भैंस की पूंछ उसके शरीर का एक ऐसा भाग है, जिसमें चोट लगने का खतरा सबसे अधिक रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भैंस की पूंछ किसी दूसरे जानवर के खुरों के नीचे आने का खतरा अधिक रहता है। कई बार खुर के नीचे आने से पूंछ बुरी तरह घायल हो जाती है, जिसमें कई प्रकार के इन्फेक्शन व अन्य कई रोग हो जाते हैं।

इतना ही नहीं कई बार इन्फेक्शन इतना गंभीर हो जाता है कि वह दवाओं से नियंत्रित नहीं हो पाता है। ऐसे में खुद डॉक्टर को पूंछ को काटना पड़ता है।

नियमित रूप से सफाई करने और पूंछ को खुरों के नीचे आने से बचाने से पूंछ को कटने से बचाया जा सकता है। हालांकि, यदि पूंछ घायल हो गई है, तो इलाज करने से पहले डॉक्टर पूंछ का करीब से परीक्षण करते हैं। जरूरत पड़ने पर वे सैंपल लेकर लैब में भी भेज सकते हैं। ऐसे में सैंपल के रिजल्ट के आधार पर ही इलाज शुरू किया जाता है।

यदि स्थिति का समय पर इलाज न किया जाए, तो संक्रमण बढ़कर पूंछ के एक बड़े हिस्से को नष्ट कर सकता है। इतना ही नहीं समय पर इलाज शुरू न करने पर पूंछ का संक्रमण अन्य हिस्सों तक भी बढ़ सकता है, जैसे खुर आदि।

  1. भैंस की पूंछ कटना क्या है - bhains ki poonch katna kya hai
  2. भैंस की पूंछ कटने के लक्षण - bhains ki poonch katne ke lakshan
  3. भैंस की पूंछ कटने का कारण - bhains ki poonch katne ke karan
  4. भैंस की पूंछ कटने से बचाव - bhains ki poonch katne se bachav
  5. भैंस की पूंछ का परीक्षण - bhains ki poonch ka parikshan
  6. भैंस की पूंछ का इलाज - bhains ki poonch ka ilaj
  7. भैंस की पूंछ कटने की जटिलताएं - bhains ki poonch katne ki jatiltayen

भैंस की पूंछ कई बार दूसरे जानवर के खुर के नीचे आने या किसी अन्य कारण से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है। कई बार घाव इतना गंभीर हो जाता है कि पूंछ का नीचे वाला हिस्सा नष्ट होकर अपने आप गिरने लगता है और कुछ मामलों में पूंछ के घाव को रोकने के लिए उसे काटना पड़ता है। पूंछ काटने की प्रक्रिया को टेल एम्प्यूटेशन कहा जाता है।

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भैंस की पूंछ अपने आप कटना या काटना दोनों स्थितियां अलग हैं और इनके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं, जो स्थिति के कारण पर निर्भर करते हैं। यदि भैंस की पूंछ अपने आप कट रही है, तो उसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -

  • पूंछ के निचले हिस्से पर गंभीर संक्रमण हो जाना
  • खुर के नीचे आ जाने के बाद पूंछ बुरी तरह से घायल हो जाना
  • पूंछ से रक्तस्राव होना
  • पूंछ के निचले हिस्से के बाल उड़ जाना
  • पूंछ हिलना बंद कर देना
  • कुछ हिस्से या पूरी पूंछ में खून का बहाव बंद हो जाना
  • पूंछ पर हुआ घाव काला पड़ना

यदि भैंस की पूंछ को काटना पड़ा है, तो यह भी उसमें हुए संक्रमण का परिणाम है। यदि भैंस की पूंछ में गंभीर संक्रमण हो गया है और लगातार फैलता जा रहा है, तो पशु चिकित्सक पूंछ को काटने पर विचार कर सकते हैं। पूंछ को काटने के दौरान सिर्फ उसी हिस्से को हटाया जाता है, जो संक्रमण से ग्रस्त है।

भैंस की पूंछ कटने या काटने का सबसे मुख्य कारण संक्रमण होता है। ऐसे कई बैक्टीरियल और पैरासाइट इन्फेक्शन हैं, जिनको फैलने से रोकने के लिए पूंछ को काटना पड़ता है। जब यह संक्रमण ज्यादा बढ़ जाता है, तो दवाओं से रोकना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह लगातार पूंछ में फैलता रहता है और निचले हिस्से को नष्ट कर आगे बढ़ जाता है।

पूंछ में विकसित होने वाले कुछ अन्य रोग भी हैं, जो पूंछ के कटने का कारण बन सकते हैं, जैसे पूंछ का कैंसर, पूंछ की नसें क्षतिग्रस्त होने के कारण खून का बहाव रुक जाना, पूंछ सूखने लगना और ट्यूमर आदि। ऐसी स्थिति का इलाज करने के लिए कई बार पूंछ के प्रभावित हिस्से को काट दिया जाता है।

