हिमालया हिम्कोलिन जेल क्या है - What is Himalaya Himcolin Gel in Hindi
हिमालय हिमोकोलिन जेल हिमालय हर्बल द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक दवा है। हिमकोलीन जेल एक क्रीम है जिसका प्रयोग विशेष रूप से जननांग (groin area) और लिंग के ऊतक ( penile tissue) में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह लिंग के ऊतक (penile tissu) की रक्त वाहिका को फेलाने में मदद करता है जिससे रक्त लिंग तक पहुँचता है। यह लिंग को मजबूत तनाव प्रदान करता और लिंग में लम्बे समय तक तनाव रखने की शक्ति को बढ़ाने के साथ स्खलन का समय भी बढ़ाता है।
हिमालया हिम्कोलिन जेल कैसे काम करता है - How does Himalaya Himcolin Gel work in Hindi
हिमालया हिमाकोलीन जेल का प्रयोग लिंग में तनाव लाने, लिंग में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ लिंग में तनाव को बनाए रखने के लिए किया जाता है और इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। हिमालय हिमाकोलीन जेल विभिन्न प्रकार की आयर्वेदिक सामग्रियों से मिलकर बना हैं। जिसमे ज्योतिषमती, लथकस्थुरी, वाथादा, निर्गुंडी, करपासा, मुकुलका, जतिफालम, जातिपत्री, लावांगा और ताजा शामिल है।
- ज्योतिषमती का उपयोग संधिवाद (rheumatism) के इलाज के लिए किया जाता है।
- लथकस्थुरी एक प्राकृतिक उभयलिंगी (natural aphrodisiac) और उत्तेजक है।
- वथदा एक प्राकृतिक (diuretic) मूत्रवर्धक है।
- निर्गुंडी में प्राकृतिक एंटी-फंगल गुण हैं।
- करपासा यौन कार्य को बढ़ाता है और एक प्राकृतिक कामोद्दीपक (aphrodisiac) है।
- जतिफलम, जातिपत्री, और लावांगा उभयलिंगी (natural aphrodisiac) हैं, जबकि ताजा का प्रयोग जठरांत्र (gastro intestinal) के विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
Himalaya Himcolin Gel की सामग्री
- Himalaya Himcolin Gel Active Ingredients in Hindi
ज्योतिषमति
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कामेच्छा को तेज करने वाले घटक।
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लिंग को उत्तेजित करने वाले तत्व।
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मुश्कदाना
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ये तत्व यौन इच्छा को बढ़ाते हैं।
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लिंग को उत्तेजित करने वाले तत्व।
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Himalaya Himcolin Gel के लाभ
- Himalaya Himcolin Gel Benefits in Hindi
Himalaya Himcolin Gel इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
Himalaya Himcolin Gel की खुराक
- Himalaya Himcolin Gel Dosage in Hindi
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Himalaya Himcolin Gel की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Himalaya Himcolin Gel की खुराक अलग हो सकती है।
आयु वर्ग |
खुराक |
व्यस्क |
- मात्रा:
आवश्यकतानुसार प्रयोग करें
- अधिकतम मात्रा:
1
दवा को उप्युक्त मात्रा मे प्रभावित हिस्से में लगाएं
- दवा का प्रकार:
जेल
- दवा लेने का माध्यम:
त्वचा
- आवृत्ति (दवा कितनी बार लेनी है):
दिन में दो बार
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बुजुर्ग |
- मात्रा:
आवश्यकतानुसार प्रयोग करें
- अधिकतम मात्रा:
1
दवा को उप्युक्त मात्रा मे प्रभावित हिस्से में लगाएं
- दवा का प्रकार:
जेल
- दवा लेने का माध्यम:
त्वचा
- आवृत्ति (दवा कितनी बार लेनी है):
दिन में दो बार
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Himalaya Himcolin Gel के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - Himalaya Himcolin Gel Side Effects in Hindi
चिकित्सा साहित्य में Himalaya Himcolin Gel के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Himalaya Himcolin Gel का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
Himalaya Himcolin Gel से सम्बंधित चेतावनी - Himalaya Himcolin Gel Related Warnings in Hindi
Himalaya Himcolin Gel का उपयोग कैसे करें?
