कोविड-19 - COVID-19 in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

March 24, 2020

December 20, 2023

कोविड-19
कोविड-19

कोविड-19 एक ऐसी बीमारी है जो सार्स-सीओवी-2 नाम के वायरस की वजह से होती है। यह वायरस कोरोना वायरस के परिवार का हिस्सा है। अगर कोई व्यक्ति जिसे यह बीमारी हो खांसता या छींकता है तो इस बीमारी के वायरस हवा में फैल जाते हैं और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बीमारी के वायरस हवा में या फिर किसी सतह पर कई-कई घंटों तक जिंदा रह सकते हैं। 

बीमारी के लक्षणों की बात करें तो इसमें बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना शामिल हैं। अगर कोई मरीज इस वायरल इंफेक्शन से उबर भी जाता है तब भी कई बार उसमें सूंघने की क्षमता कम होने या फिर हद से ज्यादा थकान महसूस होने जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

चीन के हुबेई प्रांत स्थित वुहान शहर के एक सीफूड मार्केट में साल 2019 में पहली बार इस वायरस की मौजूदगी देखी गई और उसके बाद देखते ही देखते वायरस ने दुनियाभर के देशों को अपनी चपेट में ले लिया। इस वक्त कोविड-19 ने दुनियाभर में महामारी का रूप ले लिया है।

ऐसा माना जा रहा है कि कोविड-19 की उत्पत्ति जूनॉटिक है, यानी इसका प्रसार जानवरों से इंसान में हुआ है। हालांकि, अब तक इस बारे में किसी तरह के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि कोविड-19 जानवरों से ही फैलना शुरू हुआ है। साल 2020 के शुरुआती महीनों में चमगादड़, सांप और पैंगोलिन को ही इसके लिए संदिग्ध माना जा रहा है। यह इंफेक्शन बेहद तेजी से फैलता है। इसके फैलने की रफ्तार की बात करें तो कोविड-19 का एक मरीज 1.5 से 3.5 स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।

इस इंफेक्शन से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है प्रिवेंशन यानी रोकथाम। दुनियाभर की स्वास्थ्य एजेंसियों की मानें तो इस बीमारी से बचने के लिए आपको अपने हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोते रहना चाहिए, महामारी के इस गंभीर स्थिति में जहां तक संभव हो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और दूसरों से कम से कम 3 फीट (अगर आपकी उम्र 60 साल से अधिक है तो 6 फीट) की दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

इस बीमारी की पहचान करने के लिए ब्लड टेस्ट करने के साथ ही नाक और ओरोफेरिंजियल यानी मुंह के पीछे गले का एक हिस्सा होता है, यहां के सैंपल को रुई के फाहे में लेकर टेस्ट किया जाता है। इन टेस्ट के जरिए यह जानने की कोशिश की जाती है कि मरीज के शरीर में वायरल डीएनए या वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज की मौजूदगी है या नहीं।

अब तक कोविड-19 का कोई इलाज खोजा नहीं जा सका है। मरीजों में बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं और उन्हें आराम करने की सलाह दी जाती है। कोविड-19 के बारे में यहां जानें और बातें-  

कोविड-19 के चरण - Stages of COVID-19 in Hindi

चूंकि पहली बार कोविड-19 का मामला चीन के वुहान स्थित सीफूड मार्केट में सामने आया था इसलिए यह माना जा रहा है कि यह वायरस जानवरों से इंसान में फैलना शुरू हुआ है। इससे पहले SARS और MERS भी जानवरों से इंसान में फैलने वाले इंफेक्शन थे। इनके होस्ट चमगादड़ और ऊंट जैसे जानवर थे। कोविड-19 इंफेक्शन के प्रसार के बारे में अब तक यह बातें सामने आ चुकी हैं - 

जानवरों से इंसान में : अब तक कोविड-19 के ऐनिमल होस्ट यानी यह किस जानवर से मुख्य रूप से फैलना शुरू हुआ है इस बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं है। बहुत सारे जानवरों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। सबसे पहले सांपों को इस वायरस का मुख्य स्त्रोत माना गया। हालांकि, एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया कि चूंकि सांप, रेंगने वाला जानवर है, इसलिए सार्स-सीओवी-2 उनमें से सीधे निकलकर इंसानों तक फैला हो जो स्तनधारी हैं इस बात की आशंका कम है।