पूंछ कटने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियां हैं, जिनमें भैंस की पूंछ कटने का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जैसे -

  • भैंस को अधिक भीड़-भाड़ वाली जगह पर रखना
  • तंग स्थान पर अधिक जानवरों को रखना
  • पूंछ की नियमित रूप से सफाई न करना

 

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भैंस की पूंछ कटने का कारण बनने वाली कुछ स्थितियों की रोकथाम करना संभव नहीं है। हालांकि, कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से कई मामलों में पूंछ के कटने से बचाव किया जा सकता है -

  • भैंस को नहलाते समय रोजाना पूंछ को अच्छे से धोएं
  • पूंछ की नियमित रूप से जांच करें
  • भैंस को तंग स्थान पर अन्य जानवरों के साथ न रखें
  • यदि कोई घाव हो गया है या बाल उड़ने लगे हैं, तो शीघ्र डॉक्टर से जांच करवाएं

यदि पूंछ में किसी भी प्रकार की असामान्यता दिखाई दे रही है, तो भी डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें।

यदि पूंछ पर कोई घाव हो गया है, तो डॉक्टर उसकी करीब से जांच करेंगे। परीक्षण के दौरान पूंछ पर हुए घाव के कारण का पता लगाने की कोशिश की जाएगी। इस दौरान कुछ टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनकी मदद से कैंसर, ट्यूमर और संक्रमण जैसी स्थितियों की पहचान की जाती है। डॉक्टर घाव से या पूंछ के प्रभावित ऊतकों से सैंपल लेकर उसे जांच के लिए लेबोरेटरी भेज सकते हैं।

लेबोरेटरी में सैंपल पर कुछ परीक्षण किए जाते हैं, जिनकी मदद से संक्रमण की उपस्थिति की पुष्टी की जाती है। यह संक्रमण है, तो उसके प्रकार का भी पता लगाया जाता है।

भैंस की पूंछ कटने का इलाज रोग के प्रकार, कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि पूंछ पर हुए घाव में संक्रमण हो गया है, तो उसका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी। यदि दवाओं से घाव ठीक नहीं हो पा रहा है, तो फिर टेल एम्प्यूटेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा कैंसर, ट्यूमर व पूंछ के हिस्सों में खून न पहुंच पाने के कारण भी कई बार पूंछ को सर्जरी से काटने (टेल एम्प्यूटेशन) प्रक्रिया की जरूरत पड़ती है।

टेल एम्प्यूटेशन प्रक्रिया

यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसे भैंस को होश की अवस्था में और उसे सीधा खड़ा रख के किया जाता है। सबसे पहले पूंछ के ऊपरी हिस्से में एक पट्टी को कसकर बांध दिया जाता है। उसके बाद पूंछ के प्रभावित हिस्से को दबा कर उसमें हड्डी के जोड़ आदि की जांच की जाती है, ताकि काटने के लिए उचित जगह को निर्धारित किया जा सके। 

उचित स्थान को निर्धारित करने के बाद पूंछ में कुछ इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जिनकी मदद से उस भाग को सुन्न कर दिया जाता है, ताकि सर्जरी के दौरान भैंस को दर्द न हो। इसके बाद उस भाग पर एंटीसेप्टिक लगाए जाते हैं और फिर अर्धवृत्ताकार चीरा लगाया जाता है।

चीरे को पूंछ में मौजूद हड्डियों के जोड़ों को ध्यान में रखते हुऐ लगाया जाता है, ताकि चीरे से निचले भाग को आसानी से अलग किया जा सके। पूंछ को अलग करने के बाद मुख्य रक्त वाहिकाओं के सिरों को बंद करके पट्टी बांध दी जाती है, ताकि खून को बहने से रोका जाए।

समय-समय पर पट्टी को बदला जाता है और साथ ही यह भी देखा जाता है कि त्वचा के नीचे कहीं रक्त तो जमा (हीमेटोमा) तो नहीं हो रहा है।

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पूंछ का इस्तेमाल भैंस प्राकृतिक रूप से मच्छर व मक्खियों को हटाने के लिए और अपने मालिक व अन्य जानवरों को संकेत देने के लिए करती हैं। इसलिए पूंछ कटना या किसी वजह से काटना भैंसों के ऐसी स्थितियों में परेशान कर सकता है।

कुछ दुर्लभ मामलों में कटी हुई पूंछ में फिर से संक्रमण हो सकता है, जिसके कारण पूंछ को फिर से काटना पड़ सकता है।

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