टेपवर्म आंतों पर रहने वाले परजीवी हैं। ये सपाट भी हो सकते हैं और खंडों में बटे हुए भी। वयस्क होते-होते इनका आकार बढ़ता जाता है। यह एक फुट तक लंबे हो सकते हैं। इस परजीवी की कई तरह की प्रजातियां मौजूद हैं, लेकिन इनमें सबसे आम डीपिलाइडियम कैनाइनम है। ये टेपवर्म कुत्तों में पिस्सू के माध्यम से संचारित होते हैं। कुत्ते अपने पंजे या अन्य किसी अंग को चाटकर साफ करते हैं और इस दौरान वे गलती से इन टेपवर्म को निगल जाते हैं। हालांकि, यह चूहे और खरगोश से भी संचारित हो सकते हैं, मगर ऐसा बहुत कम होता है। इस तरह के मामले शिकारी कुत्तों में नहीं देखे जाते हैं।

टेपवर्म छोटी आंत में रहते हैं और धीरे-धीरे विकसित होते हैं। वयस्क टेपवर्म 30 सेंटीमीटर तक बढ़ सकते हैं। उनका शरीर खंडों में बढ़ता है जिसे प्रोग्लोटिड कहते हैं। जब यह प्रोग्लोटिड टूट जाते हैं तो यह कुत्ते के मल के जरिये बाहर निकल जाते हैं। कई बार इन्हें आसानी से मल में पहचाना जा सकता है। यह दिखने में चावल के दाने जितने छोटे सफेद रंग के होते हैं। कभी-कभी कुत्ते के गुदा के आसपास प्रोग्लोटिड को गति करते हुए देखा जा सकता है। आखिर में प्रोग्लोटिड सूखकर फट जाते हैं और जिसमें प्रत्येक में से बीस अंडे रिलीज होते हैं। पिस्सू इन अंडों को निगल सकते हैं और जब कोई कुत्ता इन पिस्सुओं के संपर्क में आता है तो उसे टेपवर्म संक्रमण हो जाता है।

आमतौर पर टेपवर्म स्वास्थ्य समस्याओं का कारण नहीं बनते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में कुत्तों में दस्त और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या की शिकायत हो सकती है, जबकि छोटे कुत्तों में संक्रमण अधिक गंभीर हो सकता है। इससे एनीमिया, स्टंटेड ग्रोथ (जब एक बच्चा अपनी उम्र के अनुसार अपेक्षित ऊंचाई या वजन नहीं पाता है) और आंतों में ब्लाकेज की समस्या हो सकती है। खुजली होने पर कुत्ते अक्सर अपने गुदा या आसपास के हिस्से को चबाने की कोशिश करते हैं या कई बार जमीन पर प्रभावित हिस्से को रगड़ते हैं। यदि कोई मालिक अपने कुत्ते में ऐसे व्यवहार को नोटिस करता है या कुत्ते के मल में सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, तो तुरंत पशु चिकित्सक के पास जाएं और इस बारे में सलाह लें। जब कुत्ता गुदा वाले हिस्से को जमीन पर रगड़कर चलता है, तो यह कुत्तों में गुदा थैली रोग जैसी मुख्य समस्या का संकेत भी हो सकता है।

टेपवर्म का इलाज आसान और प्रभावी है। पशुचिकित्सक कुत्ते में कीड़े को मारने के लिए दवा या इंजेक्शन दे सकते हैं। खास बात यह है कि कुत्ते इन दवाओं को अच्छी तरह से सहन कर सकते हैं और आमतौर पर इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। इस समस्या को दोबारा या बार बार होने से रोकने के लिए पिस्सू को नियंत्रित करने वाली प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। इस समस्या का संचरण मनुष्यों में होना दुर्लभ है, फिर भी अपने पालतू जानवर के साथ खेलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना जरूरी होता है।

  1. कुत्तों के टेपवर्म संक्रमण के लक्षण - Kutton me tapeworm ke lakshan
  2. कुत्तों में टेपवर्म के कारण - Kutton me tapeworm ke karan
  3. कुत्तों में टेपवर्म का निदान - Kutton me tapeworm ka nidan
  4. कुत्तों में टेपवर्म का इलाज - Kutton me tapeworm ka upchar
  5. कुत्तों में टेपवर्म को कैसे रोकें - Kutton me tapeworms ko kaise roke

