गर्मी का मौसम आया नहीं कि बहुत से लोगों को शरीर पर दाने हो जाते हैं और कांटे जैसी चुभन महसूस होने लगती है और इसे ही घमौरी या हीट रैश कहते हैं। सिर्फ वयस्कों को ही नहीं बल्कि बच्चों और खासकर नवजात शिशुओं को भी घमौरी की समस्या हो सकती है। घमौरी अचानक से होती है और स्किन पर छोटे-छोटे ढेर सारे लाल दाने या चकत्ते की तरह होती है जो देखने में भले ही भयानक लगे, लेकिन इसे लेकर चिंतित होने की कोई बात नहीं है। शिशुओं और बच्चों की स्किन बेहद नाजुक होती है इसलिए वयस्कों की तुलना में इन्हें घमौरी होने का खतरा अधिक रहता है। 

दरअसल, हीट रैश या घमौरी जिसे कुछ लोग प्रिक्ली हीट या मिलिएरिया भी कहते हैं त्वचा में होने वाली एक तरह की उत्तेजना है जो त्वचा के बहुत ज्यादा गर्म हो जाने की वजह से होती है। इन दानों या चकत्तों की वजह से असहजता महसूस होती है और हर वक्त खुजली भी होती रहती है। अगर आप जहां रहते हैं वहां का तापमान बेहद गर्म है और आपका शिशु दिनभर इधर-उधर घूमता रहता है, गतिविधियां करता रहता है, खेलकूद करता है तो जाहिर सी बात है कि उसे पसीना निकलेगा। ऐसे में शिशु को घमौरी होने की आशंका बढ़ जाती है।

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शिशुओं और बच्चों के शरीर का तापमान वैसे भी वयस्कों की तुलना में कुछ अधिक गर्म होता है। ऐसे में घुटनों के बल चलने, दौड़ने भागने, सीढ़ियां चढ़ने ये सब करने की वजह से शरीर का तापमान और बढ़ता है, पसीना निकलता है, नतीजतन घमौरी। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का सुझाव है कि छोटे बच्चों को हर दिन कम से कम 60 मिनट की फिजिकल ऐक्टिविटी जरूर करनी चाहिए। ऐसे में जब आप बच्चे को नहलाने के लिए उसके कपड़े उतारें और आपको स्किन पर रैशेज जैसा कोई चकत्ता नजर आए तो यह असल में घमौरी हो सकती है। 

लिहाजा शिशुओं में होने वाली घमौरी का कारण क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, इलाज और घरेलू उपचार क्या है और इसे होने से कैसे रोका जा सकता है, इन सभी बातों के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

  1. शिशुओं को आखिर क्यों होती है घमौरी? - shishu ko kyu hoti hai ghamori?
  2. शिशुओं में घमौरी के लक्षण और रोग की पहचान - shishu ko ghamori hone ke lakshan
  3. शिशुओं में घमौरी से जुड़े जोखिम कारक - shishu me ghamori ke risk factors
  4. शिशुओं में घमौरी का इलाज और घरेलू नुस्खे - shishu ki ghamori ka ilaj aur gharelu nuskhe
  5. घमौरी के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कब पड़ती है? - doctor ke paas kab jae?
  6. शिशु में घमौरी को होने से रोकने के उपाय - ghamori ko rokne ke upay
गर्मियों में बच्चों को क्यों होती है घमौरी, जानें के डॉक्टर

घमौरी तब होती है जब पसीना, त्वचा से बाहर निकलने की बजाए त्वचा के अंदर ही दबा रह जाता है। चूंकि शिशु के शरीर में मौजूद पसीने की ग्रंथि बेहद छोटी होती है और वे अपने शरीर के तापमान को नियमित नहीं रख पाते हैं, यही वजह है कि वयस्कों की तुलना में शिशुओं को घमौरी होने का खतरा अधिक होता है। इतना ही नहीं अगर शिशु को पहनाए गए कपड़े बेहद टाइट हों, उन्हें कपड़े में कसकर लपेटकर रखा जाए या फिर कंबल ओढ़ाया जाए तो इससे भी घमौरी होने की आशंका रहती है। इन कारणों से शिशु को घमौरी (हीट रैश) होती है:

