संक्रमण - Infections in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

July 11, 2017

September 23, 2021

संक्रमण
संक्रमण

संक्रमण क्या होता है?

संक्रमण तब होता है जब कोई बाहरी जीव किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है और उसे नुकसान पहुंचाता है। यह जीव जीवित रहने के लिए, प्रजनन करने के लिए और बसने के लिए व्यक्ति के शरीर का उपयोग करते हैं। इन संक्रामक जीवों को रोगजनकों के रूप में जाना जाता है। रोगजनकों के उदाहरणों में "बैक्टीरिया" (Bacteria), "वायरस" (Virus), कवक/"फंगी" (Fungi) और "प्रायन" (Prion) शामिल हैं। रोगजनक जल्दी से गुणन करते हैं और दूसरे माहौल में अनुकूलित हो जाते हैं।

कुछ संक्रमण हल्के होते हैं और उन पर ध्यान नहीं जाता, लेकिन कुछ गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं।  कुछ संक्रमण पर इलाज का कोई असर नहीं पड़ता। संक्रमण विभिन्न तरीकों से फ़ैल सकता है, जैसे त्वचा के संपर्क, किसी दूसरे के शारीरिक तरल पदार्थ से संपर्क, मल के साथ संपर्क और हवा में मौजूद कणों से। संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुई गयी वस्तु को छूने से भी संक्रमण फ़ैल सकता है। संक्रमण कैसे फैलता है और शरीर पर इसके प्रभाव संक्रमण करने वाले रोगजनक के प्रकार पर निर्भर करता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रामक एजेंट को रोक सकती है, लेकिन इनकी बड़ी संख्या को रोकने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावी नहीं होती। ऐसे मामलों में संक्रमण हानिकारक हो जाते हैं।

कई रोगजनक विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। 

संक्रमण के प्रकार - Types of Infections in Hindi

संक्रमण के प्रकार कितने होते हैं?

इन्फेक्शन करने वाले विभिन्न प्रकार के रोगजनक जीव (एजेंट) निम्नलिखित हैं -

  • बैक्टीरिया (Bacteria)
  • वायरस (Virus)
  • फंगी (Fungi)
  • प्रोटोजोआ (Protozoa)
  • पैरासाइट (Parasites: परजीवी)
  • प्रायन (Prions)

ये एजेंट अकार, आकृति और शरीर पर डालने वाले प्रभावों में भिन्न होते हैं।

कुछ आम प्रकार के संक्रमण निम्नलिखित हैं -

फंगल इन्फेक्शन के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं -

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इन्फेक्शन कैसे होता है - How does Infection spread in Hindi

इन्फेक्शन कैसे फैलता है?

इन्फेक्शन निम्नलिखित तरीकों से फ़ैल सकता है -

  • प्रत्यक्ष तौर पर (Direct contact)
    इन्फेक्शन फैलने का सबसे आसान तरीका है ऐसे व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आना जो पहले से ही संक्रमित हो। यह तरीके निम्नलिखित हैं -
  1. जानवर से व्यक्ति में - किसी जानवर के काटने या खरोंचने से आपको इन्फेक्शन हो सकता है (पालतू जानवर से भी)। कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकता है। जानवरों के मल मूत्र के संपर्क में आना भी खतरनाक हो सकता है।
  2. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में - संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को छूने, किस करने या आसपास छींकने व खांसने से फैलता है। इन्फेक्शन के कीटाणु यौन गतिविधियों के दौरान शरीर के तरल पदार्थों के आदान-प्रदान से भी फैलते हैं।
  3. माँ से बच्चे में - प्रेगनेंसी के दौरान एक प्रेगनेंट महिला से उसके बच्चे में संक्रमण फ़ैल सकता है। कुछ कीटाणु प्लेसेंटा (Placenta: गर्भनाल) से भी बच्चे में फ़ैल सकते हैं। योनि में मौजूद कीटाणु डिलीवरी के दौरान बच्चे में फ़ैल सकते हैं।
  • अप्रत्यक्ष तौर पर (Indirect contact)
    इन्फेक्शन फैलाने वाले कीटाणु इनडायरेक्ट तरीके से भी फ़ैल सकते हैं। यह तरीके निम्नलिखित हैं -
  1. कीड़ों के काटने से - कुछ कीटाणु मच्छरों, जूँ और अन्य छोटे कीड़ों के काटने से फैलते हैं। अगर आपको किसी संक्रमित कीड़े या मच्छर ने काटा है, तो आपको भी संक्रमण हो सकता है। जैसे, मच्छरों से मलेरिया के कीटाणु फैलते हैं।
  2. खराब खाना खाने से - खराब खाना खाने या पानी पीने से कीटाणु फ़ैल सकते हैं। इस तरीके से एक ही बार में कई लोग संक्रमित हो सकते हैं।
  3. वस्तुएं छूने से - अगर आप किसी ऐसी वस्तु को छूने के बाद, जो सर्दी या ज़ुकाम से संक्रमित व्यक्ति ने छुई थी, बिना हाथ धोए अपनी आँखों, नाक या मुंह को छू लेते हैं, तो आपको भी संक्रमण हो सकता है।