इंसानों में होने वाले कोविड-19 इंफेक्शन वाले वायरस का डीएनए चमगादड़ों के डीएनए से 96 प्रतिशत तक मिलता जुलता है। हालांकि, चमगादड़ के कोविड-19 वायरस वाले डीएनए में 2 साइट होती हैं, जो इसे इंसान के शरीर में मौजूद रिसेप्टर को जकड़ने से रोकता है।

इसके बाद लगा कि शायद कोई और जानवर इस इंफेक्शन का होस्ट हो सकता है और तब नाम सामने आया पैंगोलिन्स का। वैसे तो पैंगोलिन भी स्तनधारी जीव ही है, लेकिन उनमें और सार्स-सीओवी-2 वायरस के बीच बेहद कम समानताएं हैं। कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो जब यह वायरस चुपचाप इंसान के शरीर में फैल रहा था, उसी वक्त इस वायरस ने अपना रूप बदल लिया।

इंसान से इंसान में प्रसार : इंसान से इंसान में कोरोना वायरस का प्रसार तब होता है जब कोरोना वायरस से पीड़ित कोई व्यक्ति खांसता और छींकता है और कोई स्वस्थ व्यक्ति उसके सीधे संपर्क में आ जाता है। आपको बता दें कि सार्स-सीओवी-2 नाम का यह वायरस हवा में करीब 3 घंटे तक और दूसरी सतहों पर अलग-अलग समय तक जीवित रहता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों की मानें तो कार्डबोर्ड पर यह वायरस 24 घंटे तक जीवित रह सकता है, तांबे पर 4 घंटे तक और स्टील व प्लास्टिक पर 3 दिन तक जीवित रह सकता है।

स्वास्थ्य प्राधिकारियों ने कोविड-19 के प्रसार के 4 मुख्य स्टेज की पहचान की है :

  • स्टेज 1: विदेशों से आए मामले - इसमें मरीज किसी और देश में संक्रमित होता है। जिन जगहों पर इस वायरस के मामले सामने आ रहे हैं उन प्रभावित इलाकों से नए केस का सामने आना।
  • स्टेज 2 : स्थानीय लोगों में संक्रमण फैलना - इसमें बाहर से आए मरीज संक्रमण फैलाते हैं। वैसे लोग जो बाहर से आए लोगों के संपर्क में आते हैं उनमें भी इस वायरस के लक्षण नजर आने लगते हैं। वैसे तो मुख्य रूप से इसमें बाहर से आए व्यक्ति के परिवार के सदस्य या नजदीकी लोग होते हैं। लेकिन इसमें वैसे लोग भी हो सकते हैं जो बाहर से आए उस व्यक्ति के बेहद नजदीक आया हो। 
  • स्टेज 3: सामुदायिक स्तर पर प्रसार - इसमें यह वायरस उन लोगों में भी फैलने लगता है जिनका किसी भी ऐसे व्यक्ति से कोई ताल्लुक नहीं होता, जिन्हें पहले यह इंफेक्शन हुआ हो और साथ ही ऐसे लोगों की प्रभावित इलाकों में किसी तरह की ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं होती।
  • स्टेज 4: महामारी - यह बीमारी महामारी का रूप ले लेती है और हर दिन सैंकड़ों मामले सामने आने लगते हैं। ठीक वैसा ही जैसा चीन और इटली में हुआ।

कोविड-19 के लक्षण - COVID-19 Symptoms in Hindi

कोविड-19 इंफेक्शन के या तो कोई भी लक्षण नजर नहीं आते या फिर हो सकता है बेहद कम और हल्के-फुल्के लक्षणों के साथ ही किसी-किसी मामले में बेहद गंभीर लक्षण भी दिखने लगते हैं। इस इंफेक्शन के लक्षणों को दिखने में 1 से 14 दिन का वक्त लगता है। इस बीमारी के सबसे सामान्य लक्षण हैं -

कोविड-19 बीमारी के लक्षण इंफेक्शन की गंभीरता के हिसाब से अलग-अलग भी हो सकते हैं। सिर में दर्दगले में दर्द, छींक आना, थकान महसूस होना, मांसपेशियों में दर्द महसूस होना, नाक से पानी आना, छाती में कफ जमा होने जैसे लक्षण भी कुछ मरीजों में नजर आते हैं। बीमारी के कुछ दूसरे लक्षण ये भी हैं -