कुत्ते में टेपवर्म के लक्षण

हो सकता है कि टेपवर्म से संक्रमित होने के बाद कुत्ते में कई सारे लक्षण दिखाई न दें, लेकिन कुछ संकेतों के जरिए इस स्थिति की पहचान की जा सकती है :

  • गुदा वाले हिस्से को घिसना : जब टेपवर्म से संक्रमित कुत्ता मल त्याग करता है तो ऐसे में यह टेपवर्म शरीर से बाहर निकल सकते हैं। कई बार यह टेपवर्म गुदा वाले हिस्से पर घूमते हुए पाए जाते हैं, ऐसे में कुत्ता गुदा वाले हिस्से को चबाने, काटने या फर्श पर घिसटने की कोशिश करता है।
  • मल में सफेद धब्बे : यदि कुत्ता टेपवर्म से पीड़ित है, तो उसके मल में चावल के दानों की तरह सफेद स्पॉट दिखाई दे सकते हैं। गौर से देखने पर यह हिलते या मूवमेंट करते नजर आ सकते हैं।
  • वजन कम होना : गंभीर मामलों में, ऐसा भी हो सकता है कि कुत्ते की भूख कम न हो, लेकिन उसके वजन में कमी आ जाए। टेपवर्म की वजह से भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण में समस्या भी हो सकती है।
  • उल्टी : कुछ मामलों में, टेपवर्म की वजह से कुत्ते को उल्टी की समस्या भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में कीड़ा उल्टी में दिखाई दे सकता है।
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टेपवर्म इंफेक्शन या सेस्टोडायसिस तब होता है जब कुत्ता बीमारी फैलाने वाले पिस्सू के लार्वा को निगल लेता है, जिसमें टेपवर्म के अंडे होते हैं। ऐसा तब होता है जब कुत्ते खुद को या किसी अन्य कुत्ते को साफ करते समय गलती से पिस्सू को निगल लेते हैं। एक बार जब टेपवर्म शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो वह अपने हुक जैसे मुंह का इस्तेमाल करके छोटी आंत में चिपक जाता है। यहां से यह समतल, सफेद रंग के खंडों में बढ़ते या विकसित होते हैं, जिसे प्रोग्लोटिड कहा जाता है। प्रोग्लोटिड में अंडे होते हैं जो टूटते रहते हैं और मल के जरिए पास होते रहते हैं। जब वे खुलकर टूट जाते हैं तो इनमें से अंडे निकलते हैं जिन्हें पिस्सू निगल लेते हैं और यह चक्र फिर से शुरू हो जाता है।

अक्सर कुत्तों को घर के बाहर टहलाने के लिए ले जाया जाता है और इस दौरान वे कई बार अन्य कुत्तों या टेपवर्म के अंडों के संपर्क में आ जाते हैं, यही वजह है कि कुत्तों में यह समस्या होने का जोखिम बना रहता है। ऐसे में बेहतर यही है कि कुत्ते के व्यवहार को नोटिस किया जाए ताकि समय पर उसकी बीमारी का निदान हो सके।

टेपवर्म की पुष्टि करने के लिए मल की जांच करना पर्याप्त होता है। अगर कुत्ते के मल में चावल जैसे सफेद कण दिखाई देते हैं तो यह टेपवर्म का संकेत हो सकता है। यदि कुत्ता गुदा वाले हिस्से को जमीन पर घिसटता है तो यह भी टेपवर्म का एक संकेत है।

जब आप किसी पशु चिकित्सक के पास जाते हैं तो वे मालिक से पालतू जानवरों के बारे में चिकित्सा संबंधी सवाल पूछ सकते हैं जैसे कि :

  • क्या कुत्ते को पहले भी कभी टेपवर्म की समस्या हुई है?
  • क्या कुत्ता हाल ही में वन्यजीवों के आसपास रहा है?
  • क्या कुत्ता हाल ही में किसी नए कुत्ते से मिला है?

