99% बचत - मात्र 1 रु में खरीदें X
Vaidyaratnam Madhu बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः पोषण की कमी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Vaidyaratnam Madhu के मुख्य घटक हैं शहद जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Vaidyaratnam Madhu की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
शहद |
|
Vaidyaratnam Madhu इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Vaidyaratnam Madhu के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Vaidyaratnam Madhu का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Vaidyaratnam Madhu का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
Vaidyaratnam Madhu का गर्भवती महिलाओं पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
क्या Vaidyaratnam Madhu का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए Vaidyaratnam Madhu सही और सुरक्षित है।
Vaidyaratnam Madhu का पेट पर क्या असर होता है?
पेट के लिए Vaidyaratnam Madhu हानिकारक नहीं है।
क्या Vaidyaratnam Madhu का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
Vaidyaratnam Madhu का बच्चों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
क्या Vaidyaratnam Madhu का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
रिसर्च न होने के कारण Vaidyaratnam Madhu के नुकसान के विषय में पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। अतः डॉक्टर की सलाह पर ही इसको लें।
क्या Vaidyaratnam Madhu शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
Vaidyaratnam Madhu के सेवन के बाद चक्कर आना या झपकी आना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसलिए आप वाहन चला सकते हैं या मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
क्या Vaidyaratnam Madhu का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, Vaidyaratnam Madhu को लेने के बाद आपको इसकी आदत नहीं पड़ती है।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume VI. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2008: Page No CCXLVIII-CCXLIX