कम प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण हो रही जोड़ों की सूजन को गठिया कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया मुख्यतः ख़राब वात दोष के कारण होता है और गठिया को इसके मूल कारणों और वात दोषों के आधार पर आयुर्वेद में तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं या पेन किलर्स आपके गुर्दे, पेट, लिवर और हृदय पर गंभीर दुष्प्रभाव छोड़ सकती हैं, वहीं आयुर्वेद दवाएं काफी सुरक्षित हैं और वह रोग के मूल कारणों को कम करके रोग का इलाज करती हैं ।

रुमेटी गठिया को आयुर्वेद में आमवात के नाम से जाना जाता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार रुमेटी गठिया ख़राब अमा और वात के कारण होता है। ख़राब पाचन के कारण पैदा हुए विषाक्त पदार्थ को अमा कहते हैं और वात एक प्रकार का दोष या जैविक ऊर्जा है। अमा पूरे शरीर में फैल कर कमजोर जोड़ों पर जमा होता है, फिर वात तेज हो जाता है। इससे सूजन पैदा होती है जो आखिर में गठिया या आमवात में परिवर्तित हो जाता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस को आयुर्वेद में संधिगत वात के सामान माना जाता है। यह तब होता है जब असंतुलित वात जोड़ों को अपना घर बना लेते हैं। रजोनिवृत्ति के प्रभाव के कारण यह महिलाओं में अधिक होता है। यह आम तौर पर घुटनों, एड़ियों, रीढ़ की हड्डी और कूल्हों के जोड़ को प्रभावित करता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब शरीर में कैल्शियम कम होने लगता है या उम्र के प्रभाव के कारण बुढ़ापा आने लगता है। (और पढ़ें - सर्दियों के मौसम में जोड़ों के दर्द से हैं परेशान तो ये आयुर्वेदिक तेल करेंगे इसका समाधान

आयुर्वेदिक में गाउट को वात रक्त कहा जाता है। यह ख़राब वात और रक्त के कारण होता है। जब ख़राब वात और रक्त हाथों और पैरों की अँगुलियों की हड्डियों में जमा हो जाते हैं, तब वात रक्त होता है। यह नमकीन, मसालेदार और खट्टे खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण होता है। यह बहुत दर्दनाक स्थिति होती है और व्यक्ति को अपंग तक कर सकती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में अन्य प्रकार के गठिया का भी उल्लेख किया गया है लेकिन ये तीन मुख्य हैं।

  1. आयुर्वेद के अनुसार जाने गठिया क्यों होता है - Reason of arthritis according to ayurveda in hindi
  2. गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपचार है पंचकर्म - Ayurvedic panchakarma treatment for arthritis in hindi
  3. गठिया की आयुर्वेदिक दवा - Ayurvedic medicines for arthritis in hindi

गठिया ख़ास तौर पर कम उन्मुक्ति(प्रतिरक्षा) के कारण एक या एक से अधिक जोड़ों की सूजन से होती हैं। आयुर्वेद में, गठिया मुख्यत वात दोष के दूषित होने का परिणाम है और इसके मूल कारणों और वात दोष की भागीदारी के आधार पर मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया हैं।

आमवात (Amavata): संधिशोथ गठिया जिसे आयुर्वेद में आमवात भी कहा जाता है अत्यंत पीड़ादायक बीमारी हैं। खून में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाने पर यह रोग होता हैं। यह रोग आयुर्वेद की दृष्टि से अमा और वात के प्रकोप के कारण होता हैं। संधिशोथ गठिया अमा और वात का बढ़ा(बिगड़ा) हुआ परिणाम हैं। अमा का निर्माण अपच के कारण होता है और वात (वायु) दोष या जैविक ऊर्जा में से एक है। यह शरीर के कमज़ोर हिस्सों में जाकर एकत्रित हो जाती हैं और जब यह स्थिति वात दोष के साथ जुड़ती है तो आमवात उत्पन्न होता हैं।

संधि गाता वात (Sandhi Gata vata): संधि गाता वात ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसा दिखता है और इसका कारण होता है जब बिगड़ हुआ वात जोड़ों को अपना घर बना लेता हैं। यह महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद यह रोग होने का ख़तरा अधिक होता है और आम तौर पर यह घुटने, टखने, पीठ और कूल्हों के जोड़ों को प्रभावित करता हैं। यह रोग तब होता है जब आम तौर पर आपके शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होती हैं।

वता-रक्त (Vata-Rakta): वता-रक्त वातरोगी-गठिया का आयुर्वेदिक नाम है और लेकिन इस मामले में यह दूषित वात के साथ साथ दूषित रक्त (खून) का भी परिणाम है। यह नमकीन, मसालेदार और खट्टे खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण हो सकता है। यह एक बहुत ही दर्दनाक स्थिति है और व्यक्ति को अपंग भी बना सकती हैं।