  • जठरांत्र से जुड़े लक्षण जैसे - पेट में दर्द और ऐंठन, डायरिया, उल्टी आना, जी मिचलाना
  • निमोनिया
  • सांस लेने पर घरघराहट की आवाज आना
  • जीभ और होंठों का नीला पड़ना
  • दौरे पड़ना
  • शरीर के कई अंगों का काम करना बंद कर देना और फिर मौत

कोविड-19 के कारण - COVID-19 Causes in Hindi

कोविड-19 इंफेक्शन सार्स-सीओवी-2 नाम के वायरस की वजह से फैल रहा है। यह कोरोना वायरस परिवार का सदस्य है। यह एक जूनोटिक संक्रमण है जो जानवरों से इंसान में फैलता है और इसका संबंध सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम SARS और मिडिल-ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम MERS वायरस से है। SARS ने साल 2002-03 में दुनियाभर के 26 देशों में महामारी का रूप ले लिया था, जबकी MERS ने पिछले दशक में दक्षिण कोरिया और मध्य पूर्वी देशों में हाहाकार मचाया था।

अब तक हो चुकी कई स्टडीज में यह बात सामने आयी है कि यह वायरस ACE 2 नाम के रिसेप्टर से बंधा रहता है और यह मुख्य रूप से फेफड़े, हृदय और आंत में बड़ी तादाद में मौजूद रहता है और वहीं से यह शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। यही वजह है कि इस इंफेक्शन में मुख्य रूप से सांस संबंधी लक्षण और जठरांत्र संबंधी लक्षण नजर आते हैं। आमतौर पर ACE 2 ऐनजियोटेनसिन-कनवर्टिंग इंजाइम 2 नाम के इंजाइम से जकड़ा रहता है। शरीर का रक्त चाप और इलेक्ट्रोबाइट बैलेंस को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है यह इंजाइम।

जोखिम कारक : अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज या हृदय रोग जैसी बीमारियां हैं, अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, अगर कोई व्यक्ति 60 साल से अधिक उम्र का है और 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कोविड-19 बीमारी होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। इन सबके बावजूद यह बीमारी हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है।

डायबिटीज का इलाज:निरंतर जाँच करे,myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे,स्वस्थ आहार ले, नियमित व्यायाम करे और  स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और सही दिशा में बढ़ें।

कोविड-19 के बचाव के उपाय - Prevention of COVID-19 in Hindi

चूंकि इस वक्त कोविड-19 बीमारी का कोई इलाज या टीका मौजूद नहीं है, लिहाजा बचाव और रोकथाम ही इस बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका है। जहां तक इस बीमारी से बचने के लिए अपनाए जाने वाले सुरक्षात्मक उपायों की बात है तो इस वायरस की पहुंच को कम करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों से दूर रहना और पर्सनल हाइजीन यानी साफ-सफाई का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। कोविड-19 से बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं -

  • भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, खासकर तब जब आपकी उम्र 60 साल से अधिक है, अगर आपकी इम्यूनिटी कमजोर है या फिर अगर आप पहले से ही किसी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं।
  • जहां तक संभव हो घर पर ही रहें और गैर-जरूरी यात्रा से पूरी तरह से बचें।
  • अगर किसी व्यक्ति में इंफेक्शन नजर आए, अगर किसी व्यक्ति को खांसी या झींक आ रही हो तो उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाए रखें।
  • हर थोड़ी-थोड़ी देर में अपने हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं।
  • अगर साबुन और पानी न हो तो आप अपने हाथों को एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर से भी साफ कर सकते हैं (सैनिटाइजर में कम से कम 60 प्रतिशत एल्कोहल होना चाहिए) हालांकि, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से कहीं बेहतर है कि आप साबुन-पानी से हाथ धोएं, क्योंकि यह सैनिटाइजर की तुलना में ज्यादा माइक्रोब्स को मारने में सक्षम है। अगर आपके हाथ ज्यादा गंदे हैं तो सैनिटाइजर आपकी कोई मदद नहीं कर पाएगा।
  • अपने चेहरे, आंख, नाक और मुंह को न छूएं, क्योंकि वायरस इन बॉडी पार्ट्स को छूने से सीधे शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है।
  • खांसते या छींकते वक्त अपनी हथेलियों को मुंह पर न रखें। इसकी जगह अपने कोहनी या टीशू पेपर का इस्तेमाल करें और फिर टीशू को किसी बंद ढक्कन वाले डस्टबिन में फेंक दें।
  • घर पर भी जहां तक संभव हो खुद को शारीरिक रूप से ऐक्टिव रखें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, क्योंकि इससे शरीर की क्रियाएं सही ढंग से होती हैं। साथ ही एक्सरसाइज करने से महामारी के दौरान होने वाली चिंता और तनाव से निपटने में भी मदद मिलती है।
  • चूंकि बुजुर्गों को कोविड-19 का खतरा सबसे अधिक है, इसलिए सामान्य बातों के साथ-साथ उन्हें किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में यहां जानें-
    • जरूरी चीजों की आपूर्ति को घर में भरकर रखें, ताकि बुजुर्गों को बाहर मार्केट में जाने की जरूरत ना पड़े। 
    • अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें तो बुजुर्गों को बीमार लोगों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
  • अपने घर में मौजूद हर एक सतह को नियमित रूप से अच्छी तरह से साफ करते रहें।
  • अगर आप अकेले रहते हों तो आपातकालीन नंबरों की एक लिस्ट हमेशा अपने पास रखें और अपनों के संपर्क में बने रहें।
  • अगर आपको खुद में कोविड-19 के लक्षण नजर आएं तो परेशान होने की बजाए डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अगर आपको पहले से किसी तरह की कोई दीर्घकालिक बीमारी है तो-
    • अस्पताल जाने से परहेज करें। इसकी जगह डॉक्टर से फोन पर बात करें और बेहद जरूरी हो तो पहले से अपॉइटमेंट लेकर ही जाएं। ऐसा करने से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने का आपका खतरा कम हो जाएगा।
    • दवा की दुकान पर आपको बार-बार न जाना पड़े, इससे बचने के लिए अपनी सभी जरूरी दवाइयों की आपूर्ति घर में पहले से करके रखें। साथ ही अपनी सेहत को बनाए रखने के लिए अपनी कोई भी जरूरी दवा मिस न करें।

बच्चों के लिए जरूरी टिप्स

बच्चे, वयस्कों की तुलना में कोरोना वायरस से इतनी ज्यादा गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होते हैं। हालांकि बच्चों के लिए भी वही बचाव के उपाय अपनाना बेहद जरूरी है जो आप अपने लिए अपना रहे हों -

  • बच्चों को साफ-सफाई के बारे में बताएं। जैसे - अगर उन्हें खांसी या छींक आए तो वह टीशू या रुमाल का इस्तेमाल करें और फिर इस्तेमाल किए गए टीशू को डस्टबिन में फेंक दें।
  • बच्चों के खिलौनों और सॉफ्ट टॉयज को अगर संभव हो तो गर्म पानी में धोएं और बच्चों को उनके खिलौने वापस देने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि खिलौना पूरी तरह से सूख गया हो।

कोविड-19 का निदान - Diagnosis of COVID-19 in Hindi

कोविड-19 बीमारी की पहचान दो तरह से होती है- सेरोलॉजिकल टेस्ट (ब्लड टेस्ट) और न्यूक्लेइक ऐसिड सीक्वेंसिंग टेस्ट (आरटी-पीसीआर टेस्ट)। सेरोलॉजिकल टेस्टिंग में खून के 2 अलग-अलग नमूनों को एक खास अंतराल पर लिया जाता है। पहला नमूना- पहले हफ्ते में और दूसरा ब्लड सैंपल- दूसरे या तीसरे सप्ताह में जब संदिग्ध मरीजों में बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं। यह मुख्य रूप से इसलिए किया जाता है, ताकि यह देखा जा सके कि प्रभावित व्यक्ति का शरीर वायरस के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है।

(और पढ़ें - कोरोना के लिए टेस्ट)