अगर कुत्ते की उल्टी या मल में कीड़े दिखे हैं, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को बताएं। हालांकि, यदि कुत्ता अपने गुदा वाले हिस्से को रगड़ता है या उसके मल में सफेद धब्बे दिखाई देते हैं, तो ऐसे में मालिक को 'कुत्ते में गुदा ग्रंथि रोग'(एनल ग्लैंड डिसीज) के लिए भी टेस्ट करवा लेना चाहिए, क्योंकि यह संकेत इन दोनों स्थितियों में देखे जाते हैं।

टेपवर्म के इलाज के लिए डीवर्मिंग मेडिसिन यानी कीड़े मारने वाली दवा दी जाती है। इसकी एक टैबलेट की कीमत लगभग 30 रुपये हो सकती है। हालांकि, कीमत ब्रांड के अनुसार भिन्न हो सकती है। यह दवाएं टेपवर्म के खिलाफ प्रभावी होती हैं। दुर्लभ रूप से इस दवा के दुष्प्रभाव सामने आते हैं। डीवर्मिंग प्रक्रिया में आमतौर पर प्राजिक्वांटल (Praziquantel) दवा दी जाती है, जो कीड़ों को मारने में सक्षम है।

ध्यान रहे पशु चिकित्सक से सलाह लिए बगैर अपने आप उपचार शुरू न करें, क्योंकि दवाइयों की खुराक के बारे में एक पशु चिकित्सक ही सही व सटीक सलाह दे सकता है। यदि कुत्ते को टेपवर्म की वजह से दस्त या असामान्य व्यवहार की समस्या होती है तो इन लक्षणों के लिए भी दवा लेने की आवश्यकता हो सकती है।

(और पढ़ें - कुत्ते का स्वास्थ्य और देखभाल)

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कुत्ते में टेपवर्म इंफेक्शन को रोकने का सबसे अच्छा तरीका कुत्ते में पिस्सू की समस्या को नियंत्रित करना है। यह बेहद सरल उपायों के माध्यम से किया जा सकता है जैसे कि अपने कुत्ते को एंटी-पिस्सू शैम्पू से नहलाएं और उसके बिस्तर और कपड़ों की रोजाना सफाई करें। यदि संभव हो, तो अपने पालतू जानवरों के लिए टिक व पिस्सू कॉलर भी खरीद सकते हैं।

इसके अलावा कालीन और सतहों को अच्छी तरह से साफ (हो सके तो वैक्यूम से) करें। पशु चिकित्सक से पिस्सू को मारने या भगाने के लिए स्प्रे (एंटी फ्लीय स्प्रे) या पेस्ट कंट्रोल वाले को घर बुलाने की सलाह मांग सकते हैं। इसके अलावा चादर और उसके कपड़ों की भी सफाई करना एक अच्छा विचार है।

कुत्ते को कब डीवर्मिंग टैबलेट दी जा रही है इसकी जानकारी नोट करके चलें। हालांकि, पशु चिकित्सक कुत्ते के मालिक को डिवर्मिंग शेड्यूल की योजना बनाने में मदद कर सकते हैं। वयस्क कुत्तों को हर तीन महीने में एक बार कीड़े मारने की दवा देने की जरूरत होती है। बता दें, पालतू जानवरों के शरीर के वजन के अनुसार डोज दी जाती है, जैसे 10 किलोग्राम के कुत्ते के लिए एक टैबलेट पर्याप्त है, उसी तरह ज्यादा बड़े कुत्तों के लिए अलग डोज हो सकती है। 

मालिक को दवाई के पत्ते पर लिखे निर्देशों को पढ़ लेना चाहिए।

संदर्भ

  1. Veterinary Partner. [Internet]. Veterinary Information Network. Davis, California; Taenia Species Tapeworms in Dogs and Cats
  2. American Kennel Club. [Internet]. AKC Inc. New York.;Tapeworms in Dogs: Symptoms, Treatment, and Prevention
  3. Pet MD. [Internet]. Pet MD, LLC; Identifying and Treating Tapeworms in Dogs
  4. VCA. [Internet]. VCA Inc.; Tapeworm Infection in Dogs
  5. MSD Veterinary Manual [Internet]. Merck & Co., Inc.; Tapeworms in Dogs and Cats
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