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पंचकर्म उपचार में विभिन्न प्रकार के उपचार शामिल हैं जो शरीर को शुद्ध करने में मदद करते हैं और उस दोष को संतुलित करते हैं जो बीमारी का कारण होते हैं। कुछ पंचकर्म उपचार ऐसे हैं जो गठिया के इलाज में बहुत उपयोगी हैं जैसे अभ्यंगा (औषधीय तेल मालिश), जणू वस्ति (इस उपचार में काले चने के आटे को गठिया वाले क्षेत्र के चारों और लगा कर उसके बीच में औषधीय तेल को रखा जाता है। इसका उपयोग खासकर घुटने के गठिया का इलाज करने के लिए किया जाता है) आदि।

गठिया के इलाज में कुछ स्वेट थेरपीएस (sweat therapies) भी शामिल हैं जैसे ऐलाकिज़ी (Elakizhi) जिसे पात्र पिंड स्वेदा के नाम से भी जाना जाता है। इस उपचार में सबसे पहले हर्बल पत्ते पर औषधीय तेल लगाकर पत्ते को गर्म किया जाता है, उसके बाद राहत प्रदान करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाता है।

आयुर्वेद में गठिया के इलाज के लिए दोनों प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं, आंतरिक और बाहरी, का उपयोग किया जाता है। आंतरिक दवाओं को मौखिक रूप से लिया जा सकता है और बाहरी दवाओं का उपयोग शरीर या प्रभावित क्षेत्र पर लगाकर किया जाता है।

गठिया का आयुर्वेदिक इलाज है धन्वंतरम तेल - Dhanwantharam thailam is arthritis pain relief ayurvedic medicine in hindi

आयुर्वेदिक तरीके से तैयार किया गया धन्वंतरम तेल एक आयुर्वेदिक औषधीय तेल है जो गठिया रोगियों के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें सूजन को कम करने और रुमेटी गठिया की प्रगति को होने से रोकने के गुण हैं। इसलिए यह रूमेटाइड अर्थराइटिस और ओस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक प्रभावी मालिश तेल है। यह अन्य प्रकार के गठिया के लिए भी प्रभावी है और आयुर्वेद की दुनिया में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है ताकि गठिया के दर्द से आराम मिल सके। इस तेल को प्रतिदिन नियमित रूप से मालिश के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह आपके जोड़ों को ताकत भी प्रदान करता है। इस तेल का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है इसलिए आप इसका लंबे समय तक उपयोग कर सकते हैं।

अर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज है मुरिवेन्ना ऑयल - Murivenna oil is ayurvedic arthritis massage oil in hindi

मुरिवेन्ना ऑयल सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधीय तेलों में से एक है जो जोड़ों में दर्द और सूजन से ग्रसित लोगों के लिए तैयार किया जाता है। मुरिवेन्ना ऑयल विशिष्ट रूप से सबसे शक्तिशाली जड़ी-बूटियों का मिश्रण है जो गठिया के दर्द से राहत दिलाता है और वात दोष को संतुलित करके जोड़ों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। आप इसे मालिश में इस्तेमाल कर सकते हैं या गर्म पानी के साथ मौखिक रूप से इसकी 5-10 बूंदों को भी ले सकते हैं। हालांकि इसका बाहरी रूप से उपयोग करने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन मधुमेह, हाई बीपी या कोलेस्ट्रॉल के स्तर से परेशान रोगियों को मौखिक रूप से इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह के बाद करना चाहिए।

गठिया का आयुर्वेदिक उपचार है कोट्टमचुकादि तेल - Kottamchukkadi thailam is arthritis ayurvedic remedy in hindi

कोट्टमचुकादि तेल आयुर्वेदिक मालिश तेल है जो व्यापक रूप से वात विकारों से संबंधित जोड़ों और स्नायु संबंधी दर्द को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह दर्द से राहत प्रदान करने के लिए एक कुशल मालिश तेल है और यह जोड़ों के काम काज में भी सुधार करता है। यह अपने श्रेष्ठ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों और गठिया के इलाज में प्रभावित होने के कारण जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए आयुर्वेदिक मालिश उपचारों में भी प्रयोग किया जाता है। इस तेल का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। अपने वात असंतुलन को कम करने और गठिया के उपचार के लिए इस तेल का उपयोग मालिश के रूप में करें।

गठिया की जड़ी बूटी है पुनर्नवादि गुग्गुलु - Punarnavadi guggulu is gathiya rog ayurvedic medicine in hindi

गुग्गुलु गठिया के उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ जड़ी-बूटियों में से एक है। यह वात रोगों के उपचार में बहुत प्रभावी है। इस आयुर्वेदिक दवा में गुग्गुलु के साथ पुनर्नवा, त्रिकातु, त्रिफला और कुछ अन्य शक्तिशाली जड़ी बूटियां शामिल हैं जो जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद करती हैं। पुनर्नवादि गुग्गुलु जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत देने के साथ-साथ शरीर के वजन को भी नियंत्रण में रखता है जिससे जोड़ों ( घुटनों पर) पर वजन कम पड़ता है। यह जोड़ों की जकड़न और कठोरता को कम करके उनके कामकाज को बढ़ाता है। यह वात संबंधी विकारों के इलाज में प्रभावी होने के कारण वैसे तो लगभग सभी तरह के गठिया के लिए अच्छा है लेकिन रुमेटी गठिया और गाउट के उपचार के लिए यह विशेष रूप से असरदार है। इसके उपयोग के लिए आप प्रतिदिन दो बार इसकी दो गोलियों का सेवन करें।

