कोरोनरी आर्टरी डिजीज (कोरोनरी धमनी की बीमारी) - Coronary Artery Disease (CAD) in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

January 31, 2024

कोरोनरी आर्टरी डिजीज
कोरोनरी आर्टरी डिजीज

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (कोरोनरी धमनी की बीमारी) क्या है?

कोरोनरी आर्टरी (धमनी) रोग को 'कोरोनरी हृदय रोग' या 'हृदय रोग' भी कहा जाता है।

(और पढ़ें - हृदय रोग के उपचार)

कोरोनरी धमनी रोग का विकास तब होता है, जब आपके हृदय को रक्त, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करने वाली प्रमुख रक्त वाहिकाएं (कोरोनरी धमनियां) क्षतिग्रस्त या बीमार हो जाती हैं। आपकी धमनियों में सूजन और कोलेस्ट्रॉल युक्त जमा हुआ पदार्थ (प्लाक) आमतौर पर कोरोनरी धमनी रोग के लिए उत्तरदायी हैं।

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण)

जब प्लाक जमना शुरू होता है, तो वह आपकी कोरोनरी धमनियों को संकीर्ण बना देता है और आपके हृदय में रक्त का प्रवाह कम कर देता है। अंत में रक्त प्रवाह में कमी के कारण एनजाइना, सांस लेने में तकलीफ या अन्य कोरोनरी धमनी रोग के संकेत और लक्षण दिख सकते हैं। जब प्लाक के द्वारा कोरोनरी धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो दिल का दौरा पड़ सकता है।

चूंकि कोरोनरी धमनी रोग अक्सर दशकों में विकसित होता है, इसलिए हो सकता है कि आपको कोई समस्या दिखाई न दे, जब तक आपकी कोरोनरी धमनियों में विशेष रूप से कोई रुकावट न आये या दिल का दौरा न पड़े। लेकिन कोरोनरी धमनी रोग की रोकथाम और इलाज के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं। इस संबंध में एक स्वस्थ जीवन शैली बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।

कोरोनरी हृदय रोगों का प्रसार: 

हृदय रोग, विशेषकर कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) भारत में महामारी की तरह फैले हुए हैं। भारत के रजिस्ट्रार जनरल के अनुसार, वर्ष 2001-2003 में भारत में हुई कुल मौतों में से 17% और वयस्कों की मृत्यु में से 26% कोरोनरी हृदय रोगों (सीएचडी) के कारण हुई, जो 2010-2013 में बढ़कर कुल मौतों का 23% और वयस्कों की मृत्यु का 32% हो गया। भारत में हुए अध्ययनों ने पिछले 60 वर्षों में सीएचडी के प्रसार में, शहरी आबादी में 1% से 9% -10% और ग्रामीण जनसंख्या में <1% से 4-6% तक वृद्धि दर्ज की है। केस कंट्रोल अध्ययनों से पता चला है कि भारत में सीएचडी के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में डिसलिपिडेमिया, धूम्रपान, मधुमेह (शुगर), उच्च रक्तचापमोटापा, मनोवैज्ञानिक तनाव, असंतुलित भोजन और शारीरिक निष्क्रियता हैं। इस महामारी से निपटने के लिए उपयुक्त रणनीतियां आवश्यक हैं।

कोरोनरी धमनी की बीमारी के लक्षण - Coronary Artery Disease Symptoms in Hindi

कोरोनरी आर्टरी रोग के लक्षण:

सबसे आम लक्षण एनजाइना या सीने में दर्द है। एनजाइना को निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है –

  • भारीपन 
  • दबाव
  • दर्द
  • तपना 
  • सुन्न होना
  • फूलना 
  • दबाना 
  • दर्द की अनुभूति 

(और पढ़ें - सीने में दर्द का इलाज)

इसे अपच या सीने में जलन के लिए कहना गलत हो सकता है। एनजाइना आमतौर पर छाती में महसूस होता है, लेकिन यह निम्न में भी महसूस किया जा सकता है –

  • बायाँ कंधा
  • भुजाएं
  • गरदन
  • पीठ 
  • जबड़ा

(और पढ़ें - सीने में दर्द का घरेलू उपाय)

कोरोनरी धमनी की बीमारी के कारण और जोखिम कारक - Coronary Artery Disease Causes & Risk Factors in Hindi

