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खराब लाइफस्टाइल व स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से कई महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी आती है. जब कोई महिला प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, तो ऐसे में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उनकी मदद कर सकता है. आईवीएफ ऐसी प्रक्रिया है, जो इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे कपल को खुशियां देने में मदद कर सकती है, लेकिन कुछ मामलों में आईवीएफ बार-बार फेल हो जाता है. आईवीएफ फेल होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं.

इस लेख में आप आईवीएफ फेल होने के कारणों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

आईवीएफ प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि आप फर्टिलिटी बूस्टर दवा को खरीदकर नियमित रूप से सेवन करें.

  1. आईवीएफ असफल होने के कारण
  2. आईवीएफ फेल होने के जोखिम को कम कैसे करें?
  3. सारांश
आईवीएफ फेल होने के कारण के डॉक्टर

आईवीएफ के फेल होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे - महिला की आयु ज्यादा होना या इंप्लांटेशन में दिक्कत होना आदि. इन सभी कारणों के बारे में नीचे बताया गया है -

महिला की अधिक उम्र

जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र अधिक होती जाती है, उनके अंडों की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आने लगती है. इसकी वजह से महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना काफी कम हो जाती है. इतना ही नहीं महिलाओं के अंडे की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट आईवीएफ ट्रीटमेंट को भी प्रभावित कर सकती है. इसकी वजह से आईवीएफ के माध्यम से होने वाली गर्भावस्था प्रभावित हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो 35 वर्ष व इससे अधिक उम्र की महिलाओं में आईवीएफ असफल होने की अधिक संभावना होती है.  

(और पढ़ें - सरकारी अस्पताल में आईवीएफ)

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भ्रूण की खराब गुणवत्ता

आईवीएफ के सफल न होने का एक मुख्य कारण भ्रूण की गुणवत्ता भी हो सकती है. दरअसल, आईवीएफ उपचार के दौरान प्रयोगशाला में भ्रूण बनाने के लिए महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को एक साथ मिलाया जाता है. प्रयोगशाला में भ्रूण स्वस्थ दिखाई दे सकते हैं, लेकिन जब इन्हें गर्भाशय में डाला जाता है, तो यह किसी न किसी वजह से फेल हो सकता है. कई बार भ्रूण बढ़ने के बजाय मर जाते हैं. इसके अलावा, कई बार गर्भाशय में कुछ गड़बड़ी होने की वजह से भी भ्रूण नहीं बढ़ पाता है.

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ओवरी की प्रतिक्रिया

कभी-कभी एक महिला का अंडाशय, अंडों का उत्पादन करने वाली प्रजनन दवाइयों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है. आईवीएफ ट्रीटमेंट के शुरुआत में महिला को फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) नामक इंजेक्शन लगाया जाता है. यह इंजेक्शन फर्टिलिटी और अंडे का उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन कुछ महिलाओं का अंडाशय इस इंजेक्शन के प्रति सही प्रतिक्रिया नहीं देता है. इसकी वजह से महिलाएं अंडे का उत्पादन करने में विफल हो जाती हैं.

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इंप्लांटेशन में दिक्कत

आईवीएफ ट्रीटमेंट में अंडे और शुक्राण को एक साथ मिलाया जाता है. इसके बाद उसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, लेकिन कुछ महिलाओं में इंप्लांटेशन में दिक्कत आ जाती है यानी भ्रूण को गर्भाशय में डालने की प्रक्रिया सफल नहीं हो पाती है. इंप्लांटेशन में दिक्कत कई कारणों से आ सकती हैं. इसमें शामिल हैं-

  • गर्भाशय में पॉलीप्स की उपस्थिति
  • प्रोजेस्टेरोन हार्मोन लेवल में वृद्धि  
  • गर्भाशय में संक्रमण

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खराब लाइफस्टाइल

एक प्राकृतिक गर्भावस्था की तरह ही आईवीएफ से पहले और उसके दौरान स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी होता है. सही लाइफस्टाइल से गर्भधारण करने में मदद मिल सकती है. अगर कोई महिला धूम्रपान करती है, तो उसे आईवीएफ शुरू करने से कुछ महीने पहले ही इसे छोड़ देना चाहिए.

धूम्रपान प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. इसके साथ ही आईवीएफ करवाने के दौरान महिला का वजन न तो कम होना चाहिए और न ही ज्यादा. इस दौरान हेल्दी डाइट लेनी चाहिए और नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए. इतना ही नहीं आईवीएफ के दौरान महिलाओं को फास्ट फूड, जंक फूड और शराब से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए.

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क्रोमोसोम में भिन्नता

आईवीएफ उन भ्रूणों के कारण भी फेल हो सकता है, जिनमें क्रोमोसोम संबंधी भिन्नता पाई जाती हैं. इसका मतलब यह है कि भ्रूण में क्रोमोसोमल डीएनए गायब है या फिर बहुत अधिक है. इसके अलावा, भ्रूण के क्रोमोसोम का अनियमित हिस्सा भी आईवीएफ फेल होने का कारण बन सकता है. इन स्थितियों में शरीर भ्रूण को स्वीकार नहीं करता है और आईवीएफ असफल हो जाता है.  

क्रोमोसोम में भिन्नता माता-पिता में से किसी एक से मिल सकती है या फिर यह भ्रूण विभाजन के प्रारंभिक चरणों के दौरान भी विकसित हो सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के भ्रूणों में क्रोमोसोमल भिन्नता होने की अधिक आशंका होती है.

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सक्रिय प्रजनन प्रतिरक्षा

जब महिला के शरीर में अति सक्रिय प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं, तो इसकी वजह से आईवीएफ प्रक्रिया असफल हो सकती है. अगर आप आईवीएफ करवा रहे हैं, लेकिन गर्भधारण करने में असफल हो रहे हैं, तो इस बात की अधिक संभावना है कि आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं भ्रूण पर हमला कर रही हैं.

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कुछ मामलों में आईवीएफ एक ही बार में सफल हो जाता है, लेकिन कई बार आईवीएफ को सफल बनाने के लिए 2 या इससे अधिक बार प्रोसेज किया जाता है. इतना ही नहीं कई बार तो बार-बार आईवीएफ करने के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पाता है यानी आईवीएफ बार-बार फेल हो जाता है. ऐसे में अगर आप आईवीएफ विफलता के कारणों के बारे में जानना चाहते हैं, तो इसके लिए आप पहले कुछ टेस्ट करवा सकते हैं. इससे बार-बार होने वाले आईवीएफ असफलता का जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है -

  • इम्यून टेस्ट
  • इंफेक्शन स्क्रीनिंग
  • यूट्रीन कैविटी असेसमेंट
  • कार्योटाइप टेस्ट
  • स्पर्म असेसमेंट

(और पढ़ें - पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है)

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जब कोई महिला प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, तो ऐसे में कपल माता-पिता बनने के लिए आईवीएफ का सहारा लेते हैं. कुछ मामलों में आईवीएफ प्रक्रिया एक ही बार में सफल हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में बार-बार आईवीएफ फेल हो जाता है. अंडे और शुक्राणु की खराब गुणवत्ता, महिला की अधिक उम्र, खराब लाइफस्टाइल और इंप्लांटेशन में दिक्कत होने की वजह से आईवीएफ असफल हो सकता है. ऐसे में डॉक्टर आपकी जांच करके इसके कारणों का पता लगा सकते हैं. इस कारण का इलाज करने के बाद आप दोबारा से आईवीएफ करवाने की सोच सकते हैं.

(और पढ़ें - गर्भ ठहरने के लिए स्पर्म कितना होना चाहिए)

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