(और पढ़ें - वजन कम करने के घरेलू उपचार)

गठिया रोग की आयुर्वेदिक दवा है महानारायण तेल - Mahanarayan oil for arthritis in hindi

महानारायण तेल जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से राहत के लिए एक विशेष आयुर्वेदिक दवा है। इस तेल की मालिश से सभी प्रकार के गठिया जैसे रुमेटी या गाउट में राहत मिलती है। यह जोड़ों की कठोरता को कम करके उनके लचीलेपन में सुधार करता है। यह एक दर्द निवारक भी है। आप इसक 3-5 मिलीलीटर का सेवन प्रतिदिन खाने के पहले दिन में दो बार दूध या पानी के साथ मौखिक रूप से कर सकते हैं। यदि आप इसे बाहरी रूप से मालिश करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो आप इसका लंबे समय तक उपयोग कर सकते हैं। लेकिन मौखिक रूप से सेवन करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि यह 3-4 महीने उपयोग करने के बाद कुछ दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।

अर्थराइटिस के दर्द की आयुर्वेदिक दवा है रसनादि कषायम - Rasnadi kashayam is ayurvedic remedy for arthritis in hindi

रसनादि कषायम गठिया के लिए एक और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो तरल रूप में पाई जाती है। यह गठिया के मूल कारणों पर अपने प्रभाव के लिए जानी जाती है। इसका प्रभावी गुण गठिया रोगियों को गठिया के दर्द और सूजन से राहत पाने में मदद करता है, साथ-साथ उनके जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करता है। रसनादि कषायम का उपयोग करने के लिए 12-24 मिलीलीटर रसनादि कषायम में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर इसका सेवन करें। प्रभावी परिणामों के लिए दिन में दो बार - एक सुबह 6 बजे, फिर शाम को 6 बजे - इसका सेवन करें या चिकित्सक द्वारा निर्देशित रूप में इसे लें। हालांकि इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, फिर भी प्रभावी परिणाम के लिए चिकित्सक के निर्देशानुसार इसका सेवन करें।

गठिया की आयुर्वेदिक दवा है योगराज गुग्गुलु - Gathiya ka ayurvedic ilaj by yograj guggulu in hindi

योगराज गुग्गुलु सभी प्रकार के गठिया के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोगी आयुर्वेदिक उपचारों में से एक है। यह तीनों दोष (वात, पित्त और कफ) को शांत करता है और दर्द और सूजन से राहत देता है। प्रतिदिन भोजन से पहले या बाद में इसकी एक या दो गोलियां 2-3 बार ले सकते हैं या डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसका सेवन कर सकते हैं। इस दवा का सेवन करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करना सबसे अच्छा है।

गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपाय है आमवातारि रस - Amavatari ras hai gathiya ki ayurvedic dawa in hindi

आमवातारि रस रुमेटी गठिया के इलाज के लिए सफल आयुर्वेदिक सूत्र है। इसमें शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जैसे अमृतु, दशमूला, पुनर्नवा, त्रिफला, गुग्गुलु इत्यादि शामिल हैं जो रुमेटी गठिया के मूल कारणों पर अपना प्रभाव डालते हैं और दर्द, सूजन और जकड़न को कम करते हैं। आमवातारि रस जोड़ों की गतिशीलता को भी सुधारता है और इस गंभीर बीमारी से तुरंत राहत पाने में मदद करता है। इसमें भारी धातु पाया जाता है इसलिए इसकी अधिक खपत आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए इसका सेवन हमेशा डॉक्टर की देखरेख में किया जाना चाहिए।

आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक उपचार है ऑस्टिकोट टेबलेट - Ostikot tablets hai gathiya ka ayurvedic upchar in hindi

ऑस्टिकोट टेबलेट ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के लिए एक प्रबल आयुर्वेदिक दवा है। लेकिन अमा को पचाने और वात को शांत करने के प्रभावी गुण के कारण यह अन्य प्रकार के गठिया के उपचार के लिए भी बहुत अच्छी है। यह एक शक्तिशाली सूजन को कम करने वाली और दर्द निवारक दवा है जो गठिया के दर्द और लक्षणों को कम करने में मदद करती है। आप प्रतिदिन इसकी 2 गोलियां 2 से 3 बार ले सकते हैं या चिकित्सक द्वारा निर्देशित तरीके से इसका सेवन कर सकते हैं।

कम प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण हो रही जोड़ों की सूजन को गठिया कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया मुख्यतः ख़राब वात दोष के कारण होता है और गठिया को इसके मूल कारणों और वात दोषों के आधार पर आयुर्वेद में तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

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