हड्डी टूटना (फ्रै‌क्चर) - Fractured Bones in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

June 20, 2023

हड्डी टूटना
हड्डी टूटना

हड्डी टूटना क्या होता है?

हड्डी टूटने को चिकित्सका भाषा में बोन फ्रैक्चर या हड्डी में फ्रैक्चर कहा जाता है, यह एक मेडिकल स्थिति होती है। यह तब होती है, जब शरीर की किसी हड्डी या उसकी बनावट में दरार पड़ जाती है या वह टूट या कट जाती है।

ज्यादातर हड्डी के फ्रैक्चर, हड्डियों पर अत्यधिक दबाव या तनाव पड़ने पर होता है।

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कुछ अन्य मेडिकल परिस्थियां भी हैं जो हड्डियों को कमजोर बनाती हैं और उनके टूटने का कारण बनती हैं।  उदाहरण के लिए ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), कुछ प्रकार के कैंसर या ऑस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा (Osteogenesis imperfecta / इसे भंगुर हड्डी रोग के नाम से भी जाना जाता है)

पैथोलोजिकल फ्रैक्चर (Pathological fracture) के नाम से जानी जाने वाली मेडिकल परिस्थिति के परिणामस्वरूप भी हड्डियों में फ्रैक्चर हो जाता है।

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) के प्रकार - Types of Fractured Bones in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर के कितने प्रकार होते हैं?

हड्डियों में कई प्रकार के फ्रैक्चर हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं-

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  • साधारण फ्रैक्चर (Simple fracture) -  यह तब होता है, जब शरीर की कोई हड्डी दो टुकड़ों में टूट जाती है।
  • खुला या कंपाउंड फ्रैक्चर (Open or compound fracture) - यह तब होता है, जब किसी प्रकार के बल या तनाव के कारण हड्डी का कोई भाग या टुकड़ा त्वचा के अंदर से बाहर निकल जाता है।
  • बंद फ्रैक्चर (Closed fracture) – जब हड्डी टूट जाए लेकिन ऊपरी की त्वचा ज्यों की त्यों रहे, तो उसे बंद फ्रैक्चर कहते हैं। (और पढ़ें - रीढ़ की हड्डी के लिए योगासन)
  • स्पायरल फ्रैक्चर (Spiral fracture) – जब किसी वस्तु या मशीन आदि के प्रभाव के कारण  हड्डी में घुमाव आ जाता है, तो इसे स्पायरल फ्रैक्चर कहते हैं।
  • संपीड़न फ्रैक्चर (Compression fracture) – यब तब होता है, जब हड्डियां किसी दबाव या बल के प्रभाव में आकर कुचली या मसली जाएं। जैसे दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में किसी कशेरूका को धक्का लगना।
  • ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर (Greenstick fracture) - यह आम तौर पर बच्चों में होता है। यह तब होता है, जब किसी प्रकार के दबाव के कारण हड्डी एक तरफ से मुड़ती है और उसके कारण से दूसरी तरफ से टूट जाती है।
  • कॉमिन्यूटेड फ्रैक्चर (Comminuted fracture) – यह तब होता है, जब किसी प्रकार की दुर्घटना या चोट के कारण हड्डी तीन या उससे अधिक टुकड़ों में टूट जाए। (और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज)
  • ट्रांसवर्स फ्रैक्चर (Transverse fracture) – यह तब होता है, जब टूट-फूट हड्डी के किसी बड़े टुकडे में होने की बजाए शरीर के छोटे-छोटे हिस्सों में होती है।
  • एवल्शन फ्रैक्चर (Avulsion fracture) – यह तब होता है, जब किसी हड्डी के खींचे जाने से हड्डी से जुड़े टेंडन्स और लिगामेंट्स (हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाला नरम ऊतक) हड्डी से अलग हो जाएं या उनमें टूट-फूट हो जाए।
  • इंपेक्टेड फ्रैक्चर (Impacted fracture) – यह फ्रैक्चर तब होता है, जब शरीर की कोई हड्डी अपने सिरों के दोनो तरफ से दबाव में आ जाती है। (और पढ़ें - कंधे की अर्थरोस्कोपी)
  • तनाव फ्रैक्चर (Stress fracture) – यह तब होता है, जब शरीर की किसी हड्डी का अधिकतम उपयोग किया जाता है या उससे बार-बार एक ही गति का काम किया जाता है। 

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) के लक्षण - Fractured Bones Symptoms in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर के लक्षण व संकेत क्या हो सकते हैं?

