प्राचीन समय से ही मुस्लिम धर्म में नामकरण की प्रक्रिया का चलन प्रचलित है। मुस्लिम धर्म में लड़की का ऐसा नाम रखने पर जोर दिया जाता है जिसका कोई मतलब हो। मुस्लिम धर्म के आधार पर लड़की के लिए उत्तम नाम चुने जाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। दैनिक जीवन में लड़की का नाम ही उसे एक अलग पहचान देता है। मुस्लिम धर्म में नामकरण की प्रक्रिया इसी उद्देश्य से शुरु की गई थी कि व्यक्ति को दूसरों से अलग पहचान दी जा सके। केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी रहने वाले मुस्लिम धर्म के लोग पिछले चार दशकों से नामकरण की प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। मुस्लिम धर्म के अनुसार लड़की का नाम सुंदर और अर्थपूर्ण होना चाहिए जिससे उसे समाज में मान-सम्मान मिले एवं दूसरों पर उसका अच्छा प्रभाव पड़े। मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग मानते हैं कि लड़की का स्वभाव ज्यादातर उसके नाम से मेल खाता है। आपकी अच्छाई व बुराई, स्वभाव और आपकी वाणी कैसी है, इन बातों की झलक आपके नाम के पहले अक्षर यानी ऐ अक्षर में दिख जाती है। मुस्लिम धर्म में माना जाता है कि जिस लड़की के नाम का पहला अक्षर ऐ है, वे सफलता को हासिल करके ही दम लेती हैं। ये पूरी हिम्मत और साहस के साथ चुनौतियों का मुकाबला करती हैं। लड़की का जन्म होने के बाद उसका नाम रखना मुस्लिम धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लड़की का नाम उसके माता-पिता बहुत ध्यान से रखते हैं। माता-पिता अक्सर शिशु का ऐसा नाम रखते हैं जिसका कोई खास मतलब निकलता हो, क्योंकि माना जाता है कि एक अच्छा नाम लड़की के स्वभाव और उसके भविष्य से संबंधित होता है।