  • शिशु का अपने वातावरण पर कोई नियंत्रण नहीं होता यानी उन्हें अगर गर्मी लग भी रही हो तब भी वे अपने कपड़े खोल नहीं सकते या गर्म जगह से खुद से हट नहीं सकते।
  • शिशु के शरीर में स्किन फोल्ड यानी त्वचा की परत या मोड़ अधिक होते हैं जिसमें गर्मी और पसीना फंसा रह जाता है
  • जब पसीने की ग्रंथि स्किन में ब्लॉक हो जाती है तो पसीना फंसा रहता है जिससे स्किन पर तरल पदार्थों से भरे गांठ या उभार बन जाता है। ये उभार खासकर तब बनता है जब शरीर का एक हिस्सा दूसरे हिस्स से घर्षण करता है। 
  • शिशुओं में आमतौर पर गर्दन के मुड़ने वाले हिस्से में, कोहनी और घुटने की क्रीज में, अंडरआर्म्स या बगलों में या फिर जांघ के अंदरूनी हिस्से में घमौरी होती है।
  • अगर मौसम और वातावरण में गर्मी और नमी की मात्रा बहुत ज्यादा हो तो इससे भी घमौरी हो सकती है।
  • अगर शिशु ने ऐसे फैब्रिक से बना कपड़ा पहना है जिसकी वजह से स्किन से पसीना बाहर नहीं निकल पा रहा है तो पसीना फंसे रहने की वजह से भी स्किन में घमौरी हो सकती है।
  • अगर आपने शिशु या बच्चे को बहुत ज्यादा कपड़े पहना दिए हैं या फिर आपने जो कपड़ा पहनाया है उसका फैब्रिक मौसम के हिसाब से बेहद गर्म और हेवी है तो इससे भी घमौरी की आशंका बनी रहती है।
  • अगर शिशु के स्किन पर बहुत ज्यादा तेल, क्रीम या ऑइंटमेंट का इस्तेमाल किया जाए तो इससे भी पसीने की ग्रंथि ब्लॉक हो सकती है।
  • कई बार डॉक्टर द्वारा बतायी गई किसी दवा के सेवन से भी पसीने की ग्रंथि का फंक्शन बढ़ जाता है जिससे घमौरी होने का खतरा रहता है।

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ज्यादातर शिशुओं में घमौरी का एकमात्र लक्षण यही होता है कि शरीर पर लाल-लाल दाने या चकत्ते नजर आते हैं और खासकर शरीर के उन हिस्सों पर जो तेज गर्मी के संपर्क में आए हों। गर्म कपड़े, शिशु को कपड़े में कसकर लपेटकर रखना, कमरे में हवा का संचालन न होना या फिर हीट सोर्स के बिलकुल नजदीक रहने पर भी घमौरी होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे में शिशु के शरीर का वह हिस्सा जो खासकर ज्यादा गर्म था वहां पर चकत्ता या दाने जैसे रैशेज नजर आ सकते हैं। 
घमौरी के लक्षणों की बात करें तो:

  • त्वचा पर दिखने वाला लाल-लाल चकत्ता (रैशेज)
  • त्वचा के बड़े हिस्से पर बेहद छोटे-छोटे पिन के साइज की फुंसी या छाले
  • त्वचा का गर्म होना
  • त्वचा में लगातार खुजली होना
  • कई बार ये छाले या फुंसी देखने में पिंपल जैसे भी नजर आते हैं

ज्यादातर मामलों में घमौरी, बिना किसी इलाज के अपने आप ही बड़ी जल्दी खत्म हो जाती है और बहुत ज्यादा असुविधा या तकलीफ नहीं देती। इसलिए डॉक्टर के पास जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। अगर बाहर का मौसम बेहद गर्म हो, हद से ज्यादा गर्मी पड़ रही हो तो जाहिर सी बात है कि शरीर पर घमौरी के संकेत नजर आएंगे। लेकिन अगर आप पहचान नहीं पा रही हैं कि शिशु के स्किन पर मौजूद यह चकत्ते घमौरी हैं या कुछ और तो डॉक्टर से संपर्क करें। वे इसे आसानी से डायग्नोज कर लेंगे।

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उन जोखिम कारकों या रिस्क फैक्टर्स की बात करें जिसकी वजह से शिशुओं और बच्चों में घमौरी होने की आशंका बनी रहती है तो वे कारण हैं:

  • शिशु को वैसे कपड़े पहनना है जो मौसम के हिसाब से बेहद गर्म हों
  • हद से ज्यादा गर्म वातावरण में रहना
  • हीट सोर्स जैसे- स्पेस हीटर या हीट लैंप के बेहद नजदीक बैठना
  • अगर तापमान बेहद गर्म हो या शिशु को पसीना आ रहा हो उसके बाबवूद उसे कपड़े में कसकर लपेटकर रखना
  • हद से ज्यादा पसीना निकलना
  • शिशु को बेहद टाइट कपड़े पहनाना जिससे स्किन को सांस लेने में मुश्किल हो

