हृदय और रक्त धमनियों में कुछ बदलाव बढ़ती उम्र के साथ देखे जाते हैं। असंतुलित आहार की वजह से बढ़ती उम्र के साथ कई और बदलाव भी देखे जाते हैं। अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से हृदय रोग हो सकता है। अतः 50 की उम्र पार चुके लोगों को अपने दिल के बारे में कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए।

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आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि किस प्रकार बढ़ती उम्र का हृदय पर असर पड़ता है -

  1. हृदय सख्त होता है
  2. हृदय का साइज बढ़ जाता है
  3. हृदयगति अनियमित हो जाती है
  4. रजोनिवृत्ति के कारण एस्ट्रोजेन का प्रभाव कम होना
  5. हृदय पर प्रभाव डालता है आपका बढ़ता वजन
  6. सारांश

विशेषज्ञों के मुताबिक 50 साल की उम्र में हृदय की मांसपेशियां सख्त होने लगती हैं, जिससे इसके लिए पूरे शरीर में रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है। इस अवस्था को चिकित्सकीय भाषा में डायस्टोलिक डिसफंक्शन कहा जाता है। इस वजह से प्रत्येक बीट के बाद आपके हृदय को आराम नहीं मिलता। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव की वजह से एस्ट्रोजेन स्तर कम हो जाता है, जिस वजह से यह स्थिति और भी खराब हो जाती है। अगर आपको सांस लेने में तकलीफथकानपैरों में सूजन, एड़ी और पैरों के पंजों में सूजनहृदयगति का तेज होना, खांसने पर गुलाबी या फोम युक्त बलगम निकलना जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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बढ़ती उम्र में सिर्फ मोटापा या वजन ही नहीं बढ़ता बल्कि हृदय की मांसपेशियां भी बढ़ने लगती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुषों के हृदय की मांसपेशियां उम्र के साथ-साथ ज्यादा बढ़ती हैं। जबकि महिलाओं के साथ ऐसी समस्या नहीं होती। उनका हृदय समान आकार का होता है या फिर वह सिकुड़ जाता है।

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हृदयगति की अनियमितता सामान्य समस्या है। बहुत ज्यादा काॅफी पीने, सर्दी-जुकाम की दवा लेने, किसी के द्वारा चौंका देने पर यह समस्या हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव होने की वजह से भी अनियमित हृदयगति हो सकती है। अगर आपको यह समस्या लगातार बनी रहती है या फिर कुछ-कुछ समय के अंतराल में होती है तो बेहतर है कि डाक्टर द्वारा अपनी जांच कराएं, खासकर अगर आपको सांस लेने में दिक्कतबेहोशीछाती में दर्द और चक्कर आने की समस्या हो। इसके साथ ही आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और हृदय स्वास्थ्य से जुड़े जोखिमों की अनदेखी न करें।

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एस्ट्रोजेन हृदय को सुरक्षित करता है, लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। एक बार जब महिला रजोनिवृत्ति होने पर, वह भी पुरूष की तरह एस्ट्रोजन के लाभ से वंचित हो जाती है। हालांकि एक समय तक महिलाओं में हृदय समस्या को गंभीर नहीं माना जाता था, लेकिन अब उनकी मृत्यु का यह प्रमुख कारण बन चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रेस्ट कैंसर की तुलना में हृदय रोग के कारण महिलाओं की मृत्युदर ज्यादा है।

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपका मेटाबाॅलिज्म स्तर घटने लगता है। इसके साथ ही बढ़ती उम्र में मसल्स मास और सक्रियता में भी कमी आती है, जिसका मतलब है कि अधिक कैलोरी न खाने के बावजूद अतिरिक्त वजन का बढ़ना। इस अतिरिक्त वजन के कारण हाई कोलेस्ट्रोल, सूजन और मोटापे का जोखिम बढ़ जाता है। ये तमाम जोखिम हृदय रोगों को बढ़ावा देते हैं।

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हृदय शरीर का इंजन होता है। इसका अच्छी तरह से काम करना जरूरी है। इसलिए, आप ऐसा कोई काम न करें, जिससे हृदय रोग होने की आशंका बढ़ जाए। इसलिए, रोज योग, मेडिटेशन व व्यायाम जरूर करें। साथ ही संतुलित जीवन जिएं और पोषक तत्वों से युक्त डाइट लें।

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