एचआईवी का इलाज तलाश रहे वैज्ञानिकों के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है. हाल ही में अमेरिकी डॉक्टरों ने एचआईवी से ग्रस्त महिला को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया है. डॉक्टरों ने यह चमत्कार स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए किया है. डॉक्टरों का कहना है कि वो अब तक एचआईवी से ग्रस्त 3 लोगों को ठीक कर चुके हैं, जिनमें से एक यह महिला भी है. ये स्टेम सेल उस व्यक्ति से लिए गए हैं, जिसमें प्राकृतिक रूप से एचआईवी वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता थी.

  1. शोध में हुआ खुलासा
  2. ल्यूकेमिया का हुआ इलाज
  3. बनेगी भविष्य की रणनीति
  4. आगे आए महिलाएं
  5. बड़ी उपलब्धि: स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से एचआईवी महिला हुई ठीक के डॉक्टर

शोधकर्ताओं की टीम ने इस मामले का खुलासा डेनवर में हुई कॉन्फ्रेंस ऑन रेट्रोवायरस एंड ऑपर्चुनिस्टिक इंफेक्शंस में किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह महिला श्वेत और अश्वेत माता-पिता की संतान थी. उसे ठीक करने के लिए नई तरह की तकनीक का सहारा लिया गया था. इसके लिए महिला के गर्भनाल के खून का इस्तेमाल लिया गया था. ये बोन मैरो में उपयोग होने वाले स्टेम सेल की तुलना में आसानी से मिल जाते हैं. गर्भनाल के खून की मदद से महिला को ल्यूकेमिया का इलाज किया गया और इसके बाद महिला को एचआईवी जैसी लाइलाज बीमारी से छुटकारा मिल सका. फिलहाल, यह महिला पूरी तरह से स्वस्थ है.

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इस महिला का इलाज करने वाली टीम में शामिल रहे डॉ. कोएन वैन बेसियन ने बताया कि इस महिला को 2013 में एचआईवी हुआ था. इसके 4 वर्ष बाद महिला के ल्यूकेमिया से ग्रस्त होने की पुष्टि की गई. ऐसे में महिला का इलाज करने के लिए हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को शुरू किया गया. सबसे पहले महिला से मेल खाते डोनर से कोर्ड ब्लड लेकर कैंसर का इलाज किया गया. इसके बाद विशेष जेनेटिक म्यूटेशन वाले व्यक्ति से स्टेमसेल लेकर मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया. इसके बाद रोगी के शरीर में एचआईवी वायरस से लड़ने वाली प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगी.

अंतरराष्ट्रीय एड्स सोसायटी की अध्यक्ष शैरन लेविन ने बताया कि इससे पहले भी दो एचआईवी मरीजों को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से ठीक किया गया था. उनमें से एक श्वेत पुरुष और दूसरा दक्षिण अमेरिकी मूल का पुरुष था, लेकिन एचआईवी से ग्रस्त महिला का ठीक होना वैज्ञानिकों के लिए बड़ी उपलब्धि है. इस केस से यह साबित होता है कि एचआईवी का इलाज संभव है. इन 3 केस की मदद से वैज्ञानिक भविष्य के लिए नई रणनीति तैयार कर सकते हैं.

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वहीं, सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एड्स विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन डीक्स का कहना है कि विश्वभर में 35 करोड़ एचआईवी मामले दर्ज होते हैं और इनमें से आधे से ज्यादा महिलाएं होती हैं. इसके बावजूद सिर्फ 11 प्रतिशत महिलाएं ही इलाज के परीक्षण में हिस्सा लेती हैं. वहीं, अब एचआईवी से ग्रस्त महिला के ठीक होने से एक उम्मीद की किरण नजर आई है.

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