- Himalaya Himcolin Gel को अपनी उंगलियों पर लें और थप-थपा कर प्रभावित हिस्से पर लगा लें। Himalaya Himcolin Gel लगाने के बाद अपने हाथों को ठीक तरह से धो लें।
Himalaya Himcolin Gel से जुड़े सुझाव।
- प्रभावित स्थान को सामान्य या गुनगुने पानी से साफ करना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि Himalaya Himcolin Gel लगाने से पहले प्रभावित हिस्सा अच्छी तरह साफ हो जाए।
- Himalaya Himcolin Gel का उपयोग करने के बाद कुछ देर के लिए आराम करना उचित होता है।
- Himalaya Himcolin Gel की अत्यधिक मात्रा का उपयोग न करें। इसे निर्धारित मात्रा में ही इस्तेमाल करें।
- Himalaya Himcolin Gel को ठंडे, सूखे और सामान्य से कम तापमान पर रखें। Himalaya Himcolin Gel को फ्रिज में न रखें।
- अगर आपको Himalaya Himcolin Gel के उपयोग के बाद एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया का अनुभव हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर आप गर्भवती हैं तो Himalaya Himcolin Gel के उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें।
- नवजात को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को Himalaya Himcolin Gel के प्रयोग से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श ले लेना चाहिए।
- Himalaya Himcolin Gel की एक भी खुराक छूट जाने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- Himalaya Himcolin Gel के इस्तेमाल के दौरान प्रभावित स्थान पर गर्म पानी के प्रयोग से बचें।
हिमालया हिम्कोलिन जेल का उपयोग कब करना चाहिए - When to use Himalaya Himcolin Gel in Hindi
हिमकोलीन जेल बाहरी उपयोग के लिए है। इसे लिंग की त्वचा पर लगाया जाता है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे यौन गतिविधि से कम से कम 20-30 मिनट पहले इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हालांकि इसे दैनिक रूप से भी इस्तेमाल किया जा सकता है ,चाहे आपने यौन क्रिया की हो या नहीं।
- हिमकोलिन लगाने से पहले लिंग को धोने और सुखाने की सलाह दी जाती है।
- ट्यूब से जेल पर्याप्त मात्रा में निकालें ताकि इसे लिंग और आसन्न जघन्य (pubic area) पर लगाया जा सके। अब धीरे-धीरे पूरे लिंग और आसन्न क्षेत्र में इसे रगड़ें और 10 से 15 मिनट तक मालिश करें ।
- मालिश करने के बाद 30 मिनट तक यौन गतिविधि में शामिल ना हो।
- सैक्स से पहले हिमकोलिन जेल को धोना जरूरी नहीं है क्योंकि यह योनि के लिए हानिकारक नहीं है। आधे घंटे के बाद यदि आप चाहे तो इसे धो सकते हैं।
- यदि आप (या आपके साथी) को हिमकोलिन का प्रयोग करने के बाद खुजली, जलन या लाली महसूस होती है तो इसका मतलब है कि आप या आपके साथी को इस से एलर्जी है। इस तरह के मामले में इसे तुरंत धो लें और इसका उपयोग न करें।
हिमकोलिन जेल का प्रयोग करने के बाद सैक्स करना जरूरी नहीं है।
क्या हिमकोलिन जेल का उपयोग हमेशा किया जा सकता है - Is it safe to use Himcolin Gel daily in Hindi
स्वस्थ आदमी लिंग की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उसके रक्त परिसंचरण बढ़ाने के लिए इसे दैनिक रूप से उपयोग कर सकते हैं। हिमकोलिन जेल एक हर्बल दवा है इसलिए इसका दीर्घकालिक उपयोग करने पर भी इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं है। किसी भी दवाई को प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह लें |
क्या हिमालया हिम्कोलिन जेल अच्छा काम करता है - Does Himalaya Himcolin Gel works well in Hindi
हां, यह रक्त वाहिकाओं के फैलाने में अच्छी तरह से काम करता है लेकिन इसके प्रति हर एक व्यक्ति के अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं।
इस जानकारी के लेखक है -
Dr. Braj Bhushan Ojha BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume- II. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 65-67