हड्डी में फ्रैक्चर के लक्षण व संकेत मरीज की उम्र, सामान्य स्वास्थ्य, चोट की गंभीरता व किस हड्डी में चोट लगी है आदि, इनके अनुसार दिखाई देते हैं।

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अगर आपकी हड्डी में फ्रैक्चर है, तो आपको हड्डी या उसके आस-पास की जगह में काफी दर्द महसूस हो सकता है और साथ ही सूजन भी आ सकती है। जब हड्डी टूटती है, तो उस समय पॉपिंग या क्रेकिंग की ध्वनी सुनाई दे सकती है। अगर हाथों या पैरों की किसी हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है, तो वह अंग किसी एक तरफ असामान्य रूप से मुड़ा हुआ या उसमें विकृत रूप दिखाई दे सकता है। फ्रैक्चर वाली हड्डी की ऊपरी त्वचा नीली हो सकती है या खून भी निकल सकता है। अगर कंपाउड फ्रैक्चर है, तो हड्डी का कोई टुकड़ा त्वचा से बाहर निकला हुआ दिखाई दे सकता है और वहां पर एक बड़ा घाव बन सकता है। टूटी हुई हड्डी को हिलाना काफी मुश्किल हो सकता है, फ्रैक्चर अगर पैर की हड्डी में है, तो चलने में काफी परेशानी हो सकती है?

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जब तक किसी डॉक्टर के द्वारा परिस्थिति का आकलन ना किया जाए, तब तक जितना संभव हो सके, टूटी हुई हड्डी को हिलाने की कोशिश ना करें, जरूरत पड़ने पर ही पट्टी (Splint) का इस्तेमाल करें। अगर मरीज किसी खतरनाक स्थान पर है, जैसे कि किसी व्यस्त सड़क के बीच में होना तो ऐसे में कभी-कभी आपातकालीन सहायता आने से पहले कुछ करना पड़ सकता है।

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) के कारण - Fractured Bones Causes in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर क्यों होता है?

हड्डियां काफी मजबूत होती हैं। ये शरीर में इस तरह से डिजाइन होती हैं कि गिरने या दुर्घटना जैसी स्थिति में यह दबाव को झेल लेती हैं। लेकिन, हड्डियां टूटने से पहले ही अधिक दबाव झेल पाती हैं। सामान्य रूप से हड्डी निम्न कारणों से टूट सकती है।

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  • चोट (अचानक या जानबूझकर)
  • ऊंचाई से गिरना
  • बर्फ या अन्य असुरक्षित जगहों से गिरना
  • अधिक उपयोग, खासकर दौड़ना या खेल आदि में भाग लेना।

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ऑस्टियोपोरोसिस भी हड्डियां के टूटने का एक सामान्य कारण होता है, इस रोग में उम्र के साथ-साथ लोगों की हड्डियां कमजोर होती जाती हैं।

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) से बचाव के उपाय - Prevention of Fractured Bones in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर की रोकथाम कैसे कि जा सकती है?

फ्रैक्चर की रोकथाम करने के लिए आप अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं, ये आपकी उम्र के हिसाब से आपके लिए मददगार हो सकते हैं।

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1) पोषण और धूप

मानव शरीर को हड्डियां स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त कैल्शियम की आपूर्ति की जरूरत पड़ती है, दूध, पनीर, दही, और हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।

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कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए आपके शरीर को विटामिन D की आवश्यकता होती है। धूप के संपर्क में आना और इसके साथ-साथ अंडे और तेलयुक्त मछली खाना विटामिन डी प्राप्त करने के अच्छे तरीके हो सकते हैं।

