हैदराबाद स्थित भारतीय बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटेक द्वारा आईसीएमआर के साथ मिलकर बनायी जा रही स्वदेशी कोविड वैक्सीन कैंडिडेट "कोवैक्सिन" के फेज 1 क्लिनिकल ट्रायल के अंतरिम नतीजे सामने आए गए हैं। इसमें यह दिखाया गया है कि सभी डोज समूहों ने इसे बेहतर तरीके से सहन कर लिया और अच्छी बात ये रही कि वैक्सीन से जुड़ी किसी भी तरह की कोई गंभीर प्रतिकूल घटना देखने को नहीं मिली।

वैक्सीन ने मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को ट्रिगर किया
फेज 1 ट्रायल के इन नतीजों को प्रीप्रिंट सर्वर मेडआरएक्सआईवी (medRxiv) में प्रकाशित किया गया है। इन नतीजों के मुताबिक इस वैक्सीन ने एक मजबूत रोकने वाली और बेअसर करने वाली एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को प्रेरित किया जिसकी तुलना उस कॉन्वलेसेंट सीरम से की जा सकती है जिसे कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों से इक्ट्ठा किया गया था। दरअसल प्रीप्रिंट, साइंटिफिक मैनुस्क्रिप्ट का एक ऐसा वर्जन है जिसे औपचारिक रूप से पियर रिव्यू करने से पहले पब्लिक सर्वर पर पोस्ट किया जाता है।  

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फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़े पेश करने को कहा गया
भारत बायोटेक ने अभी तक अपनी वैक्सीन कैंडिडेट कोवैक्सिन के फेज 1 और फेज 2 ट्रायल के ही अंतरिम सुरक्षा और प्रतिरक्षाजनत्व (इम्यूनोजेनेसिटी) के आंकड़े उपलब्ध करवाए हैं और इसी के आधार पर उसने अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के अधिकार मांगे थे। लेकिन सब्जेक्ट एक्सपर्ट पैनल जो भारत बायोटेक के इस आवेदन की जांच कर रहा है, ने कंपनी से कहा है कि वह फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल के सुरक्षा और प्रभावकारिता के आंकड़े भी पेश करे और उसके बाद ही उनकी इमरजेंसी यूज की मांग पर आगे विचार किया जाएगा।

2 महत्वपूर्ण पहलुओं की मिली जानकारी
फेज 1 ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन कैंडिडेट को स्वस्थ वयस्कों के एक छोटे से ग्रुप पर टेस्ट किया गया था जिसके अंतरिम आंकड़े 2 महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताते हैं। पहला- रिऐक्टोजेनेसिटी- यानी प्रत्याशित प्रतिकूल प्रतिक्रिया विकसित करने की क्षमता जैसे- मांसपेशियों में दर्द, बुखार और साथ ही साथ गंभीर या दुर्लभ हानिकारक प्रतिक्रिया। दूसरा- इम्यूनोजेनेसिटी या प्रतिरक्षाजनत्व जिसका अर्थ है इम्यून प्रतिक्रिया ट्रिगर करने की क्षमता।

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ज्यादातर प्रतिभागियों में कोई रिऐक्शन नहीं दिखा
फेज 1 स्टडी जिसे आईसीएमआर के साथ मिलकर संचालित किया गया उसमें अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि रिऐक्टोजेनेसिटी यानी किसी भी तरह का रिऐक्शन ज्यादातर प्रतिभागियों में देखने को नहीं मिला, केवल कुछ लोगों में हल्की घटनाएं दिखीं। और जहां तक इम्यून प्रतिक्रिया का सवाल है तो शोधकर्ताओं ने बताया कि इसमें एक मजबूत ह्यूमोरल (ऐसी इम्यून प्रतिक्रिया जिसमें बी सेल्स से निकलने वाले एंटीबॉडीज शामिल हैं) और कोशिका-मध्यस्थता प्रतिक्रिया दोनों देखने को मिला।

टीकाकरण से जुड़ी कोई प्रतिकूल या गंभीर घटना भी सामने नहीं आयी 
अनुसंधानकर्ता बताते हैं, इस स्टडी के कई मजबूत पक्ष हैं। सामान्य या व्यापक रूप से वैक्सीन की क्षमता कितनी है इसे सुनिश्चित करने के लिए स्टडी में ऐसे प्रतिभागियों को शामिल किया गया जो भिन्न-भिन्न प्रकार के भौगोलिक स्थितियों और सामाजिक आर्थिक स्थितियों से ताल्लुक रखते थे। इसमें 11 अस्पतालों के 375 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। प्रतिभागियों का यह नामांकन राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान किया गया था बावजूद इसके प्रतिभागियों का प्रतिधारण दर 97 प्रतिशत था। जहां तक प्रतिकूल घटनाओं की बात है तो ज्यादातर प्रतिकूल घटनाएं माइल्ड थीं जिनका हल निकाल लिया गया था। एक गंभीर घटना रिपोर्ट हुई भी तो बाद में पता चला कि उसका टीकाकरण से कोई संबंध नहीं था।

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डेड पार्टिकल्स का इस्तेमाल कर बनायी जा रही कोवैक्सिन
कोवैक्सिन को असक्रिय वैक्सीन कैंडिडेट बताया जा रहा है क्योंकि इसे तैयार करने में वैज्ञानिकों ने नए कोरोना वायरस के डेड पार्टिकल्स का इस्तेमाल किया है। इस कारण यह वैक्सीन किसी को संक्रमित नहीं कर सकती। लेकिन यह मृत कण भी शरीर में जाकर सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इम्यूनिटी जरूर पैदा कर सकते हैं। 


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: भारत की स्वदेशी वैक्सीन कैंडिडेट कोवैक्सिन के फेज 1 ट्रायल में दिखा मजबूत एंटीबॉडी रेस्पॉन्स है

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