कोरोनरी आर्टरी डिजीज के जोखिम कारक (Risk factors of Coronary Artery Disease):

कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:-

  1. आयु – बढ़ती उम्र के साथ क्षतिग्रस्त और संकुचित धमनियों का खतरा बढ़ जाता है।
  2. सेक्स – पुरुषों में कोरोनरी धमनी रोग का अधिक खतरा होता है। हालांकि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के लिए भी इसका जोखिम बढ़ जाता है। (और पढ़ें - सेक्स के फायदे और sex karne ke tarike)
  3. पारिवारिक इतिहास – हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास कोरोनरी धमनी रोग के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ है, खासकर अगर किसी नजदीकी रिश्तेदार को कम उम्र में हृदय रोग हुआ हो। यदि आपके पिता या भाई को 55 साल की उम्र से पहले हृदय रोग का पता चला है या आपकी माँ या बहन 65 वर्ष की आयु से पहले हृदय रोग से ग्रसित हुई हैं, तो आपका जोखिम सबसे ज्यादा है।
  4. धूम्रपान – धूम्रपान करने वाले लोगों में हृदय रोग का काफी अधिक जोखिम रहता है। धूम्रपान के धुएं का सांस द्वारा दूसरे लोगों के अंदर जाने से उनमें भी कोरोनरी धमनी रोग का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)
  5. हाई ब्लड प्रेशर – अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर के परिणामस्वरूप आपकी धमनियां सख्त और मोटी हो सकती हैं, जो रक्त प्रवाह के मार्ग को संकीर्ण बना सकती हैं।
  6. हाई कोलेस्ट्रॉल आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल का उच्च उच्च स्तर 'प्लाक' और 'एथोरोसलेरोसिस' के निर्माण का खतरा बढ़ा सकता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) के उच्च स्तर की वजह से भी हो सकता है, जिसे 'खराब कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है। हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) का निम्न स्तर जो 'अच्छे कोलेस्ट्रॉल' के रूप में जाना जाता है, 'एथोरोसलेरोसिस' का संकेत हो सकता है। (और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए क्या खाएं)
  7. मधुमेह (शुगर) – मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग के बढ़ते जोखिम के साथ जुड़ा हुआ है। टाइप 2 मधुमेह और कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम कारक समान हैं, जैसे – मोटापा और उच्च रक्तचाप। (और पढ़ें - शुगर का आयुर्वेदिक इलाज)
  8. अधिक वजन या मोटापा  अतिरिक्त वजन आमतौर पर अन्य जोखिम कारकों को और गंभीर कर देता है। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के घरेलू उपाय)

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  9. शारीरिक निष्क्रियता  व्यायाम का अभाव कोरोनरी धमनी रोग और इसके कुछ जोखिम कारकों के साथ भी जुड़ा हुआ है।
  10. उच्च तनाव – आपके जीवन में निरंतर रहने वाला तनाव आपकी धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है और कोरोनरी धमनी रोग के लिए अन्य जोखिम कारकों की स्थिति को और ख़राब कर सकता है। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)

कभी-कभी कोरोनरी धमनी रोग किसी मुख्य जोखिम कारक के बिना भी विकसित हो जाता है। शोधकर्ता अन्य संभावित कारकों का अध्ययन कर रहे हैं, जिनमें शामिल हैं –

