जब रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का स्तर संतुलित नहीं होता है तब श्वसन क्षारमयता तब होती है। हमारे शरीर को ठीक से काम करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हम सब सांस के द्वारा ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं । सामान्यतः श्वसन तंत्र इन दोनों गैसों को संतुलन में रखता है। श्वसन क्षारमयता तब होती है जब सांस बहुत तेज और गहरी हो जाती है , या सांस लेने में परेशानी आती है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बहुत कम हो जाता है। इससे रक्त का pH बढ़ जाता है और अत्यधिक क्षारीय हो जाता है। इसी को श्वसन क्षारमयता कहते हैं। श्वसन क्षारमयता में रक्त सामान्य पीएच स्तर से अधिक होता है। 

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  1. श्वसन क्षारमयता के लक्षण
  2. श्वसन क्षारमयता के कारण
  3. श्वसन क्षारमयता का उपचार
  4. सारांश

अधिक जोर से गहरी सांस साँस लेना संकेत है कि श्वसन क्षारमयता विकसित होने की संभावना है। हालाँकि, रक्त में कम कार्बन डाइऑक्साइड के बहुत से प्रभाव पड़ते हैं जिनमें शामिल हैं:

सांस तेज चलना - यह एक मुख्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति का श्वासन की दर असामान्य रूप से तेज़ होती है।

चक्कर आना या बेहोशी -तेज़ श्वास के कारण रक्त में CO2 की कमी होती है, जिससे दिमाग को उसकी आपूर्ति नहीं होती ।  

हाथ-पैरों में सूजन या ठंडक- CO2 की कमी से रक्त में एल्कलाइनिटी होती है, जिससे हाथ-पैरों में सूजन या ठंडक का अनुभव हो सकता है।

मांसपेशियों के छिद्रों का बंद होना : कम CO2 के कारण मांसपेशियों के छिद्र सिकुड़ने लगते हैं, जिससे मांसपेशियों में झुकाव और दर्द का अनुभव हो सकता है।

इसके अलावा चक्कर आना हल्का महसूस होना,हाथों और पैरों में सुन्नता या मांसपेशियों में ऐंठन,छाती में असुविधा,भ्रम,सूखा मुंह,हाथों में झुनझुनी ,सांस लेने में तकलीफ महसूस होना आपको इन लक्षणों में से किसी एक या अधिक का अनुभव होता है, तो आपको चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। श्वसन क्षारमयता का समय रहते पहचान और उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

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  • दिल का दौरा

  • दर्द

  • नशीली दवाओं के प्रयोग

  • दमा

  • बुखार

  • संक्रमण

  • गर्भावस्था

  • हाइपरवेंटिलेशन: तेजी से सांस लेना, चिंता, पैनिक अटैक, दर्द, बुखार या कम ऑक्सीजन स्तर के कारण।

  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विकार: स्ट्रोक, मस्तिष्क की चोट, या मस्तिष्क ट्यूमर जैसी स्थितियां 

  • फेफड़े के रोग: निमोनिया, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज 

  • अधिक ऊंचाई: अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर कम होने से सांस तेज चलने लगती है । 

श्वसन क्षारमयता के लक्षणों में चक्कर आना, चक्कर आना, सुन्नता या हाथ-पांव में झुनझुनी, भ्रम, मांसपेशियों में मरोड़ और बेहोशी भी शामिल है।

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श्वसन क्षारमयता का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। जैसे -

  • घबराहट और चिंता के कारण हो तो 

अगर घबराहट और चिंता के कारण जोर से सांस चल रही है तो श्वसन क्षारमयता के लिए ये उपाय किया जा सकता है - एक पेपर बैग में सांस लें ,पेपर बैग में सांस छोड़ते हुए कार्बन डाइऑक्साइड भरें ,बैग से छोड़ी गई हवा को वापस फेफड़ों में डालें ,इसे कई बार दोहराएं, ऐसा कई बार करने से शरीर को आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर वापस मिल सकता है।  

  • मन को शांत रख कर 

श्वसन क्षारमयता के लक्षण अक्सर तेज और गहरी सांस लेने का कारण बनता है, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है। ऐसे में अपने आप को शांत रखने की कोशिश करें।   

  • फेफड़ों में सीमित ऑक्सीजन भरकर 

इसमे कोशिश करे कि आप एक एक नासिका से सांस लें और मुंह और दूसरे नथुने को ढंक लें।

  • ऊंचाई के कारण 

अगर ऊंचे स्थान में रहने के कारण ये लक्षण आते हैं तो, तो व्यक्ति को कम ऊँचाई में आना चाहिए ।

  • श्वसन अभ्यास

सांस का अभ्यास करें से इसको नियंत्रित किया जा सकता है। 

  • चिकित्सा उपचार

 यदि श्वसन क्षारमयता की स्थिति गंभीरता है, तो चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है। उपचार का विकल्प रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड स्तर को बढ़ाना हो सकता है, जिससे रक्त का pH स्तर संतुलित हो।

  • नियमित मॉनिटरिंग

अगर किसी को इस तरह की समस्या है तो नियमित मॉनिटरिंग करें, विशेषकर यदि आपके गंभीर श्वसन समस्याएँ हैं। 

  • अन्य कारण

श्वसन क्षारमयता को ठीक करने के तरीके बहुत आसान हैं ,जो लोग अक्सर चिंता के कारण अधिक सांस लेते हैं , वे घर पर इन तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। फिर भी सावधानी कि दृष्टि से किसी को अगर पहली बार तेज सांस आ रही है तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए क्यूँकि अत्यधिक सांस लेने के लक्षण अन्य गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के लक्षणों के समान ही होते हैं।

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श्वसन क्षारमयता के जो सबसे आम कारण हैं वो मनोवैज्ञानिक हैं जैसे : तनाव, घबराहट और चिंता। अगर आप इन्हे नियंत्रित करना सीख लें तो श्वसन क्षारमयता को भी नियंत्रित किया जा सकता है।  किसी चिकित्सक के साथ काम करने से मदद मिल सकती है। साँस लेने के व्यायाम, ध्यान और नियमित व्यायाम भी कर सकते हैं। कुछ मामलों में दवा की आवश्यकता हो सकती है।

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