कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए सरकार निरंतर प्रयासों में लगी हुई है। सरकार के प्रयासों के साथ ही लोगों से भी अपील की गई है कि इस दौरान वह सेल्फ आइसोलेशन में रहैं, जिससे संक्रमण और न फैले। कोविड-19 का असर कई अन्य पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोगों में भी अधिक होने का खतरा रहता है। ऐसे डर को देखते हुए एचआईवी/एड्स के रोगियों को भी अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

एचआईवी का मतलब है ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस होता है और यही वायरस एड्स का कारण बनता है। यह वायरस व्यक्ति की प्रतिरोधक प्रणाली पर हमला करके उसे कमजोर बना देता है, जिससे उसे अन्य संक्रमण होने का खतरा हो जाता है। एचआईवी से प्रभावित लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद कमजोर हो जाती है, इसकी वजह से कोविड-19 संक्रमण गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को कोविड-19 का खतरा अधिक है। ऐसे में एचआईवी/ एड्स रोगियों के लिए अधिक सर्तकता बरतने की जरूरत है। डॉक्टरी सलाह और दवाइयों के सेवन से एचआईवी/ एड्स से पीड़ित भी लंबी जिंदगी जी सकते हैं। यहां तक कि डॉक्टरों ने एचआईवी की कुछ दवाओं को कोविड-19 के इलाज में प्रयोग करने की सिफारिश की थी। हालांकि, कुछ कारणवश इन्हें प्रयोग में नहीं लाया गया।

डॉक्टरों ने इस बात पर भी अध्ययन किया कि क्या कोविड-19 का प्रभाव एचआईवी रोगी पर उसी स्तर का होता है, जैसे फेफड़े या हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को। साथ ही इस समय एचआईवी रोगियों को किस प्रकार की सवाधानी बरतनी चाहिए और उन्हें क्या कदम उठाने चाहिए, जिससे वह स्वयं को इस बीमारी के खतरे से बचा सकें।

  1. एचआईवी पीड़ितों को किस प्रकार से प्रभावित करता है कोविड-19
  2. कोविड-19 और HIV ड्रग्स
  3. एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए कोविड-19 से बचाव के टिप्स
  4. कोविड-19 संक्रमण के दौरान एचआईवी/एड्स के रोगी बरतें ये सावधानियां के डॉक्टर

एचआईवी/एड्स रोगी जो एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी पर नहीं हैं, उन्हें सभी प्रकार के संक्रमणों के होने का खतरा अधिक रहता है। अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के अनुसार ऐसे रोगियो में श्वसन संबंधी बीमारियों की जटिलताओं का भी अधिक खतरा रहता है।

कोविड-19 अत्यधिक संक्रामक है और यह सांस की तकलीफ जैसी समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है। यह बीमारी तब और गंभीर हो जाती है जब रोगी में निमोनिया के लक्षण भी दिखने लगते हैं। मानव शरीर में पाई जानी वाली प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिका सीडी4 को एचआईवी विशेष रूप से अपना निशाना बनाता है। जिन लोगों में एचआईवी संक्रमण नहीं है, उनमें सीडी4 की संख्या 500 से 1500 कोशिका/ मिमी क्यूब होती है। हालांकि, एचआईवी/ एड्स के मामले में यह संख्या घटकर 200 कोशिका/मिमी क्यूब से नीचे आ जाती है। ऐसे रोगियों में खतरा बढ़ जाता है।

क्या एचआईवी पीड़ितों को कोविड-19 का खतरा अधिक है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार पहले से ही एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स लेने वाले एचआईवी रोगियों में कोविड-19 के बहुत अधिक खतरे के कोई सबूत नहीं हैं। हालांकि, उम्रदराज और पुरानी गंभीर बीमारियों से पीड़ितों में इसका खतरा बढ़ जाता है।

चीन में कोविड-19 ठीक हुए एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति पर अध्ययन किया गया। रोगी मधुमेह से भी पीड़ित था और एंटीरेट्रोवाइरल दवा लोपिनवीर रीतोनवीर और मेटफॉर्मिन का सेवन कर रहा था। एक शोध में कहा गया, चूंकि एचआईवी पॉजिटिव लोग इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड होते हैं, ऐसे में एक स्वस्थ व्याक्ति की तुलना में उन्हें कोविड-19 वायरस की प्रतिक्रिया में अधिक इंफ्लामेशन नहीं मिल पाता है।

इंफ्लामेशन, किसी संक्रमण या चोट की स्थिति में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा की जाने वाली प्रक्रिया है। अध्ययन में यह भी बताया गया कि एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स और कॉर्टिकोस्टेरॉइड कोविड-19 को रोकने और इलाज में मददगार हो सकते हैं। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के प्रयोग की थ्योरी को स्वीकार नही किया। क्योंकि इस बारे में कोई खास वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं थे।

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एचआईवी रोगियों में वायरल लोड को नियंत्रित करने के लिए उन्हे एंटीरेट्रोवाइरल दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं वायरस को मारती नहीं, ​बल्कि उसके प्रतिकृति चक्र को रोकने में मदद करती हैं। डब्ल्यूएचओ ने एचआईवी के मामलों के निदान के​ लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी के प्रयोग की सलाह दी है, भले ही उसका सीडी4+ काउंट कितना भी हो।

कोविड-19 की रोकथाम या उपचार में एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं के उपयोग को लेकर अब भी विवाद है। द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 के मामलों में लोपिनवीर और रोतोनवावीर उतने प्रभावी नहीं हैं। उसमें कहा गया कि भारत में एक ब्रिटिश नागरिक का इन दोनों दवाओं के द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया गया।

इंटरनेशन एड्स सोसाइटी ने सलाह दी है कि एचआईवी रोगियों को भी वही सावधानियां बरतनी चाहिए जो एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं।

  • साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोएं। 60 प्रतिशत अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर से हाथों को साफ करते रहें।
  • अपने चेहरे खासकर अपनी आंख, नाक और मुंह को न छुएं।
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

इसके साथ

  • एचआईवी और एड्स रोगियों को भी अपनी प्रतिरक्षा मजबूत बनाए रखने के लिए नियमित दवाएं लेनी चाहिए।
  • यदि आप एचआईवी पॉजिटिव हैं और अभी तक एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं का सेवन नहीं कर रहे हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेकर इलाज शुरू करें।
  • एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की एक महीने या पर्याप्त मात्रा अपने पास रखें।
  • जिन लोगों को एचआईवी संक्रमित होने का खतरा है, उन्हें इसके लिए शीघ्र परीक्षण करवाना चाहिए।
  • यदि आप एचआईवी पॉजिटिव होने के साथ किसी अन्य पुरानी बीमारी से भी ग्रसित हैं तो अन्य बीमारियों की भी दवाएं लेते रहें। पुरानी गंभीर बीमारियों की स्थिति में कोविड-19 का खतरा बढ़ जाता है।

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