वैसे तो बुखार को कोविड-19 का सबसे कॉमन लक्षण माना जाता है और यही कारण है किसी भी पब्लिक प्लेस पर ज्यादातर लोगों की टेंपरेचर स्क्रीनिंग की जाती है। लेकिन जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने मिलकर एक एडिटोरियल लिखा जिसमें यह बताया गया है कि नॉन-कॉन्टैक्ट इन्फ्रारेड थर्मामीटर (एनसीआईटी) से जो शरीर के तापमान की जांच की जाती है वह कोविड-19 वायरस को पक्के तौर पर फैलने से रोकने की असरदार रणनीति नहीं है।

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इन्फेक्शियस डिजीजेज सोसायटी ऑफ अमेरिका की ऑनलाइन जर्नल ओपन फोरम इन्फेक्शियस डिजीजेज में इस एडिटोरियल को 14 दिसंबर 2020 को प्रकाशित किया गया था। इस एडिटोरियल के ऑथर्स हैं- जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर विलियन राइट और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन फिलिप मैकोवियक।

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बुखार को कोविड-19 का सबसे अहम लक्षण माना जाता है
दरअसल, मार्च 2020 में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज और सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) ने अमेरिका के लोगों के लिए कुछ गाइडलाइन्स जारी की थीं यह निर्धारित करने के लिए कि उन्हें कब चिकित्सीय सहायता लेने की जरूरत है उन लक्षणों के लिए जो सार्स-सीओवी-2 इंफेक्शन का संकेत देने वाले लक्षण थे जिसमें शरीर के तापमान की अहम भूमिका थी। 

100.4 डिग्री फैरनहाइट से अधिक तापमान बुखार का संकेत
इन गाइडलाइन्स के मुताबिक, किसी व्यक्ति को बुखार है ये तब माना जाएगा जब नॉन कॉन्टैक्ट इन्फ्रारेड थर्मामीटर को व्यक्ति के माथे के पास रखने पर उसका तापमान 100.4 डिग्री फैरनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) के बराबर या अधिक हो नॉन हेल्थ केयर सेटिंग के लिए और हेल्थकेयर सेटिंग में अगर व्यक्ति का तापमान 100 डिग्री फैरनहाइट (37.8 डिग्री सेल्सियस) के बराबर या अधिक हो। शरीर के तापमान के जरिए कोविड-19 की स्क्रीनिंग की ये जो पहली स्थिति है उस पर ही राइट और मैकोवियक ने अपने एडिटोरियल में सवाल खड़े किए हैं।

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रीडिंग पर कई परिवर्ती कारकों का प्रभाव नजर आता है
ऑथर राइट कहते हैं, "नॉन-कॉन्टैक्ट इन्फ्रारेड थर्मामीटर से ली गई तापमान की रीडिंग पर मानव, पर्यावरण और उपकरण से जुड़े परिवर्ती कारकों का प्रभाव देखने को मिलता है और ये सारी चीजें रीडिंग की शुद्धता, विश्वसनीयता और शरीर के तापमान के साथ उसके संबंध को प्रभावित कर सकते हैं। बॉडी टेम्परेचर यानी शरीर का तापमान या तो शरीर का मूल तापमान है या फिर पल्मोनरी नसों में मौजूद खून का तापमान। हालांकि, शरीर के मूल तापमान को विश्वसनीय ढंग से लेने का एकमात्र तरीका पल्मोनरी धमनी का कैथेटेराइजेशन (कैथेटर या नलिका डालने की प्रक्रिया) है, लेकिन स्क्रीनिंग टेस्ट के तौर पर यह प्रक्रिया न तो सुरक्षित है और ना ही व्यवहारिक।"     

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46 हजार यात्रियों की स्क्रीनिंग करने पर सिर्फ 1 में हुई वायरस की पुष्टि
अपने इस एडिटोरियल में राइट और मैकोवियक ने कई आंकड़े सामने रखे हैं यह दिखाने के लिए नॉन कॉन्टैक्ट इन्फ्रारेड थर्मामीटर यानी एनसीआईटी का इस्तेमाल सार्स-सीओवी-2 इंफेक्शन के स्क्रीनिंग टेस्ट के तौर पर असफल रहा है। राइट आगे कहते हैं, "23 फरवरी 2020 को एनसीआईटी की मदद से अमेरिका के एयरपोर्ट्स पर 46 हजार से अधिक यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई थी और उनमें से सिर्फ 1 में सार्स-सीओवी-2 की पहचान हो पायी थी। एक दूसरे उदाहरण में 21 अप्रैल 2020 तक सीडीसी स्टाफ और अमेरिका के कस्टम अधिकारियों ने करीब 2 लाख 68 हजार से अधिक यात्रियों की स्क्रीनिंग की थी जिनमें से सिर्फ 14 लोगों में वायरस पाया गया था।" 

राइट और मैकोवियक ने कोविड-19 के लिए तापमान स्क्रीनिंग को लेकर जो चिंता व्यक्त की है उसे नवंबर 2020 की सीडीसी की रिपोर्ट से आगे और समर्थन मिलता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 17 जनवरी से 13 सितंबर 2020 के बीच करीब 7 लाख 66 हजार यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई जिनमें से प्रति 85 हजार में से सिर्फ 1 व्यक्ति सार्स-सीओवी-2 के लिए बाद में पॉजिटिव पाया गया। इसके अतिरिक्त, उस ग्रुप में 278 लोगों में से केवल 47 ऐसे थे जिनमें सार्स-सीओवी-2 के समान लक्षण थे और उनका तापमान सीडीसी के बुखार के लिए तय किए गए मानदंडों के मुताबिक था। 

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एनसीआईटी कई बार भ्रामक रीडिंग भी देता है
राइट बताते हैं कि "नॉन कॉन्टैक्ट इन्फ्रारेड थर्मामीटर के साथ एक और समस्या ये है कि वे बुखार के पूरे कोर्स के दौरान भ्रामक या गलतफहमी पैदा करने वाली रीडिंग दे सकते हैं जिसकी वजह से यह निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है कि किसी व्यक्ति को वास्तव में बुखार है या नहीं। उस समय जब बुखार बढ़ रहा होता है, जो शरीर के मूलभूत तापमान में बढ़ोतरी होती है जिससे स्किन की सतह के पास मौजूद रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं इसलिए वे जितनी मात्रा में गर्मी को रिलीज करती हैं उसमें कमी आ जाती है। और जब बुखार कम होने लगता है तो इसके विपरित प्रक्रिया होती है। इसलिए इन्फ्रारेड थर्मामीटर के मेजरमेंट के आधार पर बुखार का पता लगाना जो माथे से निकलने वाली गर्मी को मापता है, पूरी तरह से गलत है।" 

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राइट और मैकोवियक की मानें तो ये और कई दूसरे फैक्टर्स जो एनसीआईटी से थर्मल स्क्रीनिंग को प्रभावित करते हैं उन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है और बेहतर प्रोग्राम विकसित करने की भी जरूरत है ताकि सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित लोगों को उन लोगों से अलग किया जा सके जो संक्रमित नहीं हैं। 


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 स्क्रीनिंग के तौर पर नॉन-कॉन्टैक्ट इन्फ्रारेड थर्मामीटर सफल नहीं है, नई स्टडी में सामने आयी जानकारी है

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