09 अगस्त, 2019 को क्रिकेटर सुरेश रैना के घुटने की सर्जरी की गई है। रैना को पिछले कुछ महीनों से घुटने में दिक्कत आ रही थी। उनकी घुटने की सर्जरी एम्सटर्डम में हुई है।
रैना ने ट्वीट करके बताया कि वर्ष 2007 में भी उनकी घुटने की सर्जरी हो चुकी है। अब उन्हें रिकवर होने में 4 से 6 सप्ताह का समय लगेगा। इसका मतलब है कि अब उन्हें कम से कम एक से डेढ़ महीने तक क्रिकेट के मैदान से दूर रहना होगा।
खिलाडियों को अक्सर चोट लगती रहती है। खेल के क्षेत्र से जुड़े लोगों को अक्सर तनाव, चोट, फ्रैक्चर और दर्द आदि से रूबरू होना ही पड़ता है।
रैना से पहले भी कई भारतीय क्रिकेट खिलाडियों की घुटने की सर्जरी हो चुकी है। साल 2011 में चेतेश्वर पुजारा की घुटने की सर्जरी हुई थी तो वहीं दूसरी ओर साल 2015 में मोहम्मद शमी की वर्कलोड इंजरी हुई थी जिसकी वजह से डॉक्टरों को हर मैच से पहले उनके घुटने से फ्लूइड निकालना पड़ता था।
आपको बता दें कि खिलाड़ियों को कम समय में रन बनाने के लिए तेज दौड़ना पड़ता है और इससे उनके जोड़ों पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ता है जिसकी वजह से वर्कलोड इंजरी होती है।
रैना की ट्रीटमेंट और सर्जरी के बारे में अब तक कुछ भी साफ तौर पर पता नहीं चल पाया है लेकिन यहां हम आपको कुछ प्रकार की नी सर्जरी (घुटने की सर्जरी) के बारे में बताने जा रहे हैं।
लिगामेंट रिपेयर
हड्डियों के बीच में संयोजी ऊतकों को लिगामेंट कहा जाता है। घुटने के लिगामेंट्स चार प्रकार के होते हैं, जैसे कि एनटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) कंट्रोल रोटेशन एंड फॉरवर्ड मूवमेंट, पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (पीसीएल) कंट्रोल बैकवर्ड मूवमेंट ऑफ द शिन (पिंडली), अंदरूनी घुटने को स्थिरता देने के लिए मीडिएल कोलेटरल लिगामेंट और बाहरी घुटने को स्थिरता देने के लिए लेटरल कोलेटरल लिगामेंट। चोट या किसी बीमारी की वजह से लिगामेंट क्षतिग्रस्त हो सकते हैं जिसके कारण घुटने में तेज दर्द उठता है।
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खिलाडियों को अक्सर एसीएल टियर का सामना करना पड़ता है। myUpchar.com से जुड़े डॉक्टर आयुष पांडे का कहना है कि “जब लंबे समय तक फिजीकल थेरेपी या दवाओं से घुटने के दर्द से राहत न मिल पाए तो उस स्थिति में सर्जरी की सलाह दी जाती है।"
एसीएल को फिर से बनाने के लिए ऑर्थोपेडिक सर्जन घुटने के किसी अन्य हिस्से या डोनर से टेंडन (एक ठोस फाइबर होता है जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ता है) लेते हैं। घुटने में छोटा-सा चीरा लगाकर सर्जन चोट को ठीक कर देते हैं। आमतौर पर इस सर्जरी में खिलाडियों को पूरी तरह से ठीक होने में एक साल तक का समय लग सकता है।
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पीसीएल इंजरी कम होती है। फुटबॉल जैसे खेलों की वजह से इस तरह की चोट लगती है।
नी रिप्लेसमेंट सर्जरी
चार प्रकार की नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी होती है: टोटल नी रिप्लेसमेंट, पार्शियल नी रिप्लेसमेंट, नीकैप रिप्लेसमेंट और कॉम्प्लेक्स नी रिप्लेसमेंट। इनमें से सबसे सामान्य टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी है जिसमें सर्जन जांघ की हड्डी और पिंडली से क्षतिग्रस्त कार्टिलेज को हटाकर धातु प्रत्यारोपण (मैटल इंप्लांट) करते हैं। इस सर्जरी में लगभग 3 घंटे का समय लग सकता है और मरीज को रिकवर होने में 6 सप्ताह का समय लगता है। आमतौर पर आर्थराइटिस या किसी चोट की वजह से हुए घुटने में दर्द से ग्रस्त व्यक्ति को इस सर्जरी की सलाह दी जाती है।
जिन मरीजों की लिगामेंट मजबूत हो और घुटने की एक तरफ चोट या क्षति हो, उन्हें पार्शियल नी रिप्लेसमेंट की सलाह दी जाती है
वर्ष 2013 में इंडियन सोसायटी के कूल्हे और घुटने के सर्जनों का कहा था कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की टोटल नी आर्थोप्लास्टी ज्यादा हुई है और इनकी औसत उम्र 64.5 वर्ष थी। यह आंकड़ें वॉलेंट्री ज्वॉइंट सर्जरी रजिस्ट्री से लिए गए हैं।
आरथ्रोस्कोपिक डेब्रिडेमेंट
घुटने को चोट और दबाव से मेनिसिकी बचा लेती है। इस मुलायम परत में ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारियों या किसी चोट की वजह से दरार आ सकती है। घुटने के क्षतिग्रस्त ऊतक को निकालने के दौरान ऑर्थोपेडिक सर्जन ऑर्थोस्कोप की मदद से मेनिसकस के टुकड़े निकालते हैं। अगर मेनिसकस में आई दरार ज्यादा बड़ी है तो इस स्थिति में सर्जन टांके भी लगा सकते हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में सर्जन किसी डोनर के मेनिसकस से क्षतिग्रस्त मेनिसकस को बदलने की सलाह भी दे सकते हैं। जांघ की हड्डी और पिंडली की हड्डी के बीच कार्टिलेज के एक मुलायम हिस्से को मेनिसकस कहा जाता है।
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