  1. स्लीप एपनिया – इस विकार में सोते समय सांस लेना-छोड़ना अक्सर बंद और शुरू होता है। स्लीप एपनिया के दौरान रक्त में ऑक्सीजन के स्तर में अचानक गिरावट आ जाती है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है और कार्डियोवास्कुलर सिस्टम में खिंचाव उत्पन्न हो जाता है। ये संभवतः कोरोनरी धमनी बीमारी की सम्भावना को बढ़ाते हैं।  
  2. उच्च संवेदनशीलता सी-रिएक्टिव प्रोटीन – उच्च संवेदनशीलता सी-रिएक्टिव प्रोटीन (एचएस-सीआरपी) एक सामान्य प्रोटीन है, जो आपके शरीर में कहीं सूजन होने पर उच्च मात्रा में दिखाई देता है। हाई एचएस-सीआरपी स्तर दिल की बीमारी के लिए एक जोखिम कारक हो सकता है। ऐसा सोचा जाता है कि जैसे-जैसे कोरोनरी धमनियां संकीर्ण होती जाती हैं, आपके रक्त में एचएस-सीआरपी की मात्रा अधिक होती जाएगी।
  3. उच्च ट्राइग्लिसराइड्स – यह आपके रक्त में वसा (लिपिड) का एक प्रकार है। इसका उच्च स्तर विशेष रूप से महिलाओं के लिए कोरोनरी धमनी रोग का खतरा बढ़ा सकता है। (और पढ़ें - हाई ट्राइग्लिसराइड्स के उपचार)
  4. होमोसिस्टीन – होमोसिस्टीन एक एमिनो एसिड है, जिसे आपका शरीर प्रोटीन बनाने और ऊतक के निर्माण व मरम्मत के लिए उपयोग करता है। लेकिन होमोसिस्टीन के उच्च स्तर से कोरोनरी धमनी रोग का खतरा बढ़ सकता है।
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कोरोनरी धमनी की बीमारी से बचाव - Prevention of Coronary Artery Disease in Hindi

कोरोनरी धमनी की बीमारी होने से कैसे रोकें?

जीवनशैली में परिवर्तन करके कोरोनरी धमनी रोग की प्रगति को रोकने या धीमा करने में मदद मिल सकती है।

  1. धूम्रपान न करें – कोरोनरी धमनी रोग के लिए धूम्रपान एक प्रमुख जोखिम कारक है। निकोटीन रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है और आपके हृदय की कार्य प्रणाली को कठिन बना देता है। कार्बन मोनोऑक्साइड आपके रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है और आपकी रक्त वाहिकाओं की परत को नुकसान पहुंचाती है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ना दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।  (और पढ़ें– धूम्रपान करने के नुकसान)
  2. अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करें – 18 वर्ष की आयु के बाद हर दो साल में डॉक्टर से अपने रक्तचाप की माप करवाएं। यदि आपकी आयु 40 वर्ष या उससे अधिक है या आप 18-39 उम्र के हैं और आपको उच्च रक्तचाप का अधिक खतरा है, तो अपने डॉक्टर से हर साल रक्तचाप की रीडिंग के बारे में पूछें। यदि आपका रक्तचाप सामान्य से अधिक है या आपका हृदय रोग से सम्बन्धित कोई  इतिहास है, तो आपके डॉक्टर नियमित रूप से जल्दी-जल्दी रक्तचाप का माप कराने का सुझाव दे सकते हैं। (और पढ़ें - हाई बीपी का घरेलू उपाय)
  3. अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं – 20 वर्ष की आयु से हर पांच साल बाद बेसलाइन कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। यदि आपके परीक्षण के परिणाम वांछनीय श्रेणियों के भीतर नहीं हैं, तो आपके डॉक्टर नियमित रूप से बार-बार माप कराने की सलाह दे सकते हैं।
  4. शुगर पर नियंत्रण रखें – यदि आपको मधुमेह है, तो मज़बूत रक्त शर्करा प्रबंधन (Tight Blood Sugar Management) दिल की बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
  5. क्रियाशील रहें – व्यायाम आपके वजन को कम करने और शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है, साथ ही मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है – ये सभी कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम कारक हैं। अपने चिकित्सक से परामर्श करके सप्ताह के अधिकतर सभी दिनों में लगभग 30 से 60 मिनट तक शारीरिक गतिविधि करने का लक्ष्य निर्धारित करें।
  6. स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाएं  हृदय को स्वस्थ रखने वाला आहार, जैसे कि मेडिटेरेनियन फूड- जो वृक्षों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों पर जोर देता है। जैसे – फल, सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां और मेवे। इस आहार में संतृप्त वसा (Saturated Fat), कोलेस्ट्रॉल और सोडियम कम मात्रा में मौजूद होते हैं, जो आपके वजन, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। हफ्ते में एक या दो बार मछली का सेवन करना फायदेमंद होता है।  (और पढ़ें – संतुलित आहार किसे कहते है)
  7. स्वस्थ वजन बनाए रखें – अधिक वजन होने से कोरोनरी धमनी रोग का खतरा बढ़ जाता है। कुछ पाउंड वजन कम करने से भी आपके रक्तचाप को कम करने में मदद मिल सकती है और कोरोनरी धमनी रोग का खतरा कम हो सकता है। (और पढ़ें– वजन घटाने के तरीके)
  8. तनाव का प्रबंधन करें  जितना संभव हो, तनाव को कम करें। तनाव के प्रबंधन के लिए स्वस्थ तकनीकों का अभ्यास करें, जैसे – मांसपेशियों की शिथिलता और गहरी सांस लेना। (और पढ़ें - तनाव दूर करने के लिए योग)