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वैसे तो घमौरी बिना किसी इलाज के भी कुछ दिनों में खुद-ब-खुद ही ठीक हो जाती है लेकिन घमौरी की वजह से अगर शिशु या बच्चे को किसी तरह की दिक्कत या असहजता महसूस हो रही हो तो घमौरी जल्दी ठीक हो जाए इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • जैसे ही शिशु के शरीर में घमौरी के एक भी संकेत नजर आएं उसे किसी ठंडी जगह पर रखना शुरू करें।
  • शिशु के शरीर पर मौजूद कपड़े के एक्सट्रा लेयर को कम कर दें।
  • अगर शिशु घर के बाहर गर्म या नमी वाले माहौल से आया हो तो उसके पसीने से गीले हुए कपड़े उतार दें और पंखा चला दें ताकि शिशु की स्किन सूख जाए।
  • जहां तक संभव हो शिशु की त्वचा को ठंडा और सूखा बनाए रखें।
  • स्किन के जिस हिस्से में घमौरी हो गई है वहां पर आप ठंडी पट्टी भी रख सकती हैं। ऐसा करने से स्किन का तापमान कम हो जाएगा और प्रभावित हिस्से में कोमलता महसूस होगी।
  • आप चाहें तो अपने शिशु को करीब 10 मिनट के लिए ठंडे पानी से नहला सकती हैं लेकिन इस दौरान साबुन का इस्तेमाल न करें क्योंकि साबुन से स्किन में इरिटेशन बढ़ सकती है। नहलाने के बाद शिशु की त्वचा को अच्छे से पोंछकर सुखा लें।
  • घमौरी वाले प्रभावित हिस्से को ठंडे पानी से धोएं ताकि वहां से पसीना और तेल पूरी तरह से हट जाए और फिर स्किन को हल्के हाथ से पोंछकर सुखा लें।
  • शिशु के स्किन के सभी जोड़ और मोड़ वाले हिस्सों को नियमित रूप से साफ करते रहे हैं ताकि वहां पसीना या तेल जमकर घमौरी को और न बढ़ाए।
  • शिशु को कुछ देर के लिए बिना कपड़ों के रखें ताकि उसकी स्किन ठंडी हो जाए।
  • शिशु की त्वचा को ठंडा बनाए रखने के लिए पंखा या एसी का इस्तेमाल करें।
  • शिशु के शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए अगर शिशु बेहद छोटा हो तो उसे नियमित रूप से मां का दूध पिलाएं और अगर बच्चा बड़ा है तो उसे पानी पिलाते रहें।
  • बिना डॉक्टरी सलाह के अपने मन से किसी भी तरह की रैश क्रीम का इस्तेमाल न करें क्योंकि घमौरी किसी तरह का ऐलर्जिक रिऐक्शन नहीं है। एलर्जी वाली क्रीम या ड्राई स्किन के लिए इस्तेमाल होने वाली क्रीम, घमौरी को ठीक करने में किसी तरह से मदद नहीं कर सकती।

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  • घमौरी ठीक न हो और मामला ज्यादा बिगड़ जाए घमौरी आमतौर पर एक सप्ताह के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन अगर आपके शिशु की स्किन पर सप्ताह भर बाद भी घमौरी नजर आ रही है या फिर अगर घमौरी ज्यादा बढ़ जाए या उसमें किसी तरह का इंफेक्शन नजर आ रहा हो तो अपने पीडियाट्रिशन से तुरंत संपर्क करें।
  • अगर शिशु को बुखार हो जाए अगर शिशु को घमौरी होने के साथ-साथ बुखार भी आ जाए तो बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं। डॉक्टर बच्चे के लिए कोई स्टेरॉयड क्रीम या एंटीथिस्टैमिन्स या एंटीबायोटिक्स प्रिस्क्राइब कर सकते हैं ताकि घमौरी या बैक्टीरियल इंफेक्शन की समस्या जल्द ठीक हो जाए।

नवजात शिशुओं या छोटे बच्चों को घमौरी (हीट रैश) न हो, इसके लिए इन उपायों को आजमाना चाहिए:

  • शिशु या बच्चे को हमेशा सीजन के हिसाब से कपड़े पहनाएं। जरूरी नहीं कि आप बच्चे को हमेशा कंबल से ढक कर रखें या कपड़े में कसकर लपेटकर रखें, खासकर जब मौसम बेहद गर्म हो।
  • बच्चों को बेहद टाइट कपड़े पहनाने की बजाए, लूज-फिटिंग वाले कॉटन कपड़े पहनाएं ताकि उनकी स्किन सांस ले पाए जैसे- कॉटन पैंट्स या गाउन आदि।
  • शिशुओं और बच्चों को तेज और सीधी धूप से हमेशा बचाकर रखें। अगर बच्चे धूप में खेलने जा रहे हों तो उन्हें ऐसा करने से रोकें।
  • जब तापमान बहुत अधिक बढ़ जाए और मौसम बेहद गर्म हो तो शिशु को ठंडा रखने के लिए पंखा और एसी का इस्तेमाल करें।
  • शिशुओं और बच्चों पर हमेशा नजर रखें। अगर उन्हें ज्यादा पसीना आ रहा हो, शिशु का चेहरा लाल या उत्तेजित हो गया हो तो उसे किसी ठंडी जगह पर लेकर जाएं।
  • आपका बच्चा गर्म तापमान में खेल रहा हो या ठंडे में उसे नियमित रूप से पानी पिलाते रहें। अगर बच्चे का शरीर हाइड्रेटेड रहेगा, शरीर में पानी की कमी नहीं होगी तो शरीर का तापमान अपने आप ही हेल्दी लेवल पर रहेगा।

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Dr. Mayur Kumar Goyal

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