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2) शारीरिक गतिविधि

आप जितना अधिक वजन उठाने वाले व्यायाम करते हैं, आपकी हड्डियां उतनी ही अधिक मजबूत और सघन बनती हैं।

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इसके उदाहरणों में कूदना, चलना, दौड़ना, नाचना या अन्य व्यायाम जिनमें शरीर के कंकाल में खिंचाव बढ़ता है आदि शामिल है। 

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वृद्धावस्था के कारण ही सिर्फ हड्डियां कमजोर नहीं पड़ती, शारीरिक गतिविधियों का कम होना भी इसका कारण है, जिससे आगे जीवन में हड्डियों के कमजोर पड़ने के जोखिम बढ़ जाते हैं। हर उम्र के लोगों के लिए यह जरूरी होता है कि वे अपनी शारीरिक गतिविधियों के प्रति गतिशील रहें।

3) रजोनिवृत्ति

एस्ट्रोजन, जो कैल्शियम की बूंदों को नियंत्रित करता है। रजोनिवृत्ति के दौरान, कैल्शियम का विनियमन अधिक कठिन हो जाता है। फलस्वरूप, महिलाओं को रजोनिवृत्ति के दौरान और बाद में उनकी हड्डियों के सघनता और ताकत के बारे में विशेष रूप से सावधान रहना होता है।

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) पर प्राथमिक उपचार - Fractured Bones first-aid in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर के लिए प्राथमिक चिकित्सा उपचार क्या है?

नीचे दी गई तकनीकें कुछ समय तक हड्डियों को स्थिर रखनें में मदद कर सकती हैं, जब तक कि आप अस्पताल नहीं पहुंच जाते।

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  • प्रभावित जगह पर बर्फ लगाने से घाव वा सूजन को कम किया जा सकता है।
  • घाव को धीरे-धीरे साबुन व पानी के साथ धोनें से घाव के अंदर बैक्टीरिया घुसने से रोकथाम करने में मदद मिलती है।
  • घाव को किसी पट्टी या साफ कपड़े से ढ़क कर रखें।

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अगर हाथों या पैरों की हड्डी टूटी हुई है, तो एक स्लिंग (Sling) या स्पलिंट (Splint) की मदद से टूटी हुई हड्डी को हिलने से रोका जा सकता है और स्थिर बना कर के रखा जा सकता है। अखबार या किसी मैग्ज़ीन को गोल करके घरेलू स्पलिंट बनाया जा सकता है।

अगर संभावित रूप से लगता है कि ऊपरी पैर, रीढ़, श्रोणि या कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर है, तो मेडिकल सहायता आने तक वहीं रहना चाहिए और हड्डियों को हिलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इसे हिलाने का प्रयास करने से घायल क्षेत्र को और अधिक नुकसान हो सकता है।

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) पर इलाज - Fractured Bones Treatment in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर का इलाज कैसे किया जाता है?

टूटी हुई हड्डियां पुनः वापस जुड़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है, जो ज्यादातर मामलों में अपने आप होती है। फ्रैक्चर के उपचार का उद्देश्य आम तौर पर यह सुनिश्चित करना होता है कि उपचार के बाद शरीर का घायल हिस्सा जितना हो सके उतना अच्छा संभव कार्य कर सके।

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प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया शुरू करने के लिए, टूटी हुई हड्डियों के सिरे आपस में मिलने जरूरी होते हैं, इसे फ्रैक्चर को कम करने के रूप में जाना जाता है। जब फ्रैक्चर को कम किया जाता है, उस दौरान डॉक्टर मरीज को सामान्य बेहोशी की अवस्था में रखते हैं।

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स्थिरीकरण (Immobilization)

जोड़ने के लिए हड्डियों के सिरों को मिलाया जाता है और ठीक तरीके से जुड़ने तक उनको उसी दशा में रखा जाता है। जिसे निम्न की मदद से किया जाता है-