स्वस्थ जीवन शैली में बदलाव के अलावा नियमित चिकित्सा जांच भी बहुत आवश्यक है। कोरोनरी धमनी रोग के लिए कुछ प्रमुख जोखिम कारक हैं – उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह।  इनके शुरुआती चरण में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। प्रारंभिक चरण में इनके पहचान और उपचार से हृदय स्वस्थ रहता है और आप बेहतर जीवन जी सकते हैं। 

कोरोनरी आर्टरी डिजीज का परीक्षण - Diagnosis of Coronary Artery Disease in Hindi

कोरोनरी हृदय रोगों का परीक्षणनिदान:

इसके तहत डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास के बारे में सवाल पूछेंगे, शारीरिक जांच करेंगें और नियमित रक्त परीक्षण करेंगें। आपके डॉक्टर एक या अधिक परीक्षणों का सुझाव भी दे सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-

(और पढ़ें - लैब टेस्ट)

  1. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) – इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम आपके हृदय से होकर गुजरने वाले विद्युत संकेतों को रिकॉर्ड करता है। ईसीजी अक्सर पिछले दिल के दौरे या जो दौरा पड़ सकता है, उसके बारे में प्रमाण दे सकता है। अन्य मामलों में होल्टर निगरानी (Holter Monitoring) की सिफारिश की जा सकती है। इस प्रकार के ईसीजी में आप 24 घंटे के लिए पोर्टेबल मॉनिटर पहनकर अपनी सामान्य गतिविधियां करते हैं। कुछ असामान्यताएं आपके दिल में अपर्याप्त रक्त के प्रवाह का संकेत कर सकती हैं। (और पढ़ें - ईसीजी क्या है)
  2. इकोकार्डियोग्राम – एक इकोकार्डियोग्राम आपके ह्रदय की छवियों (Images) का निर्माण करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। इकोकार्डियोग्राम के दौरान आपके चिकित्सक निर्धारित कर सकते हैं कि हृदय की दीवार के सभी हिस्से सामान्य रूप से आपके हृदय की पम्पिंग गतिविधि में योगदान कर रहे हैं या नहीं।
  3. तनाव परीक्षण  यदि रोग से संबंधित संकेत और लक्षण अक्सर व्यायाम के दौरान देखे जाते हैं, तो डॉक्टर आपको ईसीजी के दौरान एक ट्रेडमिल पर चलने या एक स्थिर बाइक चलाने के लिए कह सकते हैं। यह अभ्यास तनाव परीक्षण के रूप में जाना जाता है। कुछ मामलों में व्यायाम के बजाय आपके हृदय को उत्तेजित करने के लिए दवा का उपयोग किया जा सकता है। नाभिकीय तनाव परीक्षण (Nuclear Stress Test) के रूप में पहचाना जाने वाला एक अन्य तनाव परीक्षण आराम और तनाव के दौरान आपके हृदय की मांसपेशी में होने वाले रक्त प्रवाह को मापने में मदद करता है। यह एक नियमित व्यायाम तनाव परीक्षण के समान है। इसके तहत एक ट्रेसर को इंजेक्शन के द्वारा आपके खून में पहुंचाया जाता है और विशेष कैमरे आपके हृदय में मौजूद उन क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं, जहाँ रक्त का प्रवाह कम होता है। 
  4. कार्डियक कैथीटेराइजेशन या एंजियोग्राम  आपके हृदय के माध्यम से होने वाले रक्त प्रवाह को देखने के लिए डॉक्टर आपकी कोरोनरी धमनियों में एक विशेष डाई इंजेक्ट कर सकते हैं। इसे 'एंजियोग्राम' के रूप में जाना जाता है। डाई को हृदय की धमनियों में एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) के माध्यम से इंजेक्ट किया जाता है, जिसे धमनी के माध्यम से आमतौर पर पैर से हृदय की धमनियों तक पहुँचाया जाता है। इस प्रक्रिया को 'कार्डियक कैथीटेराइजेशन' कहा जाता है। डाई एक्स-रे छवियों पर संकीर्ण स्थानों और अवरोधों की रूपरेखा बनाती है। यदि आपकी कोरोनरी धमनियों में अवरोध है, तो इसके उपचार की आवश्यकता होती है। एक पिचके हुए गुब्बारे को कैथेटर के माध्यम से अंदर डाला जा सकता है और आपकी कोरोनरी धमनियों में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए उसे फुलाया जा सकता है। तब एक मेश ट्यूब (स्टेंट) का प्रयोग फैली हुई धमनी को खोलने के लिए किया जा सकता है।
  5. हार्ट स्कैन – कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) तकनीकें डॉक्टर को आपकी धमनियों में जमी हुई कैल्शियम देखने में मदद करती हैं, जो धमनियों को संकीर्ण बना सकता है। यदि परीक्षण में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है, तो कोरोनरी धमनी रोग की संभावना हो सकती है। सीटी कोरोनरी एंजियोग्राम में सीटी स्कैन के दौरान आपकी नसों में इंजेक्शन के माध्यम से कंट्रास्ट डाई आपके शरीर में पहुंचाई जाती है। इसके द्वारा आपके हृदय धमनियों की चित्र (Images) भी बनाई जा सकती है।

