कोविड-19 की रोकथाम के लिए देश के तमाम डॉक्टर, नर्स और स्वास्थकर्मी लगे हुए हैं। रोगियों को संक्रमण से बचाने की कोशिश में जुटे इन लोगों की जान भी खतरें है, क्योंकि इस दौरान वे खुद भी जानलेवा वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसकी एक बड़ी वजह पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वपमेंट की कमी बताई जा रही है। सरकार बड़ी संख्या में पीपीई का उत्पादन करने और मंगाने की बात कर रही है। उधर, मेडिकल जानकार तुरंत कोई समाधान निकालने की मांग कर रहे हैं।

इस बीच, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी की रिसर्च टीम ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक एंटी-वायरल स्प्रे बनाया है. बताया गया है कि इसे पीपीई किट पर छिड़कने से सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण से बचाव किया जा सकेगा। इसके अलावा आईआईटी-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक 3डी प्रिंटेड ईयरगार्ड भी बनाया है। इसकी मदद से फेसमास्क का इस्तेमाल सहज हो जाने का दावा किया गया है। शोधकर्ताओं की मानें तो इस ईयरगार्ड से कानों पर पड़ने वाले खिंचाव और दबाव को कम करने में काफी मदद मिलेगी।

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वायरस से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए पीपीई ड्रेस तैयार किए जाते हैं। लेकिन इसके बाहरी हिस्से पर ड्रॉपलेट (लार के छीटें) के रूप में वायरस मौजूद होना एक बड़ी परेशानी है। यही वजह है पीपीई के रखरखाव में गड़बड़ी होने या इसे गलत तरह से डिस्पोज करने पर कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की पूरी आशंका होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एंटी-माइक्रोबियल स्प्रे बनाया है जो पीपीई पर से संक्रमण को खत्म करने में मददगार साबित होगा।

एक प्रेस रिलीज के माध्यम से आईआईटी गुवाहाटी ने बताया कि इस कार्य को बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. बिमन बी मंडल और पीएचडी स्कॉलर बिभास के भूनिया और आशुतोष बंद्योपाध्याय के सहयोग से पूरा किया गया है। डॉ. बिमन बी मंडल के मुताबिक, ‘हमारे देश को इस समय प्रभावी और सस्ती तकनीकों की आवश्यकता है। इसलिए हम कोविड-19 से जुड़े संकट में राष्ट्र की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने की हर संभव कोशिश में लगे हैं।’

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कैसे वायरस को खत्म करेगा यह स्प्रे?
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि स्प्रे में मौजूद मेटल नैनोपार्टिकल कॉकटेल, जैसे कि कॉपर, सिल्वर और अन्य एक्टिव तत्वों का इस्तेमाल किया गया है जो कि एक साथ मिलकर एक ‘रोगाणुरोधी एजेंट’ के रूप में काम करते हैं। स्प्रे में मौजूद ये तत्व पीपीई पर माइक्रोबियल कन्टैमनन्ट (दूषित पदार्थ) को आने से रोकते हैं। इस प्रकार, पीपीई ड्रेस पर रोगाणुओं के जोखिम के कम होने से डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को मरीजों से संक्रमण मिलने संभावना कम होगी। परिणास्वरूप संक्रमण से उनका बचाव होगा।

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