी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक सेहत में सुधार करते हुए वहां के निवासियों ने अपने भोजन और पोषण की जरूरतों को भी पूरा किया।

किचन गार्डेन बनाए रखने के हैं कई फायदे
ह्यूमन इकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित इस लेख के नतीजे पूरी तरह से कई अन्य अध्ययनों के अनुरूप हैं, जिन्होंने बीते कई वर्षों से सामुदायिक उद्यान (कम्यूनिटी गार्डन) और किचन गार्डन के लाभों को रेखांकित किया है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में। उदाहरण के लिए, अपने घर में मौजूद पुरानी बाल्टी या टब का गमले के रूप में रीयूज करना उन सब्जियों या जड़ी-बूटियों से बीज लेकर जिनका सेवन आप रोजाना करते हैं, जैसे- बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्च, पुदीना, तुलसी या हरी मिर्च- ऐसा करना बेहद किफायती है। घर में ही एक किचन गार्डन को बनाए रखने के सेहत से जुड़े क्या-क्या लाभ हो सकते हैं, यहां जानें:

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1. पोषण संबंधी फायदे : साल 2012 में जर्नल ऑफ कम्यूनिटी हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि जिन परिवारों में घर में किचन गार्डन होता है उनमें खाद्य सुरक्षा की स्थिति बेहतर होती है और वे सब्जियों का भी अधिक सेवन करते हैं। सब्जियां, संतुलित आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं और हर दिन सब्जियों की पांच सर्विंग्स खाने से आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में डाइट्री फाइबर, विटामिन, खनिज, फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स भी मिल सकता है। बदले में यह आपके इम्यून सिस्टम को स्वस्थ बनाए रखने और बीमारियों को आपसे दूर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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2. शारीरिक लाभ : क्लिनिकल मेडिसिन नाम की पत्रिका में साल 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि बागवानी- फिर चाहे वह बालकनी में हो या फिर अच्छी तरह से लगाए गए किसी बगीचे में- न केवल आपको सूरज की रोशनी दिलाने में मदद करता है जिससे शरीर में विटामिन डी का लेवल बढ़ता है, बल्कि कैलोरीज को जलाने में भी मदद मिलती है। खुदाई करना, उखाड़ना, घास काटना, पौधों को एक जगह से उठाकर दूसरी जगह रखना जैसे ये सारे काम मध्यम तीव्रता वाली गतिविधियों के तहत आते हैं और आपको शारीरिक रूप से उतना ही फिट रख सकते हैं जितना आप जिम जाकर रह सकते हैं। सिर्फ यह सुनिश्चित करें कि आप रोजाना अपने किचन गार्डन में कम से कम 30 से 45 मिनट तक का समय बिताएं।

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3. मनोवैज्ञानिक लाभ : हॉर्टिकल्चर थेरेपी जिसे एक स्टडी के तौर पर इंटरनैशनल जर्नल ऑफ इन्वायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में जनवरी 2020 में प्रकाशित किया गया था उसमें बताया गया है कि, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कई मनोवैज्ञानिक मुद्दों का इलाज करने के लिए हॉर्टिकल्चर थेरेपी का उपयोग किया जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि बागवानी में शामिल होने से- विशेष रूप से अपने परिवार के लोगों या प्रियजनों के साथ- अवसाद, तनाव, चिंता और मनोदशा संबंधी विकारों में कमी आ सकती है और मनोरंजन, सामाजिक और सांप्रदायिक आदतों में सुधार भी हो सकता है।

4. संज्ञानात्मक फायदे : इंटरनैशनल जर्नल ऑफ इन्वायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में साल 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, नियमित रूप से बागवानी की गतिविधियों में शामिल होने से संज्ञानात्मक कार्य में सुधार हो सकता है, विशेष रूप से बुजुर्गों में। अध्ययन बताता है कि ब्रेन-डिराइव्ड-न्यूरोट्रॉफिक-फैक्टर (मस्तिष्क-व्युत्पन्न  न्यूरोट्रॉफिक कारक BDNF) और प्लेटलेट-डिराइव्ड-ग्रोथ-फैक्टर (प्लेटलेट-व्युत्पन्न वृद्धि कारक PDGF) के रूप में जाना जाने वाले दो प्रमुख मस्तिष्क-विकास कारकों का स्तर बागवानी करते समय काफी बढ़ जाता है, जिससे स्मृति और संज्ञानात्मक कौशल में सुधार होता है।

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