आधुनिक जीवन को ज्यादा आसान और सुरक्षित बनाने के प्रयास हमारे लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। मोबाइल और कंप्यूटर ने हर काम को उंगलियों का खेल बनाकर हमें चारदीवारी में बंद कर दिया है। उसी चारदीवारी की सुरक्षा, सुंदरता और अन्य उद्देश्यों के लिए अपनाए गए तरीके हमें बौद्धिक रूप से विकलांग भी बना सकते हैं। अमेरिका में ऐसे लाखों मामले सामने आए हैं। एक खबर के मुताबिक पिछले दो दशकों से अमेरिका के कई बच्चे किसी न किसी प्रकार की बौद्धिक विकलांगता से जूझ रहे हैं।  

दरअसल, आनुवंशिक और जैवरासायनिक विषयों से जुड़ी पत्रिका 'मॉलिक्युलर एंड एंडोक्रिनॉलजी' ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में शोध के आधार पर बताया गया है कि कीटनाशकों, अग्निशामकों, सीसा और पारे जैसे रसायन पदार्थों और इनसे बनने वाले उत्पादों के बढ़ते इस्तेमाल से बच्चों की दिमागी क्षमता प्रभावित हो रही है। यह इतना खतरनाक है​ कि बच्चे तेजी से बौद्धिक विकलांगता की ओर बढ़ रहे हैं।

शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि रसायनों के घातक प्रभाव से मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर के कई और हिस्से भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। जिन रसायनों के प्रयोग से ऐसा हुआ है, उन पर कई वर्षों पहले ही अमेरिका में प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

पुराने ब्लड सैंपल के डेटा से अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अमेरिका के 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य और पोषण परीक्षा सर्वेक्षण' के 15 सालों (1999-2014) तक के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसके लिए उस समय की गर्भवती महिलाओं और पांच साल के बच्चों के खून के सैंपल लिए गए थे। अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि रसायनों के प्रभाव में बच्चों का बौद्धिक स्तर गर्भाशय और जन्म के शुरुआती दिनों में ही प्रभावित हो गया था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
न्यूयॉर्क के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ सेंटर के वरिष्ठ अधिकारी अबिगेल गेलॉर्ड ने लगातार बढ़ती इन समस्याओं पर चिंता व्यक्त की है। वे बताते हैं कि मुख्य रूप से विषाक्त पदार्थों के सेवन के चलते अमेरिका में इस तरह की समस्याएं एक खतरनाक रूप ले रही हैं। वहीं, इसकी रोकथाम के बारे में बताते हुए प्रोफेसर लियोनार्डो ट्रासंडे कहते हैं, 'फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और कालीन की धूल से बचने के लिए घरों की खिड़कियां खोलकर रखें। इसके अलावा प्रमाणित खाद्य उत्पाद खाने से इन विषाक्त पदार्थों के संपर्क और प्रभाव में कमी आ सकती है।'

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