(और पढ़ें - यूरिन कैल्शियम टेस्ट)

कोरोनरी धमनी की बीमारी का इलाज - Coronary Artery Disease Treatment in Hindi

कोरोनरी हार्ट डिजीज के उपचार के विकल्प:

कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) का पूर्णतः उपचार नहीं किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान समय में मौजूद तकनीक के द्वारा इसे प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। इसके उपचार में जीवन शैली में परिवर्तन और कुछ चिकित्सा प्रक्रियाएं और दवाएं शामिल हैं। जीवन शैली की विशेषताओं में शामिल हैं – धूम्रपान छोड़ना, स्वस्थ आहार खाना और नियमित रूप से व्यायाम करना।

(और पढ़ें - पौष्टिक आहार के लाभ)

1. कोरोनरी हार्ट या आर्टरी डिजीज (सीएचडी) दवाएं:

  • स्टेटिन (Statins)  ये एकमात्र दवा है, जो सीएचडी में परिणामों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। लेकिन अगर एक व्यक्ति को अन्य अंतर्निहित कोलेस्ट्रॉल विकार है, तो शायद ये दवा काम न करें। (और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए जूस)
  • एस्पिरिन की कम खुराक – यह रक्त के थक्के में कमी लाती है, एनजाइना या हृदय के दौरे के खतरे को कम करती है। (और पढ़ें - खून का थक्का जमने के कारण)
  • बीटा ब्लॉकर्स  इनका उपयोग रक्तचाप और हृदय रोग की दर को कम करने के लिए किया जा सकता है, खासकर उस व्यक्ति में जिसे पहले दिल का दौरा आ चुका हो।
  • नाइट्रोग्लिसरीन पैच, स्प्रे या गोलियां  ये कोरोनरी धमनियों को चौड़ा करके हृदय द्वारा रक्त की आवश्यकता को कम कर देती हैं। इस प्रकार यह सीने के दर्द को भी नियंत्रित करती हैं।
  • एंजियोटेनसिन कंवर्टिंग एंजाइम (एसीई) अवरोधक – ये रक्तचाप को कम करने और सीएचडी की प्रगति को धीमा करने या रोकने में सहायता करते हैं। (और पढ़ें - हाई बीपी का आयुर्वेदिक इलाज)
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स – ये कोरोनरी धमनियों को चौड़ा करते हैं, हृदय में रक्त प्रवाह को बढ़ाते हैं एवं उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। 

कोरोनरी हृदय रोग के लिए सर्जरी:

यदि रक्त वाहिकाएं बहुत संकीर्ण हो गईं हों या दवाओं का रोग के लक्षणों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा हो, तो सर्जरी द्वारा अवरुद्ध धमनियों को खोला या बदला जा सकता है।

