रेगिस्तानी टिड्डियों की एक खास प्रजाति ने पिछले महीने भारतीय मैदानी इलाकों में राजस्थान के रास्ते एंट्री ली और खेतों में खड़ी फसलों और खाद्य उत्पादों को बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा रही हैं। राजस्थान के बाद, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि राजधानी दिल्ली-एनसीआर के इलाके में भी टिड्डियां अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, ताकि बड़ी संख्या में खेत और खेत में खड़ी फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सके।  

दिल्ली सरकार के कृषि विभाग ने 27 जून को एक अडवाइजरी यानी परामर्श जारी किया था ताकि दिल्ली और आसपास के इलाकों में टिड्डियों के आतंक को नियंत्रित किया जा सके। इसके लिए स्थानीय अग्निशमन विभाग को खेतों में खड़ी फसलों को बचाने और सुरक्षित रखने के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं करने को कहा गया था ताकि बड़ी संख्या में फसलों की बर्बादी को बचाया जा सके। इसके लिए निम्नलिखित कीटनाशक दवाइयों को अनुशंसित क्वांटिटी में इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी।

  • मैलाथिऑन 50 प्रतिशत ईसी (इमल्सीफायर कॉन्सन्ट्रेट)
  • मैलाथिऑन 25 प्रतिशत डब्लूपी (वेटेबल पाउडर)
  • क्लोरोपाइरिफॉस 20 प्रतिशत ईसी
  • क्लोरोपाइरिफॉस 50 प्रतिशत ईसी

प्रति हेक्टेयर खेती की जमीन में ऊपर बताए गए कीटनाशक उत्पादों को अनुशंसित डोज में ही इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है और वह भी 500 लीटर पानी में मिलाकर। शहरी इलाकों में रहने वाले लोग जिनके बागीचे या बालकनी में पौधे हों उन्हें अपने पौधों को प्लास्टिक शीट से ढक कर रखने की सलाह दी गई है ताकि टिड्डियां उन पौधों पर बैठकर उन्हें बर्बाद न कर दें।

  1. टिड्डियों को मैनेज करने की वैकल्पिक तकनीक
  2. क्या टिड्डियां इंसानों के लिए गंभीर हैं?
  3. इंसानों को टिड्डियों से कैसा खतरा है?
भारत में टिड्डियों का हमला : कोविड-19 महामारी के दौरान फसल को हो रहे नुकसान से भुखमरी का खतरा के डॉक्टर

टिड्डियों के दल को कंट्रोल करने के पिछले तरीके और पद्धतियां अल्पविकसित थे और उन्हें नियंत्रित करने की रणनीति पूरी तरह से सोच समझकर तैयार नहीं की गई थी। जैसे- टायर जलाना, टिड्डियों के दल को बड़े-बड़े जाल में पकड़ना या फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए गहरी खाई खोदना आदि। हालांकि कीटनाशकों का इस्तेमाल शायद एक मात्र ऐसा तरीका है जो कुछ हद तक टिड्डियों के इस आतंक को कंट्रोल करने में सफल रहा है।

ऑस्ट्रेलिया स्थित गवर्मेंट ऑफ विक्टोरिया के कृषि विभाग के मुताबिक, टिड्डियों के दल के असरदार मैनेजमेंट में निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है खासकर ऑर्गैनिक फसलों को बचाने के लिए:

जल्द से जल्द काम करें : टिड्डियों को फसलों पर हमला करने से रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि उन्हें उड़ने से पहले हॉपिंग स्टेज में ही रोक लिया जाए। भारतीय उपमहाद्वीप में टिड्डियों के जिस दल ने प्रवेश किया है बताया जा रहा है कि वह युवा हैं और उन्हें इस तकनीक से रोका जा सकता है। टिड्डियां जब वयस्क हो जाती हैं तो जल्दी-जल्दी परिचालन करने लगती हैं लिहाजा टिड्डियां जब युवा हों और तुरंत अंडे से बाहर आयी हों तभी उन्हें रोकना आसान होता है।

इलाज से जुड़ी प्रक्रियाएं : दिल्ली सरकार की ओर से टिड्डियों के इलाज के लिए जिन कीटनाशकों के इस्तेमाल को स्वीकृति दी गई है उसके अलावा टिड्डियों के इलाज से जुड़ी कई और प्रक्रियाएं भी हैं जिसमें ऑर्गैनिक फसलों को बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल शामिल है जिसमें मेटारहीजियम एनिसोप्लिए होता है।

मई और जून के महीने में उत्तर भारत के कई राज्यों में टिड्डियों का जो हमला हुआ उसे 26 सालों में सबसे बुरे हमले के तौर पर देखा जा रहा है। इन विनाशकारी कीटों के हमले से खेत में खड़ी कई-कई एकड़ फसलों के पूरी तरह से नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है जो इस कोविड-19 महामारी के समय सबसे ज्यादा चिंताजनक हो सकता है। 

