कोविड-19 वैक्सीन के वजूद में आने के बाद इसके भावी व्यापक उत्पादन और वितरण को लेकर भारत की भूमिका को सबसे अहम बताया जाता रहा है। वहीं, कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस की वैक्सीन के निर्माण में वित्तीय मदद के लिए भी भारत से आस लगाए हुए हैं। इनमें दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ ऑर्गनाइजेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी शामिल है। खबर है कि डब्ल्यूएचओ कोविड-19 वैक्सीन के वैश्विक रूप से समान वितरण के लिए शुरू किए अपने प्रोग्राम 'कोवाक्स' में भारत को शामिल करने के लिए उससे बातचीत कर रहा है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के एक वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस एलवर्ड ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने अपनी इस वैश्विक वैक्सीन आवंटन योजना (कोवाक्स) के लिए भारत से बातचीत शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, '(वैक्सीन के उत्पादन और वितरण के मुद्दे पर) कोवाक्स से जुड़ी सुविधाओं और विमर्श के लिए भारत अन्य देशों की तरह निश्चित रूप योग्य है। हम भारतीय सहभागिता का स्वागत करेंगे। (वैक्सीन के क्षेत्र में) भारत के पास काफी अनुभव है।'

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गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ अपने 'कोवाक्स' वैक्सीनेशन प्रोग्राम के जरिये दुनियाभर में वैक्सीन वितरण की योजना पर काम कर रहा है, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर देशों के लिए। इस काम में गेट्स फाउंडेशन से फंडिंग प्राप्त वैक्सीन अलांयस गावी भी सहयोग कर रहा है। कोवाक्स के तहत डब्ल्यूएचओ साल 2021 के अंत तक दो अरब वैक्सीन डोज तैयार करना चाहता है। लेकिन इस काम में अमेरिका ने भागीदारी करने से इनकार कर दिया है। वहीं, सक्षम देश आपस में ही समझौते करने में लगे हुए हैं। ऐसे में कोवाक्स कार्यक्रम के लिए जरूरी फंड इकट्ठा करने में डब्ल्यूएचओ को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह बड़ी वजह है कि अपनी योजना को हर प्रकार से गति देने के लिए डब्ल्यूएचओ को भारत की आवश्यकता महसूस हुई है।

रूस ने स्पूतनिक 5 के पहले बैच को रिलीज किया
एक तरफ, डब्ल्यूएचओ और भारत कोविड-19 की वैक्सीन के निर्माण और वितरण से जुड़े तमाम पहलुओं पर बातचीत के दौर में हैं तो दूसरी तरफ रूस ने अपनी स्वघोषित कोविड-19 वैक्सीन स्पूतनिक 5 के पहले बैच को नागरिकों के लिए रिलीज कर दिया है। गौरतलब है कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने वहां के गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी और रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के साथ मिलकर स्पूतनिक 5 को तैयार किया है। आम लोगों के लिए वैक्सीन को रिलीज किए जाने पर रक्षा मंत्रालय का कहना है, '(वैक्सीन का) पहला बैच रिलीज कर दिया गया है। इसने सभी जरूरी क्वालिटी टेस्ट पास कर लिए हैं और अब इसे सिविल सर्कुलेशन के लिए रिलीज किया गया है।'

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रूस ने अपनी वैक्सीन को भले ही आम लोगों के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया हो, लेकिन यह टीका अपने मानव परीक्षणों के समय से ही विवादों में बना हुआ है। रूस ने केवल कुछ दर्जन भर प्रतिभागियों पर इस्तेमाल कर इस वैक्सीन को कारगर घोषित कर दिया और पहले ही चरण के बाद इसे 'दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन' करार दिया। उस समय दूसरे चरण के मानव परीक्षणों के परिणाम नहीं आए थे और तीसरे और सबसे निर्णायक चरण के ट्रायल किए ही नहीं गए हैं। इस ट्रायल में वैक्सीन को हजारों लोगों पर आजमाया जाता है। अगर उसमें भी वैक्सीन बड़ी संख्या में लोगों को वायरस से निजात दिलाने लायक पाई जाती है तो उसे आधिकारिक रूप से बीमारी की वैक्सीन माना जाता है। इसके लिए वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ के कड़े परीक्षणों से गुजरना होता है। लेकिन स्पूतनिक 5 के मामले में रूस ने इन तमाम प्रोसीजर्स की अनदेखी की है और वैक्सीन को सीधे लॉन्च कर दिया। अब ये वैक्सीन वहां के आम लोगों को दी जाने वाली है, जिसे लेकर पहले से सवाल उठाए जा चुके हैं।

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