ऑफर - Urjas Oil सिर्फ ₹ 1 में X
Vicco Vajradanti SF Paste बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः दांत का मैल के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Vicco Vajradanti SF Paste का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। Vicco Vajradanti SF Paste के मुख्य घटक हैं लौंग, पुदीना, दालचीनी जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Vicco Vajradanti SF Paste की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
लौंग |
|
पुदीना |
|
दालचीनी |
|
Vicco Vajradanti SF Paste इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
अन्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Vicco Vajradanti SF Paste के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Vicco Vajradanti SF Paste का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Vicco Vajradanti SF Paste का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
गर्भवती महिलाओं के लिए Vicco Vajradanti SF Paste सुरक्षित है।
क्या Vicco Vajradanti SF Paste का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए Vicco Vajradanti SF Paste सही और सुरक्षित है।
क्या Vicco Vajradanti SF Paste का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
दुष्प्रभावों की चिंता किए बिना बच्चों को Vicco Vajradanti SF Paste दी जा सकती है।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No - 110 - 111
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 5. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2006: Page No - 169 - 171
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No - 151 - 152