न्यूक्लेइक ऐसिड सीक्वेंसिंग टेस्ट, पॉलिमर्स चेन रिऐक्शन पीसीआर के जरिए किया जाता है। इसमें नाक या ओरोफेरिंजियल यानी मुंह के पीछे गले का एक हिस्सा होता है, यहां के सैंपल को रुई के फाहे में लेकर टेस्ट किया जाता है। फिर लैब में इसकी टेस्टिंग होती है, यह जानने के लिए इसमें वायरस की मौजूदगी है या नहीं। बहुत से मामलों में पेशाब और बलगम की भी जांच की जाती है। अगर बीमारी बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तो फेफड़ों की बायॉपसी भी की जाती है।

(और पढ़ें - छाती का एचआरसीटी टेस्ट कब किया जाता है)

कोविड-19 का उपचार - COVID-19 Treatment in Hindi

मौजूदा समय में कोविड-19 नाम की महामारी का कोई इलाज मौजूद नहीं है। सिर्फ बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करना ही इस वक्त एकमात्र विकल्प है। मामला अगर बहुत ज्यादा गंभीर ना हो तो किसी तरह के इलाज की जरूरत भी नहीं होती। हालांकि, अगर आपको खांसी और बुखार हो तो डॉक्टर आपको कुछ दवा दे सकते हैं, ताकि आपकी बीमारी के लक्षण न बिगड़ जाएं। 

डॉक्टरों की मानें तो इस दौरान खूब सारे फ्लूइड्स यानी द्रव्य का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में फ्लूइड का संतुलन बना रहे और साथ में आराम करें ताकि आपकी बीमारी जल्दी ठीक हो जाए। साथ ही अपने आसपास मौजूद लोगों से खुद को पूरी तरह से अलग (आइसोलेट) कर लें। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी यही सुझाव है कि अगर किसी व्यक्ति को खांसी या बुखार हो तो आपको उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाकर रखनी चाहिए। साथ ही अगर आप खुद बीमार हैं तो आसपास मौजूद लोगों या सतहों को संक्रमित करने से बचाने के लिए आपको मास्क पहनना चाहिए।

कुछ मामलों में वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए एंटीवायरल दवाइयां जैसेलोविनेविर/रिटोनेविर का भी सुझाव दिया जाता है। हालांकि, एंटीवायरल दवाइयां वायरस को पूरी तरह से मारती नहीं है, बल्कि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती हैं। ताकि आप इस इंफेक्शन को खुद ही शरीर के बाहर करने में सक्षम हो पाएं। वैसे इन दवाइयों के कुछ साइड-इफेक्ट भी होते हैं और इसलिए जब तक बहुत ज्यादा जरूरी ना हो इन दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।

कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं - 

  • ऑक्सीजन थेरेपी उन मामलों में दी जाती है, जिसमें शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है या फिर मरीज को झटके महसूस होने लगते हैं।
  • अगर मरीज को शॉक यानी झटके न आ रहे हों तो मरीज को नसों में ड्रिप दी जाती है। ड्रिप देने की इस प्रक्रिया के दौरान पूरी सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि अगर इसमें थोड़ी भी गड़बड़ी हुई तो मरीज की हालत बिगड़ सकती है।
  • अगर किसी व्यक्ति को सेप्सिस यानी घाव हो गया हो तो उसके इलाज के लिए एंटीमाइक्रोबियल्स दिए जाते हैं ताकि, सांस से जुड़ी बीमारी कोविड-19 के संदिग्ध लक्षणों को कम किया जा सके। निमोनिया होने का खतरा है या नहीं इस बात को ध्यान में रखते हुए ही एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
  • निमोनिया को कंट्रोल करने के लिए सिस्टेमिक कोर्टिकोस्टेरॉयड मरीज को तब तक नहीं दिया जाना चाहिए, जब तक किसी और वजह से उन्हें देने की जरूरत ना पड़े।
  • जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है उनका इलाज उनकी पुरानी बीमारी और मौजूदा हालत को देखकर ही किया जाता है। डॉक्टर उस वक्त यह फैसला करते हैं कि मरीज की हालत को देखते हुए किसी तरह के इलाज में बदलाव की जरूरत है या नहीं। डायबीटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को क्रॉनिक डिजीज यानी दीर्घकालिक बीमारियां कहा जाता है, क्योंकि इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए जीवनभर दवाइयां खानी पड़ती हैं।


संदर्भ

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कोविड-19 के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।