कोविड-19 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का एक बयान एजेंसी की आलोचना का कारण बन गया है। डब्ल्यूएचओ की महामारी विशेषज्ञ मारिया केरखोव ने इस हफ्ते एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि कोविड-19 का असिम्प्टोमैटिक ट्रांसमिशन (बिना लक्षण वाले मरीजों के जरिये कोरोना वायरस का फैलना) 'दुर्लभ' है और यह इस बीमारी के फैलने का मुख्य कारण नहीं है। मारिया ने कहा, 'कोविड-19 के बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान के लिए कई देश कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं, लेकिन वे यह पता नहीं कर रहे कि क्या ऐसे मरीजों ने वायरस को और लोगों में फैलाया है। यह एक दुर्लभ बात है।' 

मारिया के मुताबिक, दुनियाभर की सरकारों को कोरोना वायरस को उन लोगों में फैलने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए, जिनमें कोविड-19 के लक्षण साफ दिखाई देते हैं। उन्होंने डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि असिम्प्टोमैटिक मरीजों से अन्य लोगों में वायरस फैलने की संभावना कम है। हालांकि, अब डब्ल्यूएचओ ने यह बयान वापस ले लिया है और मारिया केरखोव ने इस संबंध में सफाई भी दी है।

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मेडिकल एक्सपर्ट और वैज्ञानिक हैरान
मारिया केरखोव के इस बयान ने दुनियाभर के मेडिकल एक्सपर्ट, वैज्ञानिकों और महामारी विशेषज्ञों को उलझन में डाल दिया। वे कई महीनों से लोगों से यही कह रहे थे कि बिना लक्षण वाले मरीज कोरोना वायरस को और लोगों में फैला सकते हैं। इनमें से कई विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ के इस बयान की कड़ी आलोचना भी की है। रॉयटर्स के मुताबिक, लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन एंड ट्रॉपिलकल मेडिसिन में क्लिनिकल एपिडेमियॉलजी के प्रोफेसर लियाम स्मीथ ने कहा, 'मैं डब्ल्यूएचओ के बयान से हैरान हूं। यह विज्ञान से जुड़ी मेरी इस जानकारी के विरुद्ध है, जो यह बताता है कि बिना लक्षण वाले और प्री-सिम्प्टोमैटिक मरीज संक्रमण के दूसरे लोगों में फैलने का एक प्रमुख कारण हैं।'

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स के संक्रामक रोग विशेषज्ञ बाबक जावेद ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के इस बयान से कोविड-19 से निपटने के प्रयास प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि कई देश इस जानकारी के आधार पर कोरोना वायरस के मरीजों की टैकिंग, ट्रेसिंग और आइसोलेशन कर रहे हैं कि बिना लक्षण वाले मरीज संक्रमण को और ज्यादा फैला सकते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ के बयान के बाद इस प्रकार के प्रयास प्रभावित होंगे। वहीं, हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. आशीष झा ने कहा, 'इस बयान से वायरस के फैलने और ऐसा होने पर रोकथाम करने की हमारी बुनियादी समझ बदलती है। यह छोटी बात नहीं है। जो कुछ भी कहा गया है उसके दूरगामी असर होंगे।'

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बयान से पीछे हटा डब्ल्यूएचओ
तमाम आलोचनाओं और प्रतिक्रियाओं के बीच डब्ल्यूएचओ ने असिम्प्टोमैटिक मरीजों के जरिये होने वाले ट्रांसमिशन को लेकर दिए अपने बयान को वापस ले लिया है। मंगलवार को इस बारे में सफाई देते हुए मारिया केरखोव ने कहा कि असिम्प्टोमैटिक ट्रांसमिशन वास्तव में एक जटिल मुद्दा है, जिसके बारे में अभी काफी जानकारी उपलब्ध नहीं है, लिहाजा इससे जुड़े सवाल का जवाब फिलहाल नहीं है। मीडिया से बातचीत में मारिया ने कहा, 'मैं प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल का जवाब दे रही थी, न कि (इस संबंध में) डब्ल्यूएचओ की किसी पॉलिसी की बात कर रही थी। मेरी कोशिश केवल यह समझाने की थी कि हम (असिम्प्टोमैटिक ट्रांसमिशन को लेकर) क्या जानते हैं। और उसी संदर्भ में मैंने 'दुर्लभ' शब्द का इस्तेमाल किया। मेरे विचार में यह कहना सही नहीं होगा कि असिम्प्टोमैटिक ट्रांसमिशन बहुत दुर्लभ है। मैं केवल कुछ अध्ययनों का जिक्र कर रही थी।'

पहले भी हुई हैं गलतियां
यह पहला मौका नहीं है जब कोविड-19 महामारी, के नियंत्रण या इसकी जानकारी को लेकर डब्ल्यूएचओ ने गलत बयानी की हो। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क पहनने का प्रचार करने में देरी की है, जबकि दुनियाभर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ महीनों से कह रहे हैं कि अगर ड्रॉपलेट्स के जरिये सार्स-सीओवी-2 को लोगों के बीच में फैलने से रोकना है तो मास्क पहनना जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने इस तथ्य को बीते हफ्ते तक प्रचारित नहीं किया था।

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इसके अलावा, डब्ल्यूएचओ यह भी कहता रहा है कि कोरोना वायरस के फैलने के लिए हवा में मौजूद कण और पानी की बेहद सूक्ष्म बूंदें प्रमुख कारणों में शामिल नहीं हैं, हालांकि कई शोधों में यह दावा किया गया है कि नया कोरोना वायरस हवा में काफी देर रहकर भी लोगों के शरीर में घुस सकता है। इसी तरह, कोविड-19 को और ज्यादा फैलने से रोकने के लिए जब लोगों को एक से दो मीटर की दूरी बनाई रखने की सलाह दी गई, तो डब्ल्यूएचओ ने इसे 'सोशल डिस्टेंसिंग' का नाम दिया जिसे कई वैज्ञानिकों ने गलत शब्दावली करार दिया था। बाद में डब्ल्यूएचओ ने 'सोशल डिस्टेसिंग' की बजाय 'फिजिकल डिस्टेंसिंग' शब्द का इस्तेमाल करना शुरू किया।

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