इन्फेक्शन के लक्षण - Infections Symptoms in Hindi

इन्फेक्शन के लक्षण क्या होते हैं?

इन्फेक्शन से होने वाली हर बीमारी के अलग लक्षण होते हैं। इसके कुछ आम लक्षण निम्नलिखित हैं -

डॉक्टर को कब दिखाएं?

निम्नलिखित परिस्थितियों में तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं -

इन्फेक्शन के कारण और जोखिम कारक - Infections Causes & Risk Factors in Hindi

इन्फेक्शन होने के कारण क्या होते हैं?

इन्फेक्शन से होने वाली समस्याएं निम्नलिखित तरीकों से होती हैं -

  • फंगी
    रिंगवर्म (दाद) और "एथलीट फुट" (Athlete's foot)  जैसी समस्याएं फंगी के कारण होती हैं। कुछ अन्य प्रकार के फंगी आपके फेफड़ों और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। (और पढ़ें - दाद के घरेलू उपाय)
     
  • बैक्टीरिया
    बैक्टीरिया से गला खराब, यूरिन इन्फेक्शन और टीबी जैसे संक्रमण होते हैं। (और पढ़ें - गला बैठने के कारण)
     
  • वायरस
    वायरस, बैक्टीरिया से भी छोटे होते हैं, लेकिन सामान्य ज़ुकाम से लेकर एड्स जैसे इन्फेक्शन कर सकते हैं। (और पढ़ें - सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय)
     
  • परजीवी
    मलेरिया छोटे परजीवी के कारण होता है, जो मच्छर के काटने से फैलता है। अन्य प्रकार के परजीवी जानवरों के मल से संपर्क में आने से फ़ैल सकते हैं। (और पढ़ें - मलेरिया के घरेलू उपाय)

इन्फेक्शन होने के जोखिम कारक क्या होते हैं?

इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है लेकिन अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली सही से काम नहीं कर रही है, तो आपको इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है अगर -

  • आपकी नींद पूरी नहीं होती है। (और पढ़ें - कम सोने के नुकसान)
  • आपको ऐसे कैंसर हैं जो सीधे हड्डियों को प्रभावित करते हैं, जैसे "ल्यूकेमिया" (Leukemia) और "लिम्फोमा" (Lymphoma)।
  • आपकी कीमोथेरपी (Chemotherapy) हुई है या चल रही है।
  • आप स्टेरॉयड (Steroids) या ऐसी दवाएं ले रहे हैं जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में अवरोध करती हैं।
  • आपको एचआईवी या एड्स है।
  • आपको कुछ प्रकार के कैंसर या ऐसे विकार हैं जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
  • आपकी उम्र ज़्यादा है।
  • आपको शुगर है। (और पढ़ें - शुगर कम करने के घरेलू उपाय)
  • आपके शरीर के बड़े हिस्सों में या श्रोणि, पैरों, छाती और पेट पर "रेडिएशन थेरेपी" (Radiation therapy) का उपयोग किया गया है।
  • आपके शरीर में कोई मेडिकल उपकरण लगाए गए हैं।
  • आपको कुपोषण है।
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संक्रमण से बचाव - Prevention of Infections in Hindi

संक्रमण होने से कैसे बचा जा सकता है?

