देश की सर्वोच्च मेडिकल रिसर्च एजेंसी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि भारत की पूरी आबादी को कोविड-19 वैक्सीन लगाने की जरूरत संभवत नहीं है। उसने कहा है कि हो सकता है जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को वैक्सीनेट करना ही कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन की साइकिल को तोड़ने के लिए पर्याप्त साबित हो। मंगलवार को आईसीएमआर के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने यह बात कही है। उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने संकेत दिए हैं कि शायद देश की पूरी आबादी को कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, राजेश भूषण ने कहा है कि सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद उसे पूरे देश के नागरिकों को लगाया जाएगा।

(और पढ़ें - कोविड-19: भारत में मरीजों की संख्या 95 लाख के करीब, मृतकों का आंकड़ा 1.38 लाख के पार, यूपी-गुजरात में भी आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत में कटौती)

मंगलवार को हुई प्रेस वार्ता में केंद्र सरकार के इन दो शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि इस बारे में भी अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से रिकवर होने वाले लोगों को वैक्सीनेट किए जाने की जरूरत है या नहीं। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस कहती हैं कि वैक्सीनेशन से पहले किसी व्यक्ति में वायरस के खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी मांपने की कोई जरूरत नहीं और न ही यह पता करने की जरूरत है कि कोई व्यक्ति वायरस से संक्रमित हुआ है या नहीं। लेकिन सरकार के पदाधिकारियों के बयान सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या रिकवर मरीजों को कोविड-19 के टीके नहीं लगाए जाएंगे, जबकि रीइन्फेक्शन का खतरा अधिकतर मेडिकल एक्सपर्ट ने स्वीकार किया है।

(और पढ़ें - कोविड-19: दिल्ली में आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत 800 रुपये की गई, बीते दिन फिर 100 से ज्यादा मौतें, लेकिन डेली केस की संख्या में गिरावट)

खबर के मुताबिक, आईसीएमआर प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है, 'हमारा मकसद ट्रांसमिशन की चेन को तोड़ना है। अगर हम वायरस के खतरे के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील लोगों को वैक्सीनेट करके वायरस के ट्रासमिशन को रोक देते हैं तो हमें संभवतः पूरे देश को वैक्सीनेट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।' इसी मुद्दे पर जब सवाल किया गया कि क्या पूरी आबादी के वैक्सीनेशन को लेकर कोई समयसीमा निर्धारत की गई है, तो स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सरकार ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिसमें पूरे देश की आबादी को वैक्सीन लगाने की बात कही गई हो। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने कहा, 'यह जरूरी है कि हम इस प्रकार के वैज्ञानिक मुद्दों पर केवल तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर चर्चा करें।' 

(और पढ़ें - कोविड-19: क्षमता विश्लेषण में भी मॉडेर्ना की वैक्सीन 94 प्रतिशत से ज्यादा कारगर, एफडीए से आपाकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी)

यहां बता दें कि सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर देश की कुल आबादी में से 25 से 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने की योजना बनाई है। इनमें हेल्थकेयर वर्कर्स के अलावा बुजुर्ग और पहले से अन्य बीमारियों से ग्रस्त नागरिक शामिल हैं। सरकार का इरादा वैक्सीन आने के छह महीने के भीतर इन लोगों को वैक्सीनेट करने का है। हालांकि उसने मास्क पहनने के महत्व पर जोर देते हुए कहा है कि वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के बाद भी ऐसा करना जारी रखना होगा, क्योंकि टीकाकरण की शुरुआत कम आबादी के साथ होगी।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: क्या पूरी आबादी को नहीं लगेगी वैक्सीन? आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिए संकेत है

ऐप पर पढ़ें