अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट क्या है?

अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट रक्त में पॉलीपेप्टाइड (अपोलीपोप्रोटीन a1) के स्तर की जांच करता है। यदि किसी व्यक्ति को हृदय संबंधी रोग होने का खतरा है, तो इस टेस्ट को करने की सलाह दी जाती है।

लिपोप्रोटीन एक लिपिड-प्रोटीन काम्प्लेक्स है, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है। ये शरीर के सभी अंगों में कोलेस्ट्रॉल पहुंचाते हैं और विभिन्न ऊतकों द्वारा इसे ग्रहण करने में मदद करते हैं। शरीर में चार प्रमुख प्रकार के लिपोप्रोटीन होते हैं: हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (गुड कोलेस्ट्रॉल), लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (बैड कोलेस्ट्रॉल), वैरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन और किलोमाइक्रोन।

एचडीएल अकेला लिपोप्रोटीन है, जो कि शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल निकालता है। लो एचडीएल हृदय रोगों के खतरे से जुड़े होते हैं।

अपोलीपोप्रोटीन a1 हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन का महत्वपूर्ण भाग है। यह वो प्रोटीन है जो कि शरीर के ऊतकों से कोलेस्ट्रॉल निकालने में एचडीएल की मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल को लिवर में पहुंचा देता है।

अपोलिपोप्रोटीन a1 के स्तर शरीर के एचडीएल के स्तर के बराबर होते हैं। इस प्रोटीन के स्तर का आकलन करने से किसी व्यक्ति में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे का पता लगाने में मदद मिलती है।

  1. अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट क्यों किया जाता है - Apolipoprotein A1 Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट से पहले - Apolipoprotein A1 Test Se Pahle
  3. अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट के दौरान - Apolipoprotein A1 Test Ke Dauran
  4. अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Apolipoprotein A1 Test Result and Normal Range

अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट क्यों किया जाता है?

आपके शरीर में सीवीडी के खतरे की जांच करने के लिए भी डॉक्टर आपसे अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं।

यह जानना जरूरी है कि यह टेस्ट प्राथमिक तौर से एक स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं है और सामान्य लिपिड प्रोफाइल का भी भाग नहीं है। यह तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति के परिवार में लोगों को कार्डियोवैस्कुलर रोग या हाइपरलिपिडेमिया होता है। अध्ययन के अनुसार एचडीएल या एलडीएल के मुकाबले अपोलीपोप्रोटीन कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का एक शक्तिशाली मार्कर है।

यदि आपको पहले कभी दिल का दौरा या हृदय संबंधी अन्य कोई रोग हो चुका है, तो इस टेस्ट की मदद से उसका भी पता लगाया जा सकता है। हालांकि इस टेस्ट के परिणाम तब और अधिक सटीक आते हैं, जब उन्हें अपोलीपोप्रोटीन बी टेस्ट के साथ जोड़कर देखा जाता है।

कभी-कभी अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट कुछ विशेष अनुवांशिक विकारों की जांच करने के लिए भी किया जाता है जिनसे अपोलीपोप्रोटीन a1 की कमी हो जाती है।

अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए बारह घंटे भूखे रहने की जरूरत होती है। यदि आप किसी भी तरह की दवाएं, सप्लीमेंट ले रहे हैं या आप धूम्रपान करते हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर आपसे दवा की खुराक बदलने के लिए या कुछ समय के लिए दवा बंद करने को भी कह सकते हैं। हालांकि बिना डॉक्टर के निर्देशों के कोई भी दवा लेना बंद न करें। टेस्ट के परिणामों को निम्न दवाएं प्रभावित कर सकती हैं:

  • स्टेटिंस 
  • नियासिन 
  • डाईयुरेटिक्स
  • ऐसी दवाएं जिसमें हार्मोन होता है (एण्ड्रोजन या एस्ट्रोजन हार्मोन)

इसके अलावा आपसे टेस्ट के बारह घंटे पहले धूम्रपान नहीं करने के लिए कहा जाएगा क्योंकि इससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

यदि आपको पहले कोई हृदय संबंधी विकार हुआ है तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। इसके साथ-साथ अपने परिवारजनों के स्वास्थ्य की जानकारी भी डॉक्टर को दें, इससे उन्हें आपके सीवीडी के खतरे का पता लगाने में मदद मिलेगी।

अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट की प्रक्रिया अन्य टेस्टों की तुलना में सामान्य है। टेस्ट के दौरान एक सुई की मदद से आपकी बांह की नस से पर्याप्त मात्रा में सैंपल ले लिया जाता है। सुई लगने पर आपको हल्की सी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। सैंपल लेने के बाद इसे एक विशेष ट्यूब में डाल दिया जाता है और इस पर लेबल लगाकर लैब में भेज दिया जाता है।