संक्रमण से बचने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं -

  • अच्छा और संतुलित आहार लें।
  • कच्चा खाना न खाएं और फलों व सब्जियों को धो कर पकाएं।
  • घर के काम, खासकर सफाई करते समय दस्ताने पहनें।
  • जानवरों के मल व मूत्र के संपर्क में न आएं।
  • अगर आप बीमार हैं तो घर पर रहें।
  • अपने दांतों और मसूड़ों को एक कोमल ब्रश से साफ़ करें। अगर आपके डॉक्टर या डेंटिस्ट सलाह देते हैं तो माउथवाश का प्रयोग करें।
  • कच्चा दूध और उससे बनी चीज़ें न खाएं।
  • एचआईवी और हेपेटाइटिस बी जैसे यौन संचारित रोगों के लिए अपनी जांच कराएं और कंडोम का उपयोग करके खुद को उनसे बचाएं। (और पढ़ें - महिला कंडोम)
  • अगर आपको बुखार, उल्टी या दस्त हैं, तो ऑफिस न जाएं और अगर आपके बच्चे को यह लक्षण हैं, तो उसे स्कूल न भेजें। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)
  • बीमार लोगों के संपर्क में न आएं।
  • खाना, बर्तन, टूथब्रश और मेकअप का सामान शेयर न करें।
  • अपने हाथ अच्छे से और बार-बार धोएं या हैंड सैनिटाइज़र (Hand sanitizers)  करें, खासकर बाथरूम से आने के बाद और खाने से पहले।
  • रोज़ाना नहाएं।
  • त्वचा को सूखने और फटने से बचाने के लिए लोशन लगाएं। (और पढ़ें - रूखी त्वचा की देखभाल)
  • कैंची और चाक़ू जैसी तेज़ वस्तुओं को इस्तेमाल करते समय सावधान रहें।
  • ज़्यादातर बीमारियों के लिए टीके उपलब्ध हैं, डॉक्टर से अपने बच्चे को यह टीके देने के बारे में पूछें।
  • पर्याप्त आराम करें।

संक्रमण का परीक्षण - Diagnosis of Infections in Hindi

संक्रमण का पता कैसे लगाया जाता है?

इन्फेक्शन की महामारी में डॉक्टर को इन्फेक्शन से सम्बंधित अन्य मामलों को पहचानने में आसानी होती है।

अन्य इन्फेक्शन के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं -

  • स्वैब टेस्ट (Swab test)
    आपके गले या शरीर के अन्य नम क्षेत्रों से एक विसंक्रमित स्वैब के द्वारा जांच के लिए नमूना लिया जाता है।
     
  • मल का टेस्ट (Stool test)
    परजीवी और अन्य जीवों की जांच करने के लिए आपको अपने मल का एक नमूना लेने के लिए कहा जा सकता है। (और पढ़ें - स्टूल टेस्ट क्या है)
     
  • इमेजिंग टेस्ट (Imaging test)
    एक्स रे, सीटी स्कैन और एमआरआई टेस्ट से लक्षण करने वाले कारणों का पता लगाया जा सकता है।
     
  • ब्लड टेस्ट (Blood test)
    शरीर में “एंटीजन” (Antigen: वायरस में मौजूद ऐसे प्रोटीन जो शरीर की प्रतिरक्षा को सक्रीय करते हैं) की मौजूदगी के लिए खून का परीक्षण किया जा सकता है। शरीर में मौजूद “एंटीबॉडी” (Antibody: वायरस से बचने के लिए शरीर द्वारा बनाए गए प्रोटीन) की जांच के लिए भी ब्लड टेस्ट किया जा सकता है।
     
  • यूरिन टेस्ट (Urine test)
    यूरिन टेस्ट में आपको एक पात्र या बर्तन में मूत्र करने को कहा जाता है। मूत्र के नमूने को दूषित होने से बचाने के लिए आपको पहले अपने जननांगों को एंटीसेप्टिक (Antiseptic) पैड से साफ करने को कहा जा सकता है।
     
  • बायोपसी (Biopsy)
    बायोप्सी में शरीर के किसी अंदरूनी अंग के ऊतक से टेस्ट करने के लिए एक छोटा सा नमूना लिया जाता है। जैसे फेफड़ों के ऊतक की बायोपसी से निमोनिया करने वाले फंगी के प्रकार का पता लगाया जा सकता है।

संक्रमण का इलाज - Infections Treatment in Hindi

इन्फेक्शन का उपचार कैसे किया जाता है?