  • लेजर सर्जरी – इस प्रक्रिया में हृदय की मांसपेशियों में कई छोटे छेद किये जाते हैं, जो नयी रक्त वाहिकाओं के निर्माण में सहायता करते हैं।
  • कोरोनरी बाईपास सर्जरी – सर्जन शरीर के किसी अन्य अंग से रक्त वाहिका लेकर बंद धमनी के बिलकुल पास जोड़ देता है। इस जोड़ के लिए पैर या छाती की अंदरूनी धमनी का प्रयोग किया जा सकता है। (और पढ़ें - बाईपास सर्जरी क्या है)
  • एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट – एक कैथेटर को धमनी के सबसे संकुचित हिस्से के अंदर डाला जाता है। प्रभावित क्षेत्र में कैथेटर के माध्यम से एक पिचका हुआ गुब्बारा अंदर डाला जाता है। जब गुब्बारा फुलाया जाता है, तो यह धमनी की दीवारों के विपरीत जमी हुई चर्बी को दबाता है। धमनी को खुला रखने के लिए एक स्टेंट या मेश ट्यूब को इसके अंदर छोड़ा जा सकता है।

हृदय प्रत्यारोपण बहुत ही कम स्थितियों में किया जा सकता है, अगर हृदय बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो और इलाज का कोई असर नहीं हो रहा हो।

(और पढ़ें - हृदय को स्वस्थ रखने के लिए कार्डियो एक्सरसाइज)

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कोरोनरी आर्टरी डिजीज की जटिलताएं - Coronary Artery Disease Complications in Hindi

कोरोनरी आर्टरी डिजीज की जटिलताएं: 

कोरोनरी धमनी की बीमारी, निम्नलिखित का कारण बन सकती है –

  1. सीने में दर्द (एनजाइना) – जब आपकी कोरोनरी धमनियां संकीर्ण हो जाती हैं, तब आपके हृदय तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुँच पाता है – खासकर शारीरिक गतिविधि के दौरान। इससे सीने में दर्द (एनजाइना) या सांस की तकलीफ हो सकती है। (और पढ़ें - एनजाइना का इलाज)
  2. दिल का दौरा  यदि एक कोलेस्ट्रॉल प्लाक टूट जाता है और खून का थक्का बनता है, तो हृदय की धमनी के पूरी तरह अवरुद्ध हो जाने के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। इससे आपके हृदय में होने वाले रक्त प्रवाह में कमी आपके हृदय की मांसपेशी को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे होने वाली क्षति इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितनी जल्दी उपचार प्राप्त करते हैं।
  3. हृदय का रुक जाना (Heart Failure) – अगर आपके हृदय के कुछ भागों को रक्त प्रवाह में कमी के कारण ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से वंचित रहना पड़ता है या अगर दिल का दौरा पड़ने से आपका हृदय क्षतिग्रस्त हो गया है, तो ऐसी अवस्था में आपका हृदय बहुत कमज़ोर हो सकता है और शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है। इस अवस्था को 'हृदय का रुक जाना' (Heart Failure) के रूप में जाना जाता है।
  4. दिल की धड़कन का असामान्य होना (Arrhythmia) – हृदय में अपर्याप्त रक्त की आपूर्ति या हृदय ऊतकों की क्षति आपके हृदय के वैद्युत संवेगों (Electrical Impulses) में हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिससे हृदय की धड़कन असामान्य हो सकती है। (और पढ़ें - अनियमित दिल की धड़कन के लक्षण)

 

कोरोनरी आर्टरी डिजीज में परहेज़ - What to avoid during Coronary Artery Disease in Hindi?

निम्नलिखित चीज़ों से परहेज करें –

  1. धूम्रपान छोड़ें – यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो आपको 'नॉन-स्मोकर्स' की तुलना में दिल का दौरा पड़ने की दोगुनी संभावना होती है और दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में आपकी मृत्यु की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
  2. उच्च रक्तचाप – उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग के सबसे सामान्य कारण हैं।
  3. मोटापा – सक्रिय रहने वाले लोगों की तुलना में ऐसे लोगों में हृदय रोग और उससे होने वाली मृत्यु की अधिक संभावना होती है, जो व्यायाम नहीं करते हैं। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए क्या खाएं)
  4. अनियंत्रित मधुमेह (शुगर)
  5. उच्च वसा और कोलेस्ट्रॉल युक्त खाद्य पदार्थों से बचें।
  6. तनाव से बचें।

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय)

कोरोनरी आर्टरी डिजीज में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Coronary Artery Disease in Hindi?