  • प्लास्टर कास्ट या प्लास्टर के फंक्शनल ब्रेसिज़ – ये हड्डी को उसी दशा में बनाए रखते हैं, जब तक वह जुड़ नहीं जाती।
  • धातु की प्लेट व पेच - वर्तमान प्रक्रियाएं कम से कम आक्रामक तकनीकों का उपयोग कर सकती हैं
  • इंट्रा-मेड्यूलरी कील – आंतरिक धातु की छड़ी को लंबी हड्डियों के बीच में डाला जाता है और बच्चों में लचीले तारों का इस्तेमाल किया जाता है।

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आम तौर पर फ्रैक्चर हुई हड्डी व उसके आस-पास के क्षेत्र का 2 से 8 हफ्तों को लिए स्थिरीकरण कर दिया जाता है। स्थिरीकरण की अवधि इसपर निर्भर करती है कि कौन सी हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है या फिर कुछ जटिलताओं पर जैसे खून की आपूर्ति में समस्या या संक्रमण

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  • ठीक होना – अगर हड्डी के टूटे हुए सिरों को ठीक प्रकार से जोड़ दिया गया है और उनको स्थिर कर दिया गया है तो ठीक होने की प्रतिक्रिया का काम आसान हो जाता है।
  • शारीरिक थेरेपी – हड्डी जुड़ने के बाद मांसपेशियों की मजबूती और प्रभावित जगह की गतिशीलता को फिर से लौटाने की जरूरत पड़ सकती है। अगर फ्रैक्चर किसी जोड़ में या उसके आस-पास हुआ है, तो इसमें स्थायी रूप से जकड़न या गठिया का जोखिम हो सकता है। ऐसे में लोग अपने जोड़ों को पहले की तरह नहीं मोड़ सकते। (और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द का इलाज)
  • सर्जरी – अगर प्रभावित हड्डी या जोड़ के आसपास कि मांसपेशियों या नरम ऊतकों को नुकसान पहुंचा है तो प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। 

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हड्डी टूटने (फ्रै‌क्चर) की जटिलताएं - Fractured Bones Complications in Hindi

हड्डी में फ्रैक्चर के कारण क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

गलत जगह में जुड़ना -  इसे कुसम्मिलन (Malunion) के नाम से जाना जाता है, इसमें या तो हड्डी गलत स्थिति में जुड़ जाती है या समय के साथ जहां है वहीं जुड़ जाती है।

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हड्डी का विकास रुकना - अगर बचपन में हड्डी का फ्रैक्चर ग्रोथ प्लेट (Growth plate) को प्रभावित करता है, तो उसमें हड्डी का सामान्य विकास प्रभावित हो सकता है और उसके बाद विकृति (Deformity) का खतरा भी बढ़ सकता है।

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हड्डी या अस्थि मज्जा में संक्रमण – अगर फ्रैक्चर के कारण त्वचा में घाव हो गया है, जैसा कि कम्पाउंड फ्रैक्चर में होता है तो घाव के माध्यम से बैक्टीरिया अंदर घुस सकते हैं और हड्डी व अस्थि मज्जा को संक्रमित कर सकते हैं। जिससे संक्रमण हो सकता है।

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इलाज के लिए रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने और एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने की आवश्यकता हो सकती है। कई बार सर्जिकल ड्रेनेज (Surgical drainage) और क्योरटेज (Curettage) की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

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हड्डियां मरना (एवास्क्यूलर नेक्रोसिस) – अगर हड्डी में खून की आवश्यक आपूर्ति बंद हो जाती है, तो हड्डियों की मौत (हड्डियों का सड़ जाना) हो सकती है।



हड्डी टूटना (फ्रै‌क्चर) के डॉक्टर

Dr. G Sowrabh Kulkarni Dr. G Sowrabh Kulkarni ओर्थोपेडिक्स
1 वर्षों का अनुभव
Dr. Shivanshu Mittal Dr. Shivanshu Mittal ओर्थोपेडिक्स
10 वर्षों का अनुभव
Dr. Saumya Agarwal Dr. Saumya Agarwal ओर्थोपेडिक्स
9 वर्षों का अनुभव
Dr Srinivas Bandam Dr Srinivas Bandam ओर्थोपेडिक्स
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हड्डी टूटना (फ्रै‌क्चर) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Fractured Bones in Hindi

हड्डी टूटना (फ्रै‌क्चर) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।