इन्फेक्शन कर रहे कीटाणु के प्रकार को जानने के बाद आपके डॉक्टर सही उपचार चुनते हैं। इसके उपचार निम्नलिखित हैं -

  • एंटीफंगल दवाएं (Antifungals)
    त्वचा और नाखूनों के संक्रमण को ठीक करने के लिए त्वचा पर लगाने वाली एंटीफंगल दवाओं का उपयोग किया जाता है। फेफड़ों और श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membranes) के इलाज के लिए खाने वाली एंटीफंगल दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। शरीर के अंदर के अंगों के गंभीर इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए नसों द्वारा दी जाने वाली एंटीफंगल दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
     
  • एंटीपैरासिटिक दवाएं (Anti-parasitics)
    मलेरिया जैसी कुछ बीमारियां छोटे परजीवियों के कारण होती हैं। इन परजीवियों से होने वाले इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ परजीवियों पर इनका असर नहीं होता है।
     
  • एंटीबायोटिक दवाएं (Antibiotics)
    अगर इन्फेक्शन कर रहे बैक्टीरिया के प्रकार का पता हो, तो इसका इलाज करना आसान हो जाता है। कभी-कभी यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि इन्फेक्शन किस कीटाणु के कारण हो रहा है। जैसे कुछ प्रकार के निमोनिया वायरस के कारण होते हैं, और कुछ बैक्टीरिया के कारण होते हैं।
     
  • एंटीवायरल दवाएं (Antivirals)
    कुछ वायरस के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाएं बनाई गई हैं, जैसे एचआईवी/एड्स, हर्पीस, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और इन्फ्लुएंजा।
     
  • जीवनशैली बदलाव और घरेलू उपचार
    ज़ुकाम जैसी कई बीमारियां अपने आप ठीक हो जाती हैं। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिएँ और बहुत आराम करें।
    कुछ पदार्थों से इन्फेक्शन का बचाव होता है, जैसे करौंदा, लहसुन, विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक

(और पढ़ें - जिंक की कमी के लक्षण)

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संक्रमण की जटिलताएं - Infections Risks & Complications in Hindi

संक्रमण की जटिलताएं क्या होती हैं?

ज़्यादातर इन्फेक्शन से सम्बंधित बीमारियों की बहुत कम जटिलताएं होती हैं, लेकिन निमोनिया, एड्स और मेनिन्जाइटिस जैसे बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं। कुछ प्रकार के संक्रमण से कैंसर होने खतरा बढ़ जाता है।

कुछ इन्फेक्शन से सम्बंधित बीमारियां पहले ठीक हो जाती हैं और कुछ समय बाद फिर से आपको प्रभावित करती हैं। जैसे जिस व्यक्ति को चिकनपॉक्स हुआ हो, उसे कई साल बाद शिंगल्स भी हो सकता है।

(और पढ़ें - चिकन पॉक्स का घरेलू उपचार)



संदर्भ

  1. British Medical Journal. The accuracy of clinical symptoms and signs for the diagnosis of serious bacterial infection in young febrile children: prospective cohort study of 15 781 febrile illnesses. BMJ Publishing Group. [internet].
  2. D.H Tambekar, S.B Dahikar. Antibacterial activity of some Indian Ayurvedic preparations against enteric bacterial pathogens. J Adv Pharm Technol Res. 2011 Jan-Mar; 2(1): 24–29. PMID: 22171288
  3. Office of Disease Prevention and Health Promotion. Health Care-Associated Infections. Office of the Assistant Secretary for Health.[internet].
  4. Washington JA. Principles of Diagnosis. In: Baron S, editor. Medical Microbiology. 4th edition. Galveston (TX): University of Texas Medical Branch at Galveston; 1996.
  5. Science Direct (Elsevier) [Internet]; Treatment of infectious disease: Beyond antibiotics

संक्रमण की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Infections in Hindi

संक्रमण के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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