भारत में कोविड-19 महामारी के मामले रोजाना तेजी से बढ़ रहे हैं और जनवरी 2020 में पहला मामला आने के बाद से भारत दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में चौथे नंबर पर पहुंच गया है। भारत में करीब 6 लाख लोग इस महामारी से निपटने के लिए भारत सरकार ने 25 मार्च 2020 से देशभर में लॉकडाउन लगा रखा था जो मई महीने तक जारी रहा और इसके बाद प्राधिकारी वर्ग ने देश के कुछ हिस्सों और उद्योगों को खोलना शुरू किया ताकि देश के नागरिकों पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ को कम किया जा सके।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और गुजरात ये कुछ ऐसे प्रदेश हैं जहां इस रेगिस्तानी टिड्डियों के दल ने सबसे ज्यादा गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। टिड्डियों का ये दल अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से आया है और इसने पाकिस्तान की तरफ से भारत में पश्चिमी हिस्से से प्रवेश किया है। यहां तक की महाराष्ट्र के कुछ हिस्से, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी कई सालों बाद टिड्डियों का सबसे बुरा हमला देखने को मिला है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, टिड्डियां इंसानों पर हमला नहीं करती हैं और अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं जो इस बात को साबित कर पाए कि टिड्डियां किसी संक्रामक बीमारियों की कैरियर होती हैं जिससे इंसान को नुकसान पहुंचे। हालांकि कृषि और खेतों में खड़ी फसलों को होने वाला खतरा प्रत्यक्ष रूप से नजर आता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं जहां पर बड़े-बड़े जाल या दूसरे तरीकों के जरिए इन टिड्डियों को जमा किया जाता है ताकि इंसान इनका सेवन कर पाएं। कई देशों और संस्कृतियों में टिड्डियों को खाने की परंपरा है। इन्हें उबालकर, भूनकर, तेल में हल्का फ्राई करके या फिर यूं ही सिर्फ धूप में सुखाकर भी खाया जाता है। वैसे तो टिड्डियां प्रोटीन से भरपूर होती हैं लेकिन हाल ही में ऐसी गई गतिविधियां हुई हैं जो इस बात का सुझाव देती हैं कि टिड्डियां इंसान के सेवन के लिए उचित नहीं हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा समय में टिड्डियों के दल द्वारा खेतों में लगी फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए इन टिड्डियों पर बहुत ज्यादा मात्रा में केमिकल वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिस कारण ये कीड़े-मकौड़े बेहद जहरीले हो जाते हैं और इंसान द्वारा इनका सेवन करने पर यह जानलेवा साबित हो सकते हैं।

प्राचीन मिस्त्र के समय से ही टिड्डियों का ये दल इंसान के प्राकृतिक वास को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार रहा है क्योंकि उनकी भूख यानी खाने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। रेगिस्तानी टिड्डियों की ये नस्ल खासकर खेतों में लगी फसलों के लिए ज्यादा नुकसानदायक है क्योंकि ये टिड्डियां अफ्रीका से लेकर मध्य पूर्व और बाकी एशिया के 60 लाख स्क्वेयर मील इलाके में निवास करती हैं। टिड्डियों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात के दौरान टिड्डियों का ये दल अपने आकार को बड़ा कर उस हिस्से में दोगुनी से भी ज्यादा संख्या में बढ़कर विनाशकारी स्पीड से इलाके की फसलों को बर्बाद कर सकता है।

अमेरिका के कृषि विभाग और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) की मानें तो टिड्डियों का एक दल जो करीब 1 किलोमीटर के हिस्से में फैला होता है उसमें करीब 4 करोड़ से ज्यादा टिड्डियां होती हैं जो करीब 35 हजार लोगों के सेवन के लिए इस्तेमाल होने वाले अनाज का सेवन कर सकती हैं। यही वजह है कि सरकारें और प्राधिकारी वर्ग टिड्डियों के इन हमलों से बेहद चिंतित है और हाई अलर्ट जारी कर इतने बड़े स्तर के नुकसान से बचने के लिए टि़ड्डियों पर कीटनाशकों के इस्तेमाल की सलाह दे रही हैं।

एफएओ के आंकड़ों के मुताबिक टिड्डियों द्वारा फसलों पर जो आक्रमण किया गया है कि उसकी वजह से बर्बाद हुए अनाज के कारण देश के लाखों लोग भुखमरी की तरफ बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं खतरा अभी और बढ़ सकता है क्योंकि मॉनसून का सीजन आ गया है और यह मौसम टिड्डियों के प्रजनन का मौसम होता है जिसमें वे ज्यादा से ज्यादा अंडे देकर अपनी तादाद बढ़ाती हैं।

21 मई 2020 को विश्व बैंक ने 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद की घोषणा की थी ताकि अफ्रीका और मध्य पूर्व के देश जहां टिड्डियों के दल ने हमला किया है और वहां पर रहने वाले लोगों के पास खाने की कमी हो गई है उनकी मदद की जा सके। एफएओ के मुताबिक अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं जो टिड्डियों के दल द्वारा हमला करने के किसी एक पैटर्न की पहचान कर पाएं क्योंकि टिड्डियों का ये दल रुक-रुक कर हमला करता है।

Dr. Syed Mohd Shadman

Dr. Syed Mohd Shadman

सामान्य चिकित्सा
6 वर्षों का अनुभव

Dr. Arun Mathur

Dr. Arun Mathur

सामान्य चिकित्सा
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Siddhartha Vatsa

Dr. Siddhartha Vatsa

सामान्य चिकित्सा
3 वर्षों का अनुभव

Dr. Harshvardhan Deshpande

Dr. Harshvardhan Deshpande

सामान्य चिकित्सा
13 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