महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित झुग्गी-बस्तियों में रहने वाली आधे से ज्यादा आबादी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का दावा किया गया है। शहर में सिटी-कमीशन के तहत किए गए सेरो सर्वे के अध्ययन के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया है कि मुंबई के सरकारी अधिकारियों ने शहर में रहने वाले लगभग 7,000 लोगों के ब्लट सैंपल लिए थे। एजेंसी के मुताबिक, इन सैंपलों में झुग्गी-बस्ती में रहने वाले लोगों के खून के नमूने भी शामिल थे। बताया गया है कि उन सैंपलों में से 57 प्रतिशत में कोरोना वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडी पाए गए हैं, जबकि नॉन-स्लम इलाकों वाले लोगों के सैंपलों में केवल 16 प्रतिशत में रोग प्रतिरोधक मिलने की पुष्टि हुई। इस जानकारी के सामने आने के बाद देश में कोविड-19 के असल मरीजों की संख्या को लेकर फिर सवाल खड़े हो गए हैं।

(और पढ़ें - कोविड-19: भारत में मरीजों की संख्या 15 लाख से ज्यादा हुई, मृतकों का आंकड़ा 34 हजार के पार, अकेले महाराष्ट्र में 14 हजार मौतें)

गौरतलब है कि भारत कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। यहां अब तक 15 लाख से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। पहले और दूसरे नंबर ब्राजील हैं। इन दोनों देशों में क्रमशः करीब 45 लाख और 25 लाख संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी है। भारत इनसे पीछे है। लेकिन कई जानकारों का कहना रहा है कि देश में टेस्टिंग की कमी के चलते यहां मरीजों की असल संख्या का पता नहीं चल सका है। यह संदेह हाल में दिल्ली में किए गए सेरो सर्वे के परिणामों के सामने आने के बाद भी पैदा हुआ था। इनमें बताया गया था कि दिल्ली की 23 फीसदी आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी हो सकते हैं।

(और पढ़ें - कोविड-19: पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन 31 अगस्त तक के लिए बढ़ाया गया, हर हफ्ते केवल दो दिन होगा लागू, जानें तारीखें)

बहरहाल, मुंबई की करीब 40 प्रतिशत आबादी स्लम एरिया में ही रहती है। इनमें कोरोना वायरस के एक लाख 10 हजार से कुछ ज्यादा मामले सामने आए हैं और 6,000 से अधिक मौतों की पुष्टि की गई है। शहर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित धारावी बस्ती भारत का सबसे बड़ा स्लम एरिया है, जहां करीब दस लाख लोग रहते हैं। लेकिन यहां बड़ी संख्या में मौतें देखने को नहीं मिली हैं। इसे लेकर स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने वायरस को रोकने के लिए आक्रामक कदम उठाए हैं, जो कि प्रभावी रहे हैं। लेकिन सिटी-कमीशन के तहत किए गए सर्वे से पता चलता है कि स्लम एरिया की बड़ी आबादी संभावित रूप से संक्रमण की चपेट में आई है, जिसका पता नहीं चला। ज्यादातर संक्रमितों में कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखे हैं। वहीं, सर्वे की रिपोर्ट यह भी कहती है कि कम मौतों से यह संकेत भी गया है कि यहां कोविड-19 की मृत्यु दर भी 'काफी कम' हो सकती है।

(और पढ़ें - कोविड-19: बीसीजी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल कर रहा सिरम इंस्टीट्यूट, करीब 6,000 वॉलन्टियर्स को लगाया जाएगा टीका)

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें