विटामिन डी रक्त में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है। यह मजबूत हड्डियों, मांसपेशियों और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। सूर्य विटामिन डी का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। मौसम के साथ विटामिन डी का स्तर स्वाभाविक रूप से बदलता है जैसे सर्दियों में सूर्य की रौशनी अच्छे से न मिलने के कारण शरीर में विटामिन डी की कमी सूर्य की रौशनी से पूरी नहीं हो पाती । शरीर एक समय में सीमित मात्रा में ही विटामिन डी को अवशोषित कर सकता है। लेकिन और भी बहुत सारे तरीके हैं जिनसे विटामिन डी को बढ़ाया जा सकता है , आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि विटामिन डी कैसे बढ़ाएं । 

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  1. विटामिन डी क्यूँ जरूरी है ?
  2. विटामिन डी कैसे बढ़ाएं?
  3. विटामिन डी पाएँ सूरज की रोशनी से
  4. भोजन से पाएँ विटामिन डी
  5. विटामिन डी सप्लीमेंट्स हैं फायदेमंद
  6. यूवी लैंप का उपयोग करे विटामिन डी के लिए

विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के अलावा फेफड़ों, हृदय और किडनी की सुरक्षा के लिए मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। यह हमारे मूड और मानसिक स्वास्थ को ठीक रखने में भी मदद करता है। ये अवसाद को कम करने में भी सहायक है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम को बढ़ाता है जॉन आंत से अवशोषित हो जाता है और हड्डी तक पहुंचता है  और हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह शरीर में कुछ बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस और हृदय संबंधी बीमारियों , मधुमेह मेलेटस और मल्टीपल सोरायसिस को रोकने में भी मदद करता है। कई बार श्वसन पथ के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया को भी विटामिन डी की कमी से जोड़ कर देखा जाता है। 30 की उम्र के बाद तो विटामिन डी की जरूरत और भी ज्यादा बढ़ जाती है , महिलाओं के मूड में बदलाव और हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में भी ये विटामिन सहायक है।   

(और पढ़ें - विटामिन डी के स्रोत, फायदे)

 

हमारे शरीर में विटामिन डी को बढ़ाने के तीन प्राथमिक तरीके हैं: सूरज की रोशनी, भोजन और सप्लीमेंट्स ।

 

सूर्य की यूवी किरणों के संपर्क में आने पर त्वचा शरीर के लिए विटामिन डी का निर्माण शुरू कर देती है। अगर नियमित रूप से धूप में बैठा जाए तो अधिकांश विटामिन डी की पूर्ति इसी से की जा सकती है लेकिन जो लोग अपना ज्यादातर समय अंदर या बिना धूप के बिताते हैं, उनमें विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है। दिन में 5 से 30 मिनट धूप में रहना त्वचा के लिए पर्याप्त विटामिन डी का उत्पादन कर सकता है लेकिन किसी भी व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बनाने के लिए कितनी धूप की आवश्यकता होती है, यह अन्य कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे कि स्थान, मौसम, धुंध का स्तर, सनस्क्रीन का उपयोग, बादल, उम्र और त्वचा का रंग। लेकिन जरूरत से अधिक समय धूप मे बिताने से 

त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जो यू.एस. में सबसे आम कैंसर है। इसीलिए बाहर जाते समय सनस्क्रीन का उपयोग जरूर करें। हर तरह से, धूप में अपने समय का आनंद लें और उस विटामिन डी को सोखें - लेकिन सुरक्षित रहें, अपनी त्वचा की रक्षा करें । 

 

शरीर सूरज की रोशनी से कुछ विटामिन डी बनाता है, बाकी जरूरत को हम भोजन से पूरा कर सकते हैं।  विटामिन का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत वसायुक्त मछली  जैसे ट्राउट, सैल्मन, टूना और मैकेरल है। इसके अलावा पनीर, अंडे की जर्दी, और वसायुक्त मांस से भी विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है।  मशरूम में सबसे अधिक विटामिन डी होता है और अगर आप इसे खाते हैं तो अपने आहार में कम से कम सप्ताह में दो बार इसे जरूर शामिल करें।  दूध , अनाज ,संतरे का रस को अपने आहार में शामिल करने से विटामिन डी का सेवन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

 

आहार और धूप से में पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना संभव है, लेकिन ये हमेशा पूरा हो जाए , ऐसा जरूरी नहीं होता ।  खास कर वो लोग जो अनाज, दूध, दही और मछली नहीं खाते हैं उन्हे विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स लेने ही होंगे। हालांकि नया सप्लीमेंट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। सामान्य तौर पर, प्रतिदिन विटामिन डी की 600 आईयू से 1,000 आईयू की खुराक काफी सुरक्षित होती है और आज कल मार्केट में बहुत सारे अच्छे सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं जो आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बने होते हैं और उपयोग के लिए सुरक्षित हैं।  

 

आज कल बाजार में यूवी-बी विकिरण उत्सर्जित करने वाले लैंप भी मिलने लगे हैं, हालांकि ये लैंप महंगे होते हैं लेकिन जब भी त्वचा इसके संपर्क में आती है तो त्वचा स्वयं के विटामिन डी का उत्पादन करने में सक्षम होती है। यूवी लैंप सूर्य की क्रिया की नकल करते हैं और विशेष रूप से सहायक हो सकते हैं खास कर जब आप धूप में जाकर नहीं बैठते। एक बार में 15 मिनट से अधिक इसका उपयोग न करें।  

 
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