कुछ लोगों को इंजेक्शन लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है। हालांकि अधिकतर मामलों में यह खुद ही ठीक हो जाता है। यदि यह नील ठीक न हो रहा हो या फिर उस जगह पर घाव बन जाए, तो डॉक्टर को दिखा लें।

अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम :
अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट के परिणाम आमतौर पर mg/dL या g/L में दिए जाते हैं। कभी-कभी रिजल्ट में भी विभिन्न अपोलिपोप्रोटीन के अनुपात लिखे जाते हैं। इस टेस्ट के सामान्य परिणाम व्यक्ति के लिंग के अनुसार अलग-अलग होते हैं। निम्न टेबल में अपोलीपोप्रोटीन a1 के सामान्य स्तर की वैल्यू g/L में दी गई है:

उम्र 

14 दिन से कम 

15 दिन से 1 साल 

1 साल से 14 साल 

14-19 साल 

19-60 साल 

60 साल से ज्यादा

महिला (g/L)

0.71-09.97

0.53-1.75

0.8-1.64

0.72-1.54

1.01-2.23

0.91-2.24

पुरुष (g/L)

0.62-0.91

0.53-1.75

0.8-1.64

0.72-1.54

0.95-1.86

0.73-1.86

दो अपोलिपोप्रोटीन के अनुपात को अपोलिपोप्रोटीन a1/B में लिखा जाता है। निम्न टेबल में जोखिम के वर्ग के आधार पर सामान्य रेंज का अनुपात दिया गया है:

संबंधित जोखिम 

कम जोखिम

अधिक खतरा/सीमा रेखा पर 

अधिक खतरा

महिला 

1.35 से ज्यादा 

0.97-1.35

0.97 से कम 

पुरुष 

1.11 से ज्यादा 

0.86-1.11

0.86 से कम 

अपने परिणामों की रिपोर्ट्स डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि अगर आपके परिवार में किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, तो इससे सामान्य वैल्यू में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा आपके रिजल्ट में बताई गई वैल्यू ऊपर दी गई वैल्यू से अलग हो सकती है क्योंकि हर लैब की टेस्ट के लिए भिन्न प्रक्रिया होती है और इसी कारण मानक भी अलग होते हैं।

असामान्य परिणाम:
अपोलीपोप्रोटीन a1 टेस्ट के परिणाम यदि ऊपर दी गई सामान्य सीमा से बाहर होते हैं, तो उन्हें असामान्य माना जाता है। निम्न स्थितियां किसी व्यक्ति में अपोलीपोप्रोटीन a1 की बढ़ी हुई वैल्यू से संबंधित हो सकती हैं:

  • गर्भावस्था
  • फेमिलियल हाइपर अल्फालिपोप्रोटिनेमिया (एक अनुवांशिक स्थिति जिससे अपोलीपोप्रोटीन a1 के स्तर बढ़ जाते हैं)
  • शरीर का वजन घटना
  • फेमिलियल कोलेस्ट्रिल एस्टर ट्रांसफर प्रोटीन डेफिशियेंसी (सीईटीपी), यह एक अनुवांशिक विकार होता है।
  • नियासिन या ऐसी दवाएं लेना जिनमें अधिक मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन होता है
  • स्टेटिंस जैसी दवाएं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर कम करने के लिए दी जाती है

अपोलीपोप्रोटीन a1 सामान्य से कम निम्न कारणों से हो सकता है:

  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज 
  • फेमिलियल हाइपो अल्फालिपोप्रोटिनेमिया (एक अनुवांशिक स्थिति जिससे अपोलीपोप्रोटीन a1 के स्तर घट जाते हैं)
  • क्रोनिक किडनी फेलियर 
  • नेफ्राइटिक सिंड्रोम (एक स्थिति जिसमें गुर्दे संबंधी कई रोग हो जाते हैं)
  • टंगेर रोग (एक अनुवांशिक विकार जिससे शरीर में एचडीएल के स्तर कम हो जाते हैं)
  • कोलेस्टेसिस  (स्थिति जिसमें लिवर संबंधी कई रोग हो जाते हैं)
  • हेपैटोसेलुलर विकार (लिवर से जुड़ी समस्याओं का समूह)
  • हाइपरट्राइग्लिसराइडेमिया (रक्त में ट्राइग्लिसराइड के सामान्य से अधिक स्तर होना)
  • डायबिटीज मेलिटस

डाइयुरेटिक, ऐसी दवाएं लेना जिनमें एंड्रोजन हो और धूम्रपान से भी रक्त में अपोलीपोप्रोटीन a1 के स्तर कम हो सकते हैं।

परीक्षण की पुष्टि के लिए डॉक्टर आपसे कुछ और टेस्ट भी करवा सकते हैं। यदि आप अपने टेस्ट के परिणामों के बारे में चिंतित हैं तो डॉक्टर से मिलें।

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संदर्भ

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