मासिक धर्म के दौरान महिलाएं जिन समस्याओं से गुजरती हैं, उनसे उनकी रोजाना की गतिविधियों पर खासा प्रभाव पड़ता है। पीरियड्स में होने वाला डिसकम्फर्ट आमतौर पर सहनीय होता है, लेकिन ब्लीडिंग में होने वाला दर्द (डिसमेनोरिया) इतना गंभीर हो सकता है कि महिला के दैनिक जीवन में हस्तक्षेप कर सके। आधुनिक हेल्थकेयर और एलोपैथिक मेडिसिन सिस्टम में इस समस्या के समाधान हैं, लेकिन जानकार कहते हैं कि उनके दीर्घकालिक नुकसानदेह साइड इफेक्ट भी हैं। हालांकि अब आयुर्वेद के जरिये इस प्रॉब्लम को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। खबर के मुताबिक, भारत में पहली बार एक केस स्टडी के आधार पर मैन्स्ट्रुअल क्रैम्प या प्राइमरी डिसमेनोरिया का ज्यादा स्थिर, हर्बल और आयुर्वेदिक सॉल्यूशन निकालने का दावा किया गया है।

(और पढ़ें - कोविड-19 से जुड़े साइटोकिन स्टॉर्म को कम कर सकती है भांग से बनी सीबीडी दवा - वैज्ञानिक)

समाचार एजेंसी आईएएनएस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि भांग के पौधे से आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट के निर्माण से जुड़ी एक कंपनी हेम्पस्ट्रीट ने अपनी एक दवा त्रिलोक्य विजय वटी से एक महिला के मेन्स्ट्रुअल क्रैंप को ठीक करने का दावा किया है। स्टडी के आधार पर कंपनी का कहना है कि महिला 12 सालों से मासिक धर्म में होने वाले दर्द से परेशान थी और दैनिक जीवन के सामान्य करने में खासी दिक्कत महसूस करती थी। पीरियड्स के दौरान वह कुछ मिनट से ज्यादा एक जगह बैठ भी नहीं सकती थी। लेकिन त्रिलोक्य विजय वटी के सेवन से उसकी हालत में सुधार देखने को मिला है। इस आधार पर दवा बनाने वाली कंपनी का कहना है कि भांग का पौधा इसके निर्माण में शामिल किए गए प्रमुख इनग्रेडिएंट में से एक है और मैन्स्ट्रुअल तथा स्पैस्म जैसे सॉफ्ट टिशू वाले मसल पेन से राहत देने में प्रभावी है।

(और पढ़ें - भांग के बीज के फायदे)

दवा के बारे में जानकारी देते हुए हेम्पस्ट्रीट के सह-संस्थापक श्रेय जैन ने बताया, 'हमारे देश में मासिक धर्म को बहुत ज्यादा गलत तरीके से देखा जाता है। (इसलिए) पीरियड में होने वाले दर्द को अक्सर अनदेखा किया जाता है, जो महिलाओं की जीवन शैली को काफी प्रभावित करता है। उनके काम के घंटे इससे तनावपूर्ण और दर्द भरे गुजरते हैं। लेकिन एक सच यह भी है कि महिलाओं ने (मासिक धर्म से जुड़े) क्रैम्पिंग पेन को काफी खराब तरीके से वर्णित किया है।' जानकारों के मुताबिक, एक महिला अपने जीवनकाल में करीब 450 बार मेन्स्ट्रुअल साइकिल से गुजरती है। विडंबना यह है कि मॉडर्न मेडिकल साइंस के तहत तैयार की गई दवाएं दीर्घकालिक इस्तेमाल के कारण गंभीर नुकसानदेह दुष्प्रभाव छोड़ सकती हैं। हेम्पस्ट्रीट का दावा है कि 21वीं सदी की महिलाओं के लिए त्रिलोक्य विजय वटी इसका बेहतर विश्वसनीय, सुरक्षित और आयुर्वेदिक समाधान हो सकती है।

ऐप पर पढ़ें