क्या खाना चाहिए?

हृदय रोगों से रक्षा करने वाले खाद्य पदार्थों में निम्नलिखित शामिल हैं:-

(और पढ़ें - पौष्टिक आहार के गुण)

  1. तेलयुक्त मछली – मैकेरल, सार्डिन, ट्यूना और सैल्मन जैसी मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। इस प्रकार की वसा ट्राइग्लिसराइड्स को घटाती व एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है, रक्त वाहिका को अधिक लचीला बनाती है और रक्त को पतला कर देती है, जिससे रक्त के थक्कों और रक्त प्रवाह के अवरोध की सम्भावना कम हो जाती है।
  2. कुछ वनस्पति तेल मक्का, सोया और कुसुम (Safflower) जैसी वनस्पति में ओमेगा-6 फैटी एसिड और कैनोला व जैतून के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। मक्खन जैसी संतृप्त वसा (Saturated Fats) के बजाय इन सभी का उपयोग करने से 'एलडीएल' कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिल सकती है। 
  3. फल और सब्जियां – फल और सब्जियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट दिल की बीमारी से सुरक्षा प्रदान करते हैं। फल और सब्जियां फोलेट के भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो 'अमीनो एसिड होमोसिस्टीन' के रक्त में स्तर को कम करने में मदद करते हैं, जो हृदय रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ होता है।
  4. फाइबर – साबुत अनाज, फल और सब्जियां।
  5. निम्न ग्लाइसेमिक सूचकांक (Low Glycemic Index) के साथ अपरिष्कृत कार्बोहाइड्रेट स्रोत – साबुत अनाज से बने ब्रेड, फलियां, कुछ प्रकार के चावल और पास्ता जैसे खाद्य पदार्थ मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये खाद्य पदार्थ रक्त में शर्करा (सुगर) के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
  6. फलियां और सोया – सोया प्रोटीन 'एलडीएल' कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में उपयोगी है, खासकर जब रक्त कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो। (और पढ़ें - सोयाबीन खाने के फायदे)
  7. मेवे और बीज – इन्हें कम मात्रा में खाना चाहिए, क्योंकि इनमें 'किलोजूल' अधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं। 
  8. चाय – कुछ तथ्य बताते हैं कि चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट धमनियों में वसायुक्त पदार्थ के निर्माण को रोकने में मदद कर सकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट रक्त के थक्के बनने से रोकने वाले एजेंट के रूप में भी कार्य करते हैं और रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए रक्त वाहिका फैलाव में सुधार कर सकते हैं। (और पढ़ें - ग्रीन टी के फायदे)
  9. शराब – ऐसा माना जाता है कि शराब का सीमित मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य से सम्बन्धित कुछ लाभ हो सकते हैं। 
  10. विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ – कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल से सुरक्षा करने में मदद करता है। विटामिन ई के स्रोतों में शामिल हैं – एवोकाडो (Avocados), गहरे हरे रंग की सब्जियां, वनस्पति तेल और साबुत अनाज से बने उत्पाद। इस विटामिन के पूरक (Supplements) लेने के बजाय विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों को खाना ज़्यादा बेहतर होता है। सप्लीमेंट्स (पूरकों) में विटामिन ई के समान सुरक्षात्मक प्रभाव नहीं होते हैं।
  11. लहसुन – कुछ अध्ययनों में ताजे लहसुन में 'एलीकीन' पाया गया है, जो रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है। अतः ह्रदय रोगों से बचाव हेतु इसका सेवन लाभदायक है।


संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Coronary heart disease
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Coronary Artery Disease (CAD)
  3. Healthdirect Australia. Coronary heart disease and atherosclerosis. Australian government: Department of Health
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Heart Disease Facts
  5. National Health Portal. Coronary Heart Disease. Centre for Health Informatics; National Institute of Health and Family Welfare

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (कोरोनरी धमनी की बीमारी) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Coronary Artery Disease (CAD) in Hindi

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (कोरोनरी धमनी की बीमारी) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।