उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र के सुधार के लिए सरकार की तरफ से एक और बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने सूबे में डॉक्टरों भर्ती के लिए 19 हजार से ज्यादा पदों को मंजूरी दे दी है। खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मेडिकल विशेषज्ञों की उपलब्धता बढ़ाने के मकसद से सरकार ने इन हजारों पदों को भरे जाने की अनुमति दी है। इसे लेकर बीते सप्ताहांत सरकार की तरफ से बयान भी जारी किया गया है। इसके मुताबिक, कुल 19,011 पदों में से 10 हजार 580 एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए होंगी, जबकि 8,431 पद मेडिकल विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टरों के लिए रखे गए हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में सरकार ने कहा है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती वह सीधे तौर पर करेगी, जबकि बाकी पदों को प्रोमोशन के जरिये भरा जाएगा। बता दें कि यूपी में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की डायरेक्ट भर्ती नहीं होती रही है, जिसके कारण यहां उनसे जुड़े पद बड़ी संख्या में खाली रह जाते हैं। इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता है, जो किसी बड़ी आपदा (जैसे कोविड-19 महामारी) के लिए पर्याप्त और प्रभावी नहीं रह जातीं। अगर नई घोषणा के तहत वाकई में इन 19 हजार पदों को भर दिया जाता है तो यूपी के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
पीटीआई ने बताया है कि सरकार ने नई भर्तियों को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक, पदों के आधार पर डॉक्टरों को श्रेणीबद्ध तरीके से वर्गीकृत किया गया है। पहले लेवल में सरकार 3,620 ग्रेड-1 मेडिकल ऑफिसर्स की डायरेक्ट भर्ती करेगी। ग्रेड-2 के तहत 7,240 पद भरे जाएंगे। इनमें से 3,620 पदों पर डायरेक्ट रीक्रूटमेंट होगा। वहीं, तीसरे लेवल के तहत 5,199 पदों पर डेप्युटी चीफ मेडिकल ऑफिसरों, मेडिकल सुपरिटेंडेंट और कन्सल्टेंट की भर्ती की प्रक्रिया चलेगी। चौथी कैटेगरी में 2,825 पद भरे जाएंगे। यह श्रेणी चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट, चीफ मेडिकल ऑफिसर, एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर और जॉइंट डायरेक्टर्स के लिए रखी गई है।
वहीं, पांचवीं कैटेगरी में कोई 105 पद रखे गए हैं, जिन पर एडिशनल डायरेक्टर, प्रिंसिपल सुपरिटेंडेंट और चीफ कन्सल्टेंट को अपॉइंट किया जाएगा। इसके अलावा छठवीं श्रेणी में डायरेक्टरों के लिए 19 पद और सातवीं कैटेगरी में तीन पद डायरेक्ट-जनरल लेवल के मेडिकल अधिकारियों के लिए रखे गए हैं।