लटकती तोंद की जब बात आती है तब आप जिम या घर पर घंटों तक एब्स की एक्सरसाइज करते हैं। कई लोग तो सिर्फ कार्डियो की एक्सरसाइज ही करते हैं। इस स्थिति में कहीं न कहीं लोअर बॉडी (कमर से लेकर पैर) की एक्सरसाइज को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लोअर बॉडी की एक्सरसाइज न सिर्फ आपके शरीर को ताकतवर बनाती है, बल्कि यह आपकी लटकती हुई तोंद को भी कम करती है।

ज्यादातर लोग लोअर बॉडी की एक्सरसाइज में काल्व्स या हेमस्ट्रिंग को नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि शरीर के इन हिस्सों में नतीजे दिखने में समय लगता है। इसके अलावा बाजू और कंधे दूसरे ऐसे हिस्से हैं, जिनकी नियमित रूप से एक्सरसाइज करने पर आपको तुरंत अच्छे नतीजे दिखने लगते हैं।

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ऐसे में अच्छे बाइसेप्स और चेस्ट के साथ लटकती हुई तोंद देखने में क्या सही रहेगी? यदि आप लोअर बॉडी की एक्सरसाइज को अनदेखा करते आ रहे हैं, तो पेट के मोटापे को कम करने में इनकी अहमियत के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।

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स्कॉट्स बनाएगें तोंद को फैट-टु-फिट
इस एक्सरसाइज को करने से आपके पैरों में मांसपेशियां (क्वॉर्डिसेप्स, हेमस्ट्रिंद और काल्व्स की मांसपेशियां) बनती हैं लेकिन इसे करने से आपके शरीर में एनाबॉलिक माहौल भी तैयार होता है, जो आपकी बॉडी बनाने में अहम भूमिका अदा करता है।

असल में, जब आप इस एक्सरसाइज को सही तरीके से करते हैं तो इससे हमारे शरीर में टेस्टोस्टेरोन और ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन बढ़ता है, जो मांसपेशियों के विकास के लिए अहम होता है। इसके अतिरिक्त पैरों की एक्सरसाइज के अलावा यदि आप शरीर के दूसरे हिस्सों की एक्सरसाइज करते हैं, तो इन हिस्सों में मांसपेशियों को बनने में मदद मिलती है। वास्तव में स्कॉट्स की एक्सरसाइज शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से को मजबूत करती है।

जब बनती है ज्यादा ‘मसल्स’ तो घटती है चर्बी
असल में शरीर में ज्यादा मांसपेशियां बनने से ज्यादा कैलोरी खर्च होती हैं। इसमें प्रत्येक अतिरिक्त किलो मांसपेशियां आपके शरीर में बनने से आपका शरीर रोजाना 50-70 ज्यादा कैलोरी खर्च करता है। यदि आप 4.5 किलो ‘मसल्स’ बढ़ाते हैं तो आपका शरीर अपने आप ही प्रति दिन 500-700 अतिरिक्त कैलोरी को खर्च करता है जो कि आप इससे पहले नहीं करते थे।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज के रूप में लेग रेजेज को कैलोरी खर्च करने से ज्यादा मांसपेशियां बनाने के रूप में जाना जाता है। एक 70 किलोग्राम वजन वाली महिला इस एक्सरसाइज और शरीर के वजन पर की जाने वाली दूसरी एक्सरसाइज को करते हुए 30 मिनट में करीब 167 कैलोरी खर्च करती है।

यह एक्सरसाइज करने से आपके पेट के निचले हिस्से की मांसपेशी जिसे रेक्ट्स अब्डॉमिनल कहा जाता है, वह मजबूत होती है। साथ ही यह एक्सरसाइज आपके पेट की मांसपेशियों और त्वचा के बीच मौजूद सबक्यूटेनियस फैट की परत को टारगेट करती है।

क्सरसाइज के बाद भी खर्च होती हैं कैलोरी
वैसे तो लोअर बॉडी की एक्सरसाइज में स्कॉट्स से लेकर हेमस्ट्रिंग कर्ल तक आते हैं। इन एक्सरसाइज में पैरों की कई मांसपेशियां सक्रिय होती हैं या यूं कहें कि उन मांसपेशियों की कोशिकाओं में टूटफूट होती है, जिससे नई कोशिकाएं बनती हैं। इसी प्रक्रिया के तहत शरीर में नई मांसपेशियां विकसित होती हैं। लेकिन इसके अलावा लोअर बॉडी की एक्सरसाइज करने के बाद अगले 2 दिन तक आपकी कैलोरी खर्च होती हैं, भले ही आप एक्सरसाइज न कर रहे हों।

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एक्सरसाइज के बाद भी कैलोरी खर्च (आफ्टरबर्न इफेक्ट) होने की प्रक्रिया को एक्सेस पोस्ट-एक्सरसाइज ऑक्सीजन कंज्मशन या सामान्यतः ईपीओसी के नाम से जाना जाता है। आसान भाषा में इसका अर्थ है कि एक्सरसाइज करते वक्त तो हमारा शरीर ऊर्जा के रूप में कैलोरी खर्च करता ही है, लेकिन एक्सरसाइज के बाद भी अगले 48 घंटों तक वह मांसपेशियों की रिकवरी के लिए ज्यादा कैलोरी खर्च करता है। कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि कठिन एक्सरसाइज और एक्सरसाइज के बाद कैलोरी ‘बर्निंग’ में मजबूत संबंध है।

इसमें जितनी ज्यादा कठिन एक्सरसाइज आप करते हैं उतनी कैलोरी एक्सरसाइज के बाद खर्च होती हैं। यह नियम लोअर बॉडी की एक्सरसाइज पर भी लागू होता है। एक अध्ययन में हिस्सा लेने वाले लोगों ने 45 मिनट तक तेज साइकिलिंग की। उन्होंने अगले 14 घंटों में करीब 190 कैलोरी ज्यादा खर्च की, इस दौरान उन्होंने कोई भी एक्सरसाइज नहीं की थी।

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वहीं लोअर बॉडी की एक्सरसाइज यानि स्कॉट्स करने से मांसपेशियां बनती हैं। शरीर के इस हिस्से में बनने वाली मांसपेशियां ग्लूकोज, लिपिड मेटाबॉलिज्म और इंसुलिन की संवेदनशीलता को नियमन करने की प्रक्रिया में हिस्सा लेती हैं। इससे आपको मोटापे, शुगर और दिल की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।

संदर्भ

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