गर्भावस्था हर महिला के जीवन का अहम पड़ाव होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। जिनका प्रभाव महिलाओं की सोच पर पड़ता है। प्रेग्नेंसी के समय कई महिलाओं को डर सताता रहता है, तो कई महिलाएं इस समय तनाव में रहती हैं। लेकिन आपको बता दें कि इस समय मां की सोच व व्यवहार का पूरा असर गर्भ में पलने वाले भ्रूण पर भी पड़ता है या यू कहें कि मां के द्वारा गर्भावस्था से ही बच्चा कई बातों को सिखने व समझने लगता है। इसी के चलते इस समय में मां को धार्मिक कार्यों को करने व अच्छी-अच्छी किताबों को पढ़ने व सुनने के लिए कहा जाता है। आगे जानते हैं कि इस समय कौन सी किताबों को पढ़ने से मां व बच्चे को लाभ प्राप्त होते हैं।

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  1. प्रेग्नेंसी के दौरान पढ़ने के फायदे - Benefits of reading during pregnancy in Hindi
  2. प्रेग्नेंसी में पढ़ी जाने वाली पुस्तकों के नाम - What to read during pregnancy in Hindi
  3. सारांश

कई अध्ययन इस बात को साबित कर चुके हैं कि गर्भकाल के दौरान अच्छी किताबों को पढ़ने से पैदा होने वाली संतान में भी कई गुण आते हैं। इसलिए घर के बुजुर्ग कहते हैं कि प्रेग्नेंसी के दैरान महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा समय धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने में बिताना चाहिए। माना जाता है कि जन्म से पूर्व ही बच्चा मां के गर्भ में ही कई आवाजों को सुनने लगता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान महिला जो भी कार्य करती है, उसका सीधा प्रभाव बच्चे के मस्तिष्क और व्यवहार पर देखा जाता है।

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अब किताबों को पढ़ने के दूसरे फायदे की बात करें, तो गर्भकाल के दौरान किताबों को पढ़ने से मां को प्रेग्नेंसी को लेकर मन में उठने वाले कई सवालों के जवाब मिल जाते हैं। प्रेग्नेंसी से जुड़ी किताबों के माध्यम से ही मां के मन की कई संकाएं व डर दूर हो जाते हैं। साथ ही साथ वह इस अवस्था के बारे में विस्तार से समझ पाती है कि उनको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

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गर्भावस्था में मां को अपनी इच्छा के मुताबिक ही किताबों का चयन करना चाहिए। अगर किसी महिला को धर्म में रूचि हो तो वह धार्मिक किताबों का चयन कर सकती है, वहीं किसी महिला को प्रेग्नेंसी के विषय में विस्तार से जानना और समझना, हो तो उनको इसी विषय की किताबों को पढ़ना चाहिए। इस दौरान महिलाओं के लिए पढ़ने वाली कुछ अच्छी किताबों को निम्न रूप से बताया जा रहा हैं।

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गर्भावस्था पुस्तक - Garbhavastha in Hindi

यह पुस्तक नूतन लखनपाल पंडित ने लिखी है। इसमें प्रेग्नेंसी के सभी पहलुओं के बारे में लिखा गया है। इसमें नई माताओं के लिए गर्भावस्था के सभी पड़ावों व इससे जुड़े मिथक आदि के बारे में भी बताया गया है। गर्भावस्था के बाद महिला के द्वारा लिए जाने वाले आहार के बार में इस पुस्तक में पूरी जानकारी दी गई है। भारतीय महिलाओं के लिए इस पुस्तक को हिंदी भाषा में लिखा गया है और इसमें स्तनपान व अन्य समस्याओं को सरल भाषा में विस्तार से समझाया गया है।

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गर्भावस्था: भारतीय महिलाओं के लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शिका - Garbhavastha: bhartiya mahilaon ke liye ek sampurn margdarshika

इस पुस्तक को डॉ. विनीता साल्वी के द्वारा लिखा गया है। इसमें प्रेग्नेंट महिला के सभी सवालों के जवाब देने का दावा किया गया है। आपके द्वारा बच्चे के जन्म के विचार लेने के बाद से उसके नौ महिनों तक की पूरी प्रक्रिया की जानकारी इसमें पुस्तक में दी गई है। लेखिका ने इसमें यह भी बताया है कि महिलाएं प्रेग्नेंसी के लिए अपने शरीर को किस तरह से तैयार करें। गर्भावस्था के दौरान किन परीक्षणों को कब-कब करवाया जाना चाहिए। इस समय महिलाओं को क्या खाना चाहिए, क्या व्यायाम करना चाहिए, प्रग्नेंसी के हर माह में आपके शरीर मे क्या-क्या बदलाव देखें जाते है, प्रसव पीड़ा व डॉक्टरों के सुझाव आदि बातों को इस पुस्तक में विस्तार से बताया गया है।

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क्या करें जब मां बनें? - Kya kare jab maa bane in Hindi

यह पुस्तक हैइदी मर्कऑफ ने लिखी है। इसमें गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन के बारे में बताया गया है। इसके अलावा इसमें गर्भ में बच्चे के विकास के लिए सहायक आहार के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है। इतना ही नहीं इसमें प्रेग्नेंसी के समय बनाएं जानें वाली 175 तरह की रेसिपी को पोषण व स्वादिष्ट तरीकों से बनाने की विधि के बारे में भी बताया गया है। इस दौरान महिलाओं को कुछ चुनिंदा आहार को ही खाना होता है, उनकी इस समस्या को सुलझाने के उद्देश्य से इस पुस्तक को बाजार में लाया गया है।

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श्रीमद्भगवद्गीता - Shrimad bhagwat geeta in Hindi

यह हिंदुओं की एक ऐसी धार्मिक पुस्तक है जिसमें मानव जीवन के संबंधों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा महाभारत के युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को दिए गए उपदेशों के बारे में लिखा गया है। इस पुस्तक को ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने संस्कृत से हिंदी सहित दुनिया भर की कई भाषाओं में अनुवाद किया है। इस पुस्तक को न सिर्फ हिंदू बल्कि दुनिया भर के कई लोग अनुसरण करते हैं। कहा जाता है कि इस पुस्तक को पढ़ने या सुनने से गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहें बच्चे को अच्छे संस्कार मिलते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला का मन शांत होता है।

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प्रेग्नेंसी और चाइल्ड केयर - Pregnancy aur child care in Hindi

प्रेग्नेंसी की इस पुस्तक को डॉ. अबरार मुल्तानी ने लिखा है। इस पुस्तक में आयुर्वेद के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे के विकास व मां की देखभाल के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इस पुस्तक में गर्भकाल में समय मां व बच्चे को आने वाली परेशानियों व उनके समाधान के बारे में भी बेहद ही आसान तरीकों से बताया गया है।

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आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार - Aurvedic garbhsanskar in Hindi

इस पुस्तक को अभय कुलकर्णी ने लिखा है। इसमें वैदिक साहित्य व आयुर्वेद के अनुसार गर्भकाल के बारे में बताया गया है। प्रेग्नेंसी के समय महिला को किस तरह के आहार खाने चाहिए व किस तरह का व्यवहार करना चाहिए इस बारे में भी इस पुस्तक में विस्तार से समझाया गया है। गर्भसंस्कार के बारे में कई लोग जानना चाहते हैं। इसके अलावा महिलाएं गर्भ से ही बच्चे की बुद्धि को तीव्र करने के उपाय खोजती है, इस उत्सुकता को भी इस पुस्तक में शांत करने का प्रयास किया गया है।

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(और पढ़ें - गर्भ संस्कार)​

प्रेग्नेंसी के दौरान पढ़ाई का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। गर्भावस्था के समय महिलाओं को ऐसी किताबें और सामग्री पढ़नी चाहिए जो उन्हें सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्रदान करें। धार्मिक या आध्यात्मिक किताबें, प्रेरणादायक कहानियाँ, और गर्भावस्था से संबंधित स्वास्थ्य गाइड इस समय उपयोगी होती हैं। इसके अलावा, शिशु की देखभाल, मातृत्व, और प्रसव से संबंधित जानकारी भी पढ़नी चाहिए, ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से तैयारी हो सके। हल्की और मन को प्रसन्न करने वाली साहित्यिक रचनाएँ भी इस समय लाभकारी होती हैं, जो तनाव को कम